- डॉक्टर की कमी के नाम से पूरे सेक्टर 9 के चिकित्सालय को आउटसोर्सिंग में दिया जाना, कदापि बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल भिलाई स्टील प्लांट के सेक्टर 9 हॉस्पिटल के निजीकरण की शुरुआती कवायद के खिलाफ अब बीएमएस भी खुलकर सामने आ गई है। भारतीय मजदूर संघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश महामंत्री एवं भिलाई इस्पात मजदूर संघ के अध्यक्ष दिनेश पांडेय की अध्यक्षता में चीफ मेडिकल ऑफिसर सेक्टर 9 डॉक्टर विनीता द्विवेदी के साथ बैठक संपन्न हुई।
अध्यक्ष दिनेश पांडेय ने कहा कि किसी भी कीमत पर सेक्टर 9 चिकित्सालय का निजीकरण नहीं होने दिए जाएगा। इसके लिए इस्पात मंत्री, मुख्यमंत्री सभी से चर्चा करके हर स्तर पर निजीकरण का विरोध करके निजीकरण रोका जाएगा।
दिनेश पांडेय ने कहा कि हृदय रोग विशेषज्ञ, किडनी रोग विशेषज्ञ, यूरोलॉजिस्ट विभाग में डॉक्टर का निरंतर अभाव है, सेक्टर 9 हॉस्पिटल मैनेजमेंट ऐसी व्यवस्था करे कि यहां के कर्मचारियों को दिखाने के लिए, इलाज के लिए दूसरे अस्पताल में जाना ना पड़े।
रेफरल किए जाने वाले हॉस्पिटल के संबंधित डॉक्टर यहां उपलब्ध हो और सारा ऑपरेशन और ट्रीटमेंट यही सेक्टर 9 हॉस्पिटल में हो, डॉक्टर की कमी के नाम से पूरे सेक्टर 9 के चिकित्सालय को आउटसोर्सिंग में दिया जाना कदापि बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।
संयंत्र के कर्मचारी जिन्होंने अपने खून पसीने से सीचकर इस संयंत्र को इस मुकाम तक पहुंचाया है उनकी मूलभूत सुविधाओं के साथ खिलवाड़ किया जाना अन्याय पूर्ण होगा।
पूर्व कर्मचारियों-अधिकारियों का तनाव ज्यादा
संयंत्र के भूतपूर्व कर्मचारी जिन्हें रोज-रोज विभिन्न तरह के जांच से गुजरना होता है। वह प्राइवेट हॉस्पिटल में करना संभव नहीं और जिसकी लागत बहुत होती है। सेक्टर 9 चिकित्सालय में काम करने वाले लगभग 400 कर्मचारी जिन्होंने अपना भविष्य इस चिकित्सालय को चुना, उनका भी भविष्य अधर में हो जाएगा। जिन्होंने दूसरे जगह की नौकरी छोड़कर सेक्टर 9 चिकित्सालय की नौकरी को चुना है।
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भिलाई स्टील प्लांट सफाई दे
उपाध्यक्ष शारदा गुप्ता ने कहा कि निजी हाथों में चिकित्सालय सौंपने से सुविधाओं के विस्तार में कमी होगी, जिसमें यह भी कहा जा रहा कि वह केवल 10% बेड ही कर्मचारियों के लिए आरक्षित किए जाएंगे। आम जनमानस में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, जिसे संयंत्र प्रबंधन को दूर किए जाने की आवश्यकता है।
मेडिकल क्लेम की राशि और भविष्य की आशंका
कहा यह भी जा रहा है कि मेडिक्लेम के माध्यम से चिकित्सा प्रदान की जाएगी। मगर मेडिकल क्लेम की राशि धीरे-धीरे संयंत्र के कर्मचारियों के जेब से ही लिया जाएगा। संयंत्र कर्मचारियों के परिजन गंभीर बीमारियों पर मेडिक्लेम की राशि कम हो जाती है, जिसे घर द्वार बेचकर भी पूरा नहीं किया जा पाता, यह गंभीर समस्या भविष्य में होगी।
जीवन दायिनी हॉस्पिटल का प्राइवेटाइजेशन नहीं होने देंगे
कर्मचारियों के हितों के लिए बीएमएस हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगी और किसी भी हाल में छत्तीसगढ़ के इस प्रेस्टीजीयस जीवन दायिनी हॉस्पिटल का प्राइवेटाइजेशन नहीं होने देंगे। बैठक में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दिनेश पांडेय, उपाध्यक्ष शारदा गुप्ता, विनोद उपाध्याय, आईपी मिश्रा, उप महासचिव वशिष्ठ वर्मा उपस्थित थे।












