BSP News: घटिया बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम की बरसी मनाने की तैयारी, भ्रष्टाचार का संकेत, जांच की मांग

BSP News Preparations to celebrate the anniversary of faulty biometric attendance system indication of corruption, demand for investigation
अधिकारियों ने अपना प्रमोशन लिया। यह सब जांच का विषय है। उच्च प्रबंधन संज्ञान में लेकर जांच करेगा या नहीं यह सोचनीय प्रश्न है?

बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगे 10 माह होने के बाद भी स्थिति जस की तस।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक जी का जंजाल बन गया है। बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम को शुरू हुए लगभग 10 महीना बीत चुका है। किंतु स्थिति जस की तस बनी हुई है।

सीटू के सहायक महासचिव टी.जोगा राव ने बताया कि जब इस सिस्टम को लागू किया जा रहा था उस समय इसकी खामियों को उजागर करते हुए सीटू ने कई मंचों पर अपनी बात रखी थी, तब प्रबंधन ने कहा था कि बहुत शानदार सिस्टम लेकर आए हैं। सब कुछ ठीक हो जाएगा।

आज 10 महीना बीत जाने के बाद भी बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम सामान्य होना तो दूर बल्कि और उल्टा पुल्टा पंचिंग करने लगा है, जिसको दुरुस्त करवाने के लिए हर महीने कर्मियों को समय-समय पर अपनी हाजिरी चेक करना होता है।

पंचिंग अथवा अन्य होने वाली गड़बड़ियों को रिमार्क में लिखकर अधिकारियों के पीछे घूमना पड़ता है। वहीं, संयंत्र के अधिकांश अधिकारी इसी हाजिरी दुरुस्तीकरण के काम में अपने नौकरी का एक बड़ा हिस्सा खपा रहे हैं और जिन्होंने इस व्यवस्था को चालू किया है वे मजे में है।

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बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में हो रहा है उल्टा पुल्टा पंचिंग

सीटू के महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने बताया कि एक कर्मी रात्रि पाली में ड्यूटी आकर रात्रि 9:50 बजे पंचिंग किया एवं सुबह 6:05 बजे पंचिंग करके घर चले गए। उन्हें सामान्य पाली में फिर से ड्यूटी आना था। वह सामान्य पाली में ड्यूटी आकर सुबह 8:55 बजे पंचिंग किए उसके बाद वाले दिन जब ड्यूटी जाकर उन्होंने अपना अटेंडेंस चेक किया तो पाया कि नाइट शिफ्ट वाले दिन सुबह घर जाते समय पंचिंग आउट टाइम सुबह 6:05 बजे के बजाय सुबह 8:55 बजे का समय दर्ज हो गया है।

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जो कि सामान्य पाली में ड्यूटी जाकर किए गए पंचिंग का समय है। अब इस पूरा समय उल्टा पुल्टा होने को सुधारने के लिए रिमार्क लिखकर अधिकारियों का चक्कर काटना पड़ता है। अधिकारी भी इसको तुरंत दुरुस्त करने की बजाय अगले महीना 3 तारीख से 10 तारीख के बीच दुरुस्त करते हैं। तब तक कर्मी अपने सिर में बोझ लेकर ड्यूटी करता रहता है।

एडवांस में छुट्टी नहीं भर पाते हैं कर्मी

कर्मियों की यह शिकायत लगातार आ रही है कि कई कर्मी एडवांस में छुट्टियां नहीं भर पा रहे हैं। कभी-कभी तो छुट्टी लेने के बाद भी उन छुट्टियों को बायोमेट्रिक सिस्टम में अप्लाई करने के लिए कार्मिक अथवा अन्य अधिकारियों को बार-बार बोलना पड़ता है।

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कभी-कभी कांबिनेशन छुट्टियां में भी दिक्कतें आ रही है जो की ओलम्स सिस्टम में नहीं था, अब भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा मेहनत से तैयार किए गए ओलम्स जैसे एडवांस टेक्नोलॉजी को छोड़कर मौजूदा सब स्टैंडर्ड बायोमेट्रिक सिस्टम को क्यों अपनाया गया यह जांच का विषय है?

सिस्टम खोलने के बाद घंटो घूमती है चकरी

बायोमेट्रिक सिस्टम को खोलने के साथ ही चकरी घूमने की आम बात हो गई है। पूछने पर कहा जाता है कि नेटवर्क अथवा सॉफ़्टवेयर का प्रॉब्लम है। इतने बड़े सिस्टम के कारण नेटवर्क स्लो हो जाता है इसीलिए चकरी घूमता है। अब इसका दूसरा पहलू यह है कि कर्मी अपनी हाजिरी को जांचने के लिए सिस्टम खोलते हैं एवं घूमता चकरी पाते हैं।

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वही कर्मियों के हाजिरी अथवा छुट्टियां को दुरुस्त करने के लिए अधिकारी सिस्टम पर बैठकर काम शुरू करते हैं एवं घूमता चकरी पा कर हाजिरी एवं छुट्टियों को दुरुस्त करने का काम छोड़कर अपने दूसरे काम में लग जाते हैं।

पीछा नहीं छोड़ेगा सब स्टैंडर्ड सिस्टम

अब धीरे-धीरे संयंत्र के कर्मी एवं अधिकारी समझने लगे हैं कि एल वन में खरीदे गए मौजूदा बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम अब ऐसे ही काम करेगा। हमें भी इसके अनुसार ऐसे ही ढल जाना चाहिए। ऐसा लगता है कि जिन्होंने सिस्टम को एल वन में खरीदवाया है। वे भी ऐसा मान कर चल रहे होंगे कि देर सवेर थक हार कर इस सिस्टम के सामने घुटने टेक देंगे। इस सिस्टम के तहत काम करने के आदी हो जाएंगे।

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इस सिस्टम के लाभार्थी कौन हैं करें खुलासा

सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा कि प्रबंधन द्वारा इस सिस्टम को जांच कर यह खुलासा करना चाहिए कि इस सिस्टम से किसको लाभ हो रहा है। कर्मी इस सिस्टम को लेकर परेशान, क्योंकि इस सिस्टम से कर्मियों कोई लाभ नहीं है उल्टा वे पंचिंग, छुट्टियां एवं अन्य समस्याओं को लेकर परेशान हैं।

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इस सिस्टम के लग जाने के बाद संयंत्र के उत्पादन प्रणाली में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है। किंतु इस सिस्टम को लागू करने के लिए जोर लगाने वाले आनन-फानन में टाइम ऑफिस को बंद करवा दिए। इस सिस्टम को आधे अधूरे तरीके से लागू करवा दिए एवं उसे दिखाकर अपना प्रमोशन ले लिए। यह सब जांच का विषय है। किंतु उच्च प्रबंधन इसको संज्ञान में लेकर जांच करेगा या नहीं यह सोचनीय प्रश्न है?

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