को-ऑपरेटिव लोन समय पर नहीं मिल रहा है। प्रबंधन CPRS का मामला बोल कर पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रही है।
अज़मत अली। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) के कर्मचारी सूदखोरों के चंगुल में फंस रहे हैं। सेल (SAIL) झारखंड ग्रुप ऑफ माइंस के कर्मचारियों को सीपीआरएस (CPRS) की वजह से को-ऑपरेटिव लोन का कोई फायदा नहीं मिल रहा है।
कर्मचारियों के वेतन से इस मद की राशि हर माह की 22 तारीख तक कट जाती है, लेकिन जब कर्मचारियों को लोन देने की बारी आती है तो लंबा इंतजार कराया जाता है। ऐसे में बच्चों का एडमिशन कराने के लिए कर्मचारी सूदखारों के चंगुल में फंसते हुए 10 प्रतिशत से ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेना शुरू कर चुके हैं। यह हैरान करने वाला मामला मेघातुबुरु और किरूबुरु खदान का है।
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झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के महासचिव राजेंद्र सिंधिया का कहना है कि सेल को-ऑपरेटिव रहने का क्या फायदा। CPRS की मनोपोली प्रवृत्ति के कारण खदान कर्मियों में रोष है। समय पर को-ऑपरेटिव लोन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। महामंत्री ने महाप्रबंधक वित्त और उप महा प्रबंधक कर्मिक व प्रशासन से इस बाबत बात की है। आयरन ओर माइंस गुआ और मेघाहातुबुरु से में भी समय पर भुगतान नहीं हो रहा है।
इसका कारण बताया जा रहा है कि CPRS समय पर को-ऑपरेटिव सोसाइटी को पैसा वापस नहीं कर रहा है। जबकि CPRS 20 या 22 तारीख को कर्मचारियों का लोन एमाउंट सैलरी से काट ले रही है और वही पैसा को-ऑपरेटिव सोसाइटी को समय पर भुगतान नहीं कर रही है, जिससे को-ऑपरेटिव लोन समय पर नहीं मिल रहा है। प्रबंधन CPRS का मामला बोल कर पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रही है। कर्मचारी लोन नहीं मिल पाने से सूदखारों के पास चक्कर काट रहे और परेशान हो रहे हैं।
महामंत्री राजेंद्र सिंधिया ने तुरंत संज्ञान लेते हुए CPRS से बात करने का आग्रह किया है ताकि IR Problem ना हो। CPRS की समस्या और इसके समाधान के लिए किससे बात किया जाए, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। इसलिए दबाव लोकल प्रबंधन पर पड़ना स्वाभाविक है। यही वजह है कि कर्मचारियों ने तुरंत इस पर करवाई करते हुए समस्या का समाधान समय पर करने का आग्रह किया है।