Bhilai टाउनशिप के आवास आवंटन को लेकर बड़ा आरोप, CITU ने CGM को लिख दी चिट्‌ठी, भ्रष्टाचार का शक

  • एक बार आवास आनलाइन सूची में शामिल हो जाने के बाद बीच में आवास का नंबर आनलाइन सूची से हटा दिया जाता है। इस तरह भ्रष्टाचार का संदेह होता है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई टाउनशिप के आवास आवंटन प्रक्रिया को लेकर बड़ा सवाल उठा दिया गया है। प्रबंधन की चूक को पकड़ लिया गया है। सीटू ने सीजीएम टाउनशिप को पत्र लिखकर व्यवस्था सुधार की मांग की है।

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सीटू की टीम द्वारा मुख्य महाप्रबंधक नगर सेवाएं विभाग से मिले अभी 2 दिन भी नहीं बीते हैं कि आवास आवंटन को लेकर एक बड़ी बात सीटू के संज्ञान में आई है, जिसे लेकर सीटू ने मुख्य महाप्रबंधक नगर प्रशासन सेवाएं विभाग को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है।

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पत्र में सीटू ने दो बातों को प्रमुखता से उठाया है। पहला आवास आवंटन के लिए आवेदन करने के पश्चात आवेदन करने वाले वरिष्ठ कर्मी को आवास आवंटित हो जाता है। यदि उक्त वरिष्ठ कर्मी आवास नहीं लेता है तो दूसरी सूची में वह आवास दूसरे वरिष्ठ कर्मी को आवंटित कर दिया जाता है।

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किंतु दूसरी सूची की सूचना अगले वरिष्ठ कर्मी को नहीं होने से वह कर्मी उस आवास को नहीं ले पाता है। उल्टा उस कर्मी पर एक निश्चित अवधि के लिए दूसरे आवास को आवेदन करने पर रोक लग जाता है, जिसे डी बार कहते हैं। दूसरी एक बार आवास आनलाइन सूची में शामिल हो जाने के बाद बीच में आवास का नंबर आनलाइन सूची से हटा दिया जाता है। इस तरह भ्रष्टाचार का संदेह होता है।

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क्या है पहला मामला

मामला यह है कि प्लांट गैरेज में कार्यरत श्याम लाल भार्गव पर्सनल नंबर 153099 ने मरौदा सेक्टर/17B/डी पाकेट के लिए मार्च 16-22 के बीच आवेदन किया था लेकिन उनसे वरिष्ठ कर्मी को आवास आबंटित हो गया था जब उस वरिष्ठ कर्मी ने आवास नहीं लिया तो उक्त आवास भार्गव जी को आवंटित हो गया, लेकिन इसकी सूचना भार्गव जी को नहीं मिली। जब भार्गव जी अप्रैल 16-22 के बीच दोबारा आवास आवंटन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना चाहा तो आवेदन नहीं हो सका।

आवास आवंटन विभाग में पता करने पर ज्ञात हुआ कि पहले वरिष्ठ कर्मी आवास ना लेने के कारण वह आवास दूसरी सूची में श्री भार्गव जी को आवंटित हुआ था। चूंकि भार्गव जी ने एलाटमेंट नहीं करवाया जिसके कारण डी बार लगा है। इसीलिए अप्रैल के साइकल में आनलाइन आवेदन नहीं हो पा रहा था अर्थात आवास आवंटित होने के बाद आवंटित हुए कर्मी श्री भार्गव तक आवास आवंटित होने की सूचना अथवा आदेश नहीं पहुंचने से यह स्थिति निर्मित हुई है।

जानि क्या है दूसरा मामला

मामला यह है कि 20 मार्च को एक आवास 9A/ G- Pocket, मरौदा सेक्टर ऑनलाइन सूची में शामिल था। लेकिन 21 तारीख को उक्त आवास ऑनलाइन सूची गायब हो गया।जो सिस्टम में छेड़छाड़ करने से होता है।एक बार ऑनलाइन सिस्टम में शामिल होने के बाद बीच में आवास का ऑनलाइन से गायब होना सिस्टम में मेनुपलेशन को जन्म देता है। यदि इस मामले की तह में जाए तो यह पता चलेगा कि इस तरह की घटना पहले भी घट चुकी है।

सूचना तंत्र को करना होगा मजबूत

आज सीटू की टीम मैकेनिकल के कार्मिक विभाग में मिलकर श्री भार्गव की आवास आवंटन आर्डर के संदर्भ में जानना चाहा तो कार्मिक कार्यालय से पता चला कि लगभग 4 सालों से आवास आवंटन संबंधी कोई दस्तावेज कार्मिक विभाग के माध्यम से किसी कर्मी को नहीं दिया जा रहा है। अर्थात आवास आवंटन ऑर्डर सीधे नगर सेवाएं विभाग से दिया जाता है। ऐसे में नगर सेवाएं विभाग को ऐसी व्यवस्था तैयार करनी होगी, जिससे कर्मी को वक्त रहते सूचना मिल सके अन्यथा कर्मी ना केवल भटकते रहेंगे बल्कि डी बार लगने की परेशानी को भी झेलते रहेंगे।

आवास आवंटन विभाग से आई आवाज “ड्यूटी से बचने के लिए करते हैं नेतागिरी”

अपने आवास के मामले को लेकर सीटू के कार्यकारिणी सदस्य साथी श्याम लाल भार्गव जब आवास आवंटन विभाग पहुंचे एवं कहा कि मेरे नाम से आवास आवंटित होने की सूचना नहीं है और ऊपर से डी बार लगा दिया गया है। ऐसा संयंत्र के बहुत से कर्मियों के साथ होता होगा। इस पर आवास आवंटन विभाग में उपस्थित एक कर्मी ना केवल इनके साथ गर्म लहजे में बातचीत की बल्कि यह तक कह दिया कि “ड्यूटी से बचने के लिए यूनियन वाले नेतागिरी करते हैं यदि नेतागिरी करोगे तो तुम्हारा भी काम नहीं करूंगा।

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