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ईपीएस 95 पेंशन मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला पेंशनर्स की जुबानी…

ईपीएस 95 पेंशन मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला पेंशनर्स की जुबानी…

पेंशनर्स के मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को दी गई पेंशन से संबंधित है। जैसे सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को दी गई पेंशन।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 पेंशन को लेकर Ramakrisha Pillai ने एक पोस्ट किया। फेसबुक पर पेंशन मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला शीर्षक से पोस्ट काफी पसंद किया जा रहा है। पेंशनर्स के मन की बात को इसमें समेटा गया है।
न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए को बढ़ाकर 7500 रुपए करने की मांग की जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार दबाव डाला जा रहा है। लेकिन, पेंशनर्स की मुराद पूरी नहीं हो रही है।
सोशल मीडिया पक्ष-विपक्ष से भरा पड़ा हुआ है। इसी माहौल में एक यह भी पोस्ट सामने आया। पेंशनर्स के मुताबिक बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को दी गई पेंशन से संबंधित है। जैसे सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को दी गई पेंशन।
ईपीएस पेंशन न तो नियोक्ता या सरकार द्वारा दी जाती है। यह स्वयं हितग्राहियों द्वारा बनाई गई निधि द्वारा भुगतान किया जाता है। इसलिए, लाभार्थी द्वारा निधि की क्षमता और राशि में योगदान की मात्रा केवल मौजूदा नियमों, व्यवस्था की योजना के अनुसार प्रासंगिक है।

ईपीएस को आइसोलेशन में नहीं देख सकते

निजी क्षेत्र को सामाजिक सुरक्षा ईपीएफ के रूप में है और ईपीएस ईपीएफ से उत्पन्न है। तो ईपीएस को आइसोलेशन में नहीं देख सकते, ईपीएफ+ईपीएस को देखो। मैं नहीं कहता कि यह उचित है। आईना दिखाने की कोशिश है।

जिनकी आय नहीं है, उनके लिए कुछ नहीं

एक अन्य पोस्ट में EPS 95 न्यूनतम पेंशन पर Ramakrisha Pillai ने लिखा-वृद्धावस्था पेंशन मांगो, केंद्र सरकार या राज्य सरकार से वृद्ध लोगों के कल्याण के उपाय के रूप में, ईपीएस में आपके योगदान की ताकत के आधार पर नहीं।
आयकरदाताओं के लिए सरकार के पास बहुत रियायतें हैं, जिनकी आय नहीं है, उनके लिए कुछ नहीं। कैसा लोकतंत्र है हमारा…?