
अगर फर्जी खबर नकली नहीं हैं तो सरकार अधिसूचना क्यों नहीं लेकर आती है ताकि हमें अनावश्यक रूप से परेशान न होना पड़े।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Pension), सरकार और यूट्यूबर्स पर पेंशनभोगी भड़के हुए हैं। सिर्फ आश्वासन और झूठी खबरों को परोसे जाने से मर्माहत हैं। तंगहाली के माहौल में जी रहे पेंशनर्स का कहना है कि उनका मजाक उड़ाया जा रहा है।
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पुत्र अंजनी सनातनी नाम के एक यूजर ने लिखा-केंद्र सरकार, मीडिया और कुछ यूट्यूबर्स ने EPFO पेंशनर्स का मजाक उड़ाया है। और सबसे ज्यादा मजाक उड़ाया है प्रधान सेवक, वित्त मंत्री और श्रम मंत्री ने। और EPFO अधिकारी इसी का मजाक उड़ा रहे हैं और जश्न मना रहे हैं।
मेरे घर के पास भी कुछ ऐसा ही है। एक EPFO अधिकारी रहते हैं, वो कहते हैं कुछ होने वाला नहीं है, तुम नौकरी क्यों नहीं ढूंढ लेते, बस सड़क किनारे खाने का ठेला लगा लेते हो। क्या मजाक उड़ाया है उस सज्जन ने, वो जानते हैं कि मेरी बीमारी पर पहले ही बहुत पैसा खर्च हो चुका है और मैं ज्यादा कमा नहीं रहा हूं। हमारा मजाक उड़ाने और लोगों को मनोरंजन का मौका देने के लिए प्रधान सेवक को बधाई।
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पेंशनभोगी C Unnikrishnan कहते हैं कि ईपीएफओ या सरकार ईपीएस पेंशन बढ़ाने की बात नहीं कर रही है या पेंशनरों की मांग मान रही है। लेकिन सोशल मीडिया नियमित रूप से समाचार आइटम के साथ आ रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि ईपीएस पेंशनरों (EPS Pensioners) की मांग सरकार द्वारा स्वीकार/स्वीकृत की गई है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।
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अब बड़ा सवाल ये है कि उन्हें ऐसी जानकारी कहाँ से मिल रही है? क्या गरीब पेंशनरों को गलत उम्मीदें देना सरकार की नई पीआर ट्रिक है? अगर ऐसा नहीं है जैसा कि हम पहले बता रहे हैं कि सरकार या ईपीएफओ इन मीडिया के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है।
और इस तरह के संदेशों को पोस्ट करना बंद करने की व्यवस्था करे। अगर संदेश नकली नहीं हैं तो सरकार अधिसूचना क्यों नहीं लेकर आ सकती है ताकि हमें अनावश्यक रूप से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।