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EPS 95 Pension: सबका साथ-सबका विश्वास के दायरे में नहीं Pensioners?, 1000 में गुजारते रहिए जिंदगी…

EPS 95 Pension: सबका साथ-सबका विश्वास के दायरे में नहीं Pensioners?, 1000 में गुजारते रहिए जिंदगी…
  • केंद्र सरकार की नीतियों पर पेंशनर्स सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995)…। यह शब्द इस वक्त सुर्खियों में है। न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए से बढ़ाकर 7500 रुपए करने की आवाज बुलंद की जा रही है। कर्नाटक के बैंगलुरु के रहने वाले पेंशनर्स सत्यनारायण हेगड़े ने सरकार पर तंज कसते हुए भड़ास निकाली।

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लिखा-प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के दो बार के वादे के बावजूद, उन्होंने और उनके श्रम एवं रोजगार मंत्री (Minister of Labor and Employment) ने जानबूझकर उन असहाय और गरीब पेंशनभोगियों को नजरअंदाज किया। पेंशनर्स प्रसिद्ध नारे “सबका साथ…सबका विश्वास” के दायरे में नहीं आते।

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हेगडे ने लिखा-प्रधानमंत्री मोदी के लिए पेंशनभोगी (Pensioners) बोझ हैं और उन्हें तीसरे दर्जे के नागरिक के रूप में देखा जाता है और वे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लोगों से भी बदतर हैं, जिन्हें टनों गेहूं भेजा गया था, जबकि हमारे पेंशनभोगी अपनी सेवा के दौरान कड़ी मेहनत से अर्जित योगदान और अपर्याप्त चिकित्सा उपचार के बावजूद पर्याप्त उचित पेंशन के बिना मर रहे हैं।

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मोदी ने अपने किले को सुरक्षित रखने के लिए…

बहुत से पेंशनभोगी अपने साथ हुए अन्याय के लिए मोदी को कोसते हुए अंतिम सांस ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने किले को सुरक्षित रखने के लिए करदाता-पेंशनभोगियों की कीमत पर सांसदों/विधायकों को कई तरह की पेंशन सहित सभी तरह की सुविधाएँ दीं।

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नेताओं के हाथों में मोहरे के रूप में पेंशनर्स

भारत में लोकतंत्र केवल उन लोगों के लिए है। नेताओं, उन नेताओं के लिए जिनके पास एक तरह के अधिकार हैं और उन लोगों के लिए नहीं जिन्हें राजनीतिक नेताओं के हाथों में मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो केवल आपातकाल के लायक हैं। जब सभी आम लोग सुरक्षित थे। आने वाले दिनों में हम इस मोदी सरकार के लिए बहुत सी नकारात्मक चीजें देखेंगे।

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