वक्ता बोले-दुर्ग जिले का आदिवासी समाज मणिपुर के साथ खड़ा है और राष्ट्रपति से मांग करता है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन शीघ्र लगाया जाए। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई देश के सामने आ सके।
सूचनाजी न्यूज, दुर्ग। मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न करके सड़क पर परेड कराने और बलात्कार की घटना की आंच दुर्ग तक आ गई है। आदिवासी समाज ने जोरदार प्रदर्शन किया। मणिपुर व देश के दूसरे राज्यों में आदिवासीय के ऊपर हो रहे अत्याचार से आक्रोशित आदिवासी महिलाओं ने प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री का पुतला जलाया। मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है।
आदिवासी समाज के लोग दुर्ग गांधी प्रतिमा हिंदी भवन के सामने इकट्ठा हुए। जहां पर आदिवासी समाज के प्रमुखों ने मणिपुर के हालत व कानून व्यवस्था बिगाड़ने में केंद्र सरकार व राज्य सरकार को दोषी करार दिया। गोंडवाना समाज के अध्यक्ष हेमंत नेताम ने कहा कि पिछले आठ-दस सालों में देश के सौहार्द पूर्ण माहौल को जहरीला बनाया जा रहा है।
भाईचारा खत्म हो रहा है। जातिय व सांप्रदायिक दंगों के कारण भारतीय समाज का ताना बाना छिन्न भिन्न हो रहा है, जो सत्ता संगठन से पोषित है। इसलिए अमानवीय कुकृत्य लगातार देश के अन्य राज्यों में आदिवासियों के ऊपर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मणिपुर जलाया जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि 4 मई की घटना के कुछ दिन पूर्व मणिपुर के डीजीपी को हटाया जाता है, जो स्वयं कुकी जनजाति से आते हैं। इसके बाद प्रशासन के शह में अत्याधुनिक हथियारों को दूसरे समाज को दे दिया जाता है। परिणाम स्वरूप समाज के लोगों ने पूरे कुकी व नगा जनजातियों के इलाकों में जाकर हजारों घरों को जलाए। संपत्तियां नष्ट कर दी गई। 150 से ज्यादा लोगों की जान गई। महिलाओं पर अमानवीय कृत्य, अनेक महिलाओं का बलात्कार किया गया, उनकी हत्या की गई।
वक्ताओं ने कहा कि दुर्ग जिले का आदिवासी समाज मणिपुर के साथ खड़ा है और राष्ट्रपति से मांग करता है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन शीघ्र लगाया जाए। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई देश के सामने आ सके।
दुर्ग गांधीजी के प्रतिमा स्थल से मार्च आरम्भ करके जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचा। संयुक्त कलेक्टर लता ऊर्वशा के हाथों में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद ज्ञापित किया गया है जिनके फटकार से केंद्र व राज्य सरकार कुछ कार्यवाही करते दिख रही है।
विरोध-प्रदर्शन और पुतला दहन के दौरान आदिवासी समुदाय के अशोक कंगाली, शांतनु मरकाम, बारे लाल चंद्रवंशी, मंथिर खलेद्र, तुलसी ठाकुर, तामेश्वरी ठाकुर, पद्मा ठाकुर, मंजु ठाकुर, श्यामा ठाकुर, ज्योति ध्रुव, संगीता ध्रुव, मालती ठाकुर, ललिता ध्रुव, महेद्रध्रुव, राम चंद ध्रुव, शीला ठाकुर, गीता लाल मंडावी, बीएल कचलाम, कुंज लाल ध्रुव, महावीर ठाकुर, गोरेलाल ठाकुर, शोभ राय ठाकुर, हेत सिंह ध्रुव, गीता बिसेन, अश्लेशा मरावी, दिलेश्वरी भुआर्य, प्रियंका, कोमल, संजय, राजा, आशीष, किशन, भानु प्रताप, जश्री, हेम लता ध्रुव, सुखबती तारम, गीतांजली, जय सिंधु मौजूद रहे।