
पीएम मोदी की साख को बट्टा लगा रहा कर्मचारी पेंशन योजना 1995, पढ़िए।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। यह बात सुनने में अजीब सी लग रही होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा विदेशी धरती पर खूब होती है। आखिर ऐसा क्या हो गया कि देश के भीतर ही उनकी साख पर सवाल उठाया जा रहा है। देश के 78 पेंशनभोगियों की नजर न्यूनतम पेंशन वृद्धि पर टिकी हुई है।
ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति के पदाधिकारी सांसद हेमा मालिनी के साथ दो बार पीएम मोदी से मिल चुके हैं। लेकिन, आज तक कर्मचारी पेंशन योजना 1995 पर कोई फैसला नहीं हो सका। 1000 रुपए से कम पेंशन में जिंदगी काटने वाले पेंशनभोगियों का गुस्सा अब सोशल मीडिया पर दिखने लगा है।
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पीएम मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रोजगार एवं श्रम मंत्री, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ से इन्हें उम्मीदें हैं, लेकिन रिजल्ट हाथ नहीं आ रहा है।
पेंशनर त्रिपुरारी सरन लिखते हैं कि ईपीएस 95 पीएसयू एक्स एम्पलॉय पेंशन योजना में 8.33, फैमिली पेंशन योजना में 1.67+ एम्प्लायर दिया। सेवा मुक्त होने पर 1000 मिलता है। जीने का अधिकार मांग रहे है। मोदीजी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
Ramesh Pandey ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ पर गुस्सा उतारा। कहा-EPFO एक सरकारी चीटिंग फण्ड संस्था है, जो सरकार के लिए फंड जुटाने का काम करती है।
सत्यनारायण हेगड़े कहते हैं कि कुछ नेता ईपीएफ पेंशनरों के लिए “वादा करने वाले” और “भूलने वाले” हैं। उनका “सबका साथ…….सबका प्रयास” केवल दिखावा बनकर रह गया है और केवल संगठित है।
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गुस्से में कहा-ईपीएफओ एक और फर्जी वित्तीय कंपनी
पेंशनभोगी ने कहा-ईपीएफओ एक और फर्जी वित्तीय कंपनी है, जिसे भारत सरकार ने गरीब ईपीएफ पेंशनरों से पैसे इकट्ठा करने के लिए लाइसेंस दिया है और गरीब पेंशनरों से झूठे वादे करके पैसे इकट्ठा करना जारी रखा है। जैसा कि 1995 में किया गया था।
जब यह योजना शुरू की गई थी और झूठे वादे किए गए थे कि पेंशनरों को 8.33% निवेश से सेवानिवृत्ति के बाद अच्छी और पर्याप्त पेंशन मिलेगी। अब तक 9 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए जा चुके हैं, हमें पेंशन से वंचित करने के लिए किसी न किसी तरह से परेशान किया जा रहा है।
यहां तक कि संसद में उनके अपने पूर्व वित्त मंत्री के बयान का भी वर्तमान वित्त मंत्री द्वारा सम्मान नहीं किया जाता है। इसलिए नंबर 1 झूठा राजनीतिक दल है और अब इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।