– भिलाई स्टील प्लांट की संयुक्त यूनियन के नेताओं ने इंटक और वामपंथी यूनियनों पर हुए जुबानी का पलटवार किया है।
– आगामी वर्षों में सेवनिवृत्त होने वालों को 60 से 70 लाख रुपए ग्रेच्युटी में मिलने वाला था। अब कार्मिकों को भारी नुकसान होगा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) की ट्रेड यूनियन इंटक और वामपंथी विचारधारा से जुड़ी यूनियनों पर भाजपा समर्थित कर्मचारियों के जुबानी हमले का पलटवार शुरू हो गया है। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) की संयुक्त यूनियनों ने सेल कर्मचारियों को हो रहे नुकसान का ठीकरा भाजपा सांसद विजय बघेल और पूर्व मंत्री पर फोड़ दिया है।
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बीएसपी (BSP) के संयुक्त यूनियन के नेताओं ने कहा-राष्ट्रभक्ति और बेहिसाब जुमलों का गुब्बारा फुला कर सत्ता में आई बीजेपी 2014 से ही मध्यम वर्गीय नौकरीपेशा और किसान विरोधी नितियों को लागू कर रही है। जो एक वर्ग विशेष को फायदा (जो इनके स्पान्सर हैं) कराती हैं।
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कार्मिक विरोधी नीतियों के खिलाफ कभी भी हमारे सांसद महोदय जो इस्पात कमेटी के पदेन सदस्य भी हैं और स्थानीय पूर्व विधायक ने मुंह खोलने का साहस नहीं दिखाया। अब जब चुनाव सर पर है, तब नए जुमले गढ़ने में लगे हैं। साथ ही अपने 10 वर्षों के मौन पर भी पर्दा डालने की कोशिश में हैं।
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– कौन से मुद्दे हैं, जिन पर ये मौन रहे
1. 2017 से सेल कार्मिकों का वेतन समझौता लंबित था। 4 साल तक भी जब वेतन वार्ता संपन्न नहीं हो पाया, तब कार्मिकों और यूनियन पदाधिकारियों ने इनके द्वार पर दस्तक दी। किन्तु सम्मानजनक वेतन समझौता कराने के बजाय उल्टा एफोर्डेबिलिटी क्लॉस का आदेश निकाल कर arear (39 माह) का भुगतान पर रोक लगवा दिया।
2. सेल कार्मिक असीमित ग्रेच्युटी के हकदार थे और लगभग 30 लाख प्राप्त कर रहे थे, जो आगामी वर्षों में सेवनिवृत्त होने वालों को 60 से 70 लाख मिलने वाला था। किन्तु सेल के पूर्व कार्मिक इन दोनों महानुभावों ने अपने साथी कार्मिकों के 50 लाख के एकमुस्त डाका पर बगले झांकते रहे या समर्थन देते रहे।
3. 2014 में नई सरकार आयी और तभी से HRA पर ब्रेक लगा दिया। अगर उस दिन से आज तक HRA की गणना की जाए तो कार्मिकों का लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है।
4. टाउनशिप में जर्ज़र आवासों को लेकर यूनियन और कार्मिक लगातार संघर्ष करते रहे। किन्तु नए आवासों का प्रस्ताव हर साल दिल्ली भेजे जाते रहे, पर इन महानुभावों ने दिल्ली से प्रस्ताव स्वीकृत कराने में कोई रूचि नहीं दिखाई।
5. अन्य पब्लिक सेक्टर संस्थानों में 50000 से 150000 वार्षिक bonus मिलता है। किन्तु सेल कर्मियों को 20000 मिलने पर कभी भी इनकी नाराजगी नहीं दिखी। ना ही ज्यादा bonus के लिए कभी मुंह खोलने की हिम्मत दिखाई।
6. भिलाई इस्पात संयत्र में 55000 कर्मचारियों का स्ट्रेंथ था, जो आज घटकर 12000 हो गया, जबकि उत्पादन दोगुना हो रहा है। स्थायी नियुक्ति के लिए महानुभावों ने कोई प्रयास शायद ही किया हो।
7. इनसे भी ज्यादा शोषण के शिकार ठेका कर्मी हैं, केंद्रीय संस्थान के उत्पादन से जुड़े इन कार्मिकों को मिनिमम वेज के लाले पड़े हैं। इनका वेतन समझौता भी ठन्डे बस्ते में बंद है।
8. हर दो साल में ऑफिसर E0 की प्रक्रिया का प्रावधान बना है, पर 5 सालों में भी वैकेंसी नहीं निकलती, जिससे योग्य अनुभवी कर्मियों में निराशा और हताशा है। आखिर केंद्र में इनकी सरकार है। हमारी समस्याओं के समाधान के लिए इन्हें सपोर्ट करना चाहिए। किन्तु ये माननीय हमारे पक्ष में लड़ते नहीं दिखते।