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Bhilai Steel Plant गेट पास को लेकर रोज कार्मिकों-CISF में चिक-चिक, QR कोड, RFID पर सवाल, होगा बवाल

Bhilai Steel Plant गेट पास को लेकर रोज कार्मिकों-CISF में चिक-चिक, QR कोड, RFID पर सवाल, होगा बवाल
  • पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराया है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के प्रवेश द्वार पर इस वक्त सीआइएसएफ की सुस्ती कर्मचारियों पर भारी पड़ रही है। ड्यूटी जाने वालों की लंबी लाइन गेट पर लग रही है। इस बात को लेकर कर्मचारियों और सीआइएसएफ जवानों में चिक-चिक हो रही है। किसी दिन बात बिगड़ सकती सकती है।

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गेटों में लग रहे जाम के मद्देनजर पूर्व मान्यता प्राप्त यूनियन सीटू ने प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराया है। यूनियन का कहना है कि प्लांट आते समय गेट पास दिखाना कर्मी की जिम्मेदारी है। गेट पास चेक करके कर्मी को अंदर भेजना सीआईएसएफ की ओर से तैनात कर्मी की ड्यूटी है, जो बहुत ही आराम से चल रहा है।

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किंतु कुछ दिनों से गेट पास को लेकर सख्ती बढ़ गई है। फर्जी गेट पास की शिकायत और मामले सामने आ चुके हैं। डुप्लीकेट कलर गेट पास को रोकने के लिए गहराई से चेक करने की बात सीआइएसएफ बोल रही है। इसके चलते आए दिन गेट में जाम लगने एवं चिक चिक होने की घटनाएं सामने आ रही है।

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सीआईएसएफ ने ही कहा था गेट पास के पीछे क्यूआर कोड लगाने को

यूनियन का कहना है कि संयंत्र में कार्य करने वाले कर्मियों के लिए पिछले दिनों प्रबंधन ने गाड़ी का क्यूआर कोड बनवाया था। कहा गया था कि संयंत्र के अंदर आते समय गर्मी को गेट पास के साथ-साथ गाड़ी का क्यूआर कोड भी दिखाना जरूरी है, जिसे सीआईएसएफ के कर्मी जांच कर गाड़ी के नंबर प्लेट के साथ मिलन करेंगे। इसके बाद अंदर जाने देंगे।

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इस संदर्भ में प्रबंधन ने कहा था कि यह व्यवस्था गलत गाड़ी अथवा गलत लोगों को अंदर घुसने से रोकने के लिए सीआईएसएफ के कहने पर किया जा रहा है। यह भी कहा गया था कि गेट पास के पीछे क्यूआर कोड लगाकर रखें।

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अब गेट पास को आगे एवं पीछे चेक करके अंदर भेजने की बात कह कर गेट पास के पीछे से क्यूआर कोड हटाया जा रहा है, तो क्या अब क्यूआर कोड चेक करने अथवा गलत गाड़ियां अंदर जाने का मामले पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया गया है।

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अधिकारी बदलते ही आते हैं नए-नए नियम

संयंत्र के अधिकारी हो या सीआईएसएफ अधिकारी (CISF Officers), अक्सर उनके बदलने के साथ ही कई नियम भी बदलते रहते हैं। हर अधिकारी के अपने-अपने आइडिया एवं अपनी समझदारी होती है, जिसके चलते उन्हें प्रमुख जिम्मेदारी मिलते ही अपने आइडिया को लागू करवाने लगते हैं। इसके कारण ही नए-नए नियम एवं बदलाव दिखते रहे हैं।

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कहीं आरएफआईडी कार्ड को जायज ठहरने की कवायद तो नहीं

सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्‌डी का कहना है कि कभी संयंत्र में 60000 स्थाई कर्मी हुआ करते थे, अब अधिकारी सहित मात्र 15000 कर्मी रह गए हैं। किंतु पिछले कुछ दिनों से गेट पास की वैधता चेक करने के नाम पर गेटों में अंदर आने के लिए जो कवायत करवाई जा रही है, उसकी आड़ में रखकर आरएफआईडी अर्थात रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटी कार्ड को जायज ठहराने के लिए किया जा रहा कवायद प्रतीत होता है।

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गेट में उच्च स्तर पर रहता है पॉल्यूशन

महासचिव जेपी त्रिवेदी का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से गेट पास चेकिंग के नाम पर गेट में इतनी ज्यादा भीड़ लगने लगी है कि गेट के अंदर पहुंचने में हर कर्मी को 5 से 10 मिनट लग रहा है।

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इतने समय तक गाड़ी चालू रहने के कारण इतना पॉल्यूशन बढ़ रहा है कि खड़े-खड़े ही घुटन होने लगता है। चेकिंग करने वाले सीआईएसएफ कर्मी भले ही मास्क लगाकर काम कर रहे हो। किंतु वह भी घंटे भर तक इस पॉल्यूशन से बच नहीं पाते हैं। इसका कोई समाधान निकाला जाना चाहिए।

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