- क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त अभिषेक कुमार के साथ बैठक हुई। मुश्किल से 8 से 10 लोगों ने ही मांगी गई रकम भेजी है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। EPS 95 उच्च पेंशन (EPS 95 Higher Pension) की ताजा खबर: ईपीएस 95 हॉयर पेंशन (EPS 95 Higher Pension) को लेकर हो रही दूरी पर हर कोई बेचैन है। ईपीएफओ की ओर से स्थिति स्पष्ट न होने से तनाव का माहौल बनता जा रहा।
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सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के निर्णय 9 नवंबर के अनुसार उच्च पेंशन के लिए संयुक्त आवेदनों के निस्तारण में असामान्य देरी के संदर्भ में कुछ लंबित बिंदुओं पर चर्चा ईपीएफओ के अधिकारियों के साथ सोमवार को पेंशनर्स ने चर्चा की। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त अभिषेक कुमार के साथ बैठक हुई।
ईपीएस 95 पेंशनर्स एसोसिएशन (EPS 95 Pensioners Association) के प्रदेश अध्यक्ष एलएम सिद्दीकी के अलावा जीपी सिंह और बीजे पटनायक भी चर्चा में उपस्थित थे। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि ईपीएफओ रायपुर (EPFO Raipur) को अब तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार उच्च पेंशन के लिए 18,000 संयुक्त आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनकी जांच के बाद उन्होंने पात्र उम्मीदवारों को लगभग 1000 मांग पत्र जारी किए हैं।
अगर इसे पैसे के हिसाब से समझाया जाए तो 1000 मांग पत्रों के जरिए 96 करोड़ रुपये की मांग की गई है, जिसके मुकाबले बेहद हैरानी की बात यह है कि ईपीएफओ को केवल 64 लाख रुपये ही मिले हैं, यानी मुश्किल से 8 से 10 लोगों ने ही मांगी गई रकम भेजी है।
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पेंशनर्स ने कहा-ऐसा प्रतीत होता है कि कर्मचारी,पेंशनभोगी बड़ी दुविधा में हैं और आरपीएफसी की मांग के अनुसार राशि भेजने को तैयार नहीं हैं। एक और कारण यह हो सकता है कि कुछ पेंशनभोगी उस पैसे की व्यवस्था करने में व्यस्त हो सकते हैं जो उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद अपनी आजीविका के लिए अन्य योजनाओं में पहले ही निवेश कर रखा है।
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नियमित कर्मचारियों ने सीपीएफ से अपने फंड को स्थानांतरित करने के लिए अपनी सहमति प्रस्तुत की होगी, लेकिन प्रक्रियात्मक देरी नियोक्ता की ओर से हो सकती है। अधिकांश लोग सोचते हैं कि एक बार जब उन्होंने पैसा जमा कर दिया, तो यह हमेशा के लिए उनकी पहुंच से बाहर हो जाएगा।
और उन्हें वापस नहीं मिलेगा, क्योंकि आरओसी के प्रावधान ईपीएफओ द्वारा 25-9-2008 से पहले ही वापस ले लिए गए हैं। उनकी मृत्यु के बाद भी, धनराशि उनके परिवार के सदस्यों/कानूनी उत्तराधिकारियों को वापस नहीं की जाएगी।
मृत्यु के बाद उनके जीवनसाथी को मूल पेंशन का 50 प्रतिशत मिलेगा। इसके अलावा, कर्मचारी अपनी सेवानिवृत्ति पर सीपीएफ की अपनी मेहनत की कमाई की कम राशि भी साथ रखेंगे। संभवतः लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा,जिनका स्वास्थ्य अच्छा है और ईश्वर की कृपा से दीर्घायु होंगे।