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चुनाव के नाम पर घर-परिवार तक नफरती मैसेज, सोशल मीडिया का भरा डस्टबिन, आपके बच्चे भी यही सीख रहे

चुनाव के नाम पर घर-परिवार तक नफरती मैसेज, सोशल मीडिया का भरा डस्टबिन, आपके बच्चे भी यही सीख रहे
  • सूचना क्रांति का दुरुपयोग होने लगा है। दुष्परिणाम इतना ज्यादा हो रहा है एक कॉलोनी में रहने वाले विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग एक दूसरे के प्रति नफरत और घृणा के मैसेज परोस रहे हैं।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। राजनीति का बाजार सजा हुआ है। ज़ुबानी जंग हो रही है। टांग खींचने और अडंगी मारने वालों की कमी नहीं है।
पराए हों या अपने, सोशल मीडिया को कचरे का डिब्बा बना चुके हैं। आपसी संबंध खराब करने की परंपरा निभाई जा रही है। सरकार किसी की भी बने, रिश्ते यहां खराब हो रहे। आपसी भाईचारा बिगड़ते जा रहा है। लोग वोट के खातिर रिश्तों को नीलाम कर रहे।

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चुनाव नजदीक आते ही व्हाट्सएप या सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर एडिट वीडियो की भरमार हो गई है। समर्थक एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप को स्तरहीन बना चुके हैं।

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पार्टी के समर्थक, भूल रहे सामाजिक रिश्ता   

भारत में विभिन्न राजनीतिक दल है और उनके करोड़ों समर्थक भी हैं। लेकिन जैसे ही चुनाव आता है, पुराने वीडियो को एडिट कर सोशल मीडिया में परोसा जाता है। वह भी फेक आईडी से। इसमें बड़े राजनीतिक दल के समर्थक एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए इन एडिट वीडियो को वहां के ग्रुपों में डालते हैं।

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कॉलोनी में रहने वाले हो रहे नफरती 

अक्सर यह देखा गया है कॉलोनी में रहने वालों का वाट्सएप ग्रुप नफरती और दंगाई रूप लेता जा रहा है। वाट्सएप ग्रुप का उद्देश्य सूचना क्रांति में सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान के लिए एक बहुत अच्छा माध्यम, लेकिन अब यह एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए, एक दूसरे को गलत साबित करने के काम में आ रहा है।

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सूचना क्रांति का गलत इस्तेमाल 

इस सूचना क्रांति का दुरुपयोग होने लगा है और इसका दुष्परिणाम इतना ज्यादा हो रहा है एक कॉलोनी में रहने वाले विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग एक दूसरे के प्रति नफरत और घृणा के मैसेज परोस रहे हैं।

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कई ऐसे भी होते हैं, जो बिना पढ़े बिना समझे इन मैसेज को तुरंत फॉरवर्ड कर रहे हैं। अक्सर ऐसे शब्दों का प्रयोग हो रहा है या किया जाता है जो दूसरों को नीचा दिखाने अपमानित करने तक जा रहे हैं।

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अपराध की श्रेणी में आते हैं नफरती वीडियो 

नफरती प्लेटफॉर्म पर कई वीडियो जाने अनजाने अपराध की श्रेणी में आते हैं। कई वीडियो पॉक्सो एक्ट के दायरे में भी आते हैं। एनसीआरबी के रिपोर्ट के आधार पर अपराध पंजीकृत किए जाते हैं और गैर जमानती होते हैं।

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इससे पूर्व में भी इस तरह के कई राजनीतिक वीडियो पर अपराध पंजीकृत किए गए हैं। ज्यादातर धर्म आधारित टिप्पणियां, जातिगत आधारित वीडियो, जो समाज में विभाजन वैमनस्य और दंगा भड़काने की श्रेणी में आते हैं।

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बीएसपी अधिकारी-कर्मचारी भी नफरत की छांव में 

कई बीएसपी अधिकारी एवं कर्मचारी द्वारा दिन भर सोशल मीडिया में लगातार पोस्ट किए जाते रहे हैं, जिसकी शिकायत विभागीय स्तर पर भी की जा रही है। यह देखने के बाद साफ छवि लोग आखिर में पूछ ही लेते हैं, भैया-आपका फुल टाइम जॉब वाट्सएप चलाना है तो पार्ट टाइम क्या काम करते हैं?

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