EPFO News: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और केंद्र सरकार, पेंशनभोगी लाचार

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ईपीएस 95 पेंशनभोगियों ने 30-35 साल की सेवा के दौरान ईपीएफओ में अपना हिस्सा/योगदान जमा किया है। पेंशनर्स की आवाज उठ रही।

पेंशनभोगी ने कहा-सरकार हमेशा ‘अमीरों’ का समर्थन करती है और हमेशा मजदूर वर्ग और गरीबों के खिलाफ़ है।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। उम्र के आखिरी पड़ाव में पेंशन के लिए संघर्ष करने वालों का गुस्सा भड़का हुआ है। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन, डीए और मेडिकल सुविधा को लेकर केंद्र सरकार और ईपीएफओ से मांग की जा रही है।

पेंशनर्स का कहना है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ और केंद्र सरकार के लिए शर्म की बात है कि वरिष्ठ नागरिकों, ईपीएस 95 पेंशनभोगियों को अपने अधिकार के लिए लड़ना पड़ रहा है।

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पेंशनर सनत रावल बोले कि वरिष्ठ नागरिकों, ईपीएस 95 पेंशनभोगियों ने तीस से पैंतीस साल की सेवा के दौरान ईपीएफओ में अपना हिस्सा/योगदान जमा किया है और एनएसी के अनुसार न्यूनतम पेंशन की मांग की है, लेकिन नतीजा शून्य है। क्या करें?

एक अन्य पेंशनभोगी सुरेश सहस्रभोजानी का कहना है कि सनत रावल हम बदकिस्मत हैं। न तो मौजूदा सरकार और न ही विपक्षी दल हमारे लिए रुचि ले रहे हैं।

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देवराज जोसेफ ने भी सरकार पर गुस्सा उतारा। बोले-भाजपा सरकार हमेशा ‘अमीरों’ का समर्थन करती है और हमेशा मजदूर वर्ग और गरीबों के खिलाफ़ है। सभी केंद्रीय मंत्री उनके पैरों के नीचे हैं, एक आदमी की सेना, कोई उम्मीद नहीं।

देबाशीष चट्टोपाध्याय ने कहा-बेशक देवराज जोसेफ। वे पूंजीवाद और फासीवाद का चेहरा हैं। एक आदमी द्वारा नियंत्रित सेना। कोई प्रतिस्पर्धी मिशन नहीं। 7500/- रुपये की न्यूनतम पेंशन+डीए के बारे में क्या? हमारे नेतृत्व को सरकार ने चकमा दे दिया है?

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