- विश्वसनीय प्रचार तंत्र यथा देशव्यापी मीडिया द्वारा विभिन्न आयोजित कार्यक्रम का विस्तृत कवरेज का न होना भी असफलता का कारण?
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। EPS 95 National Agitation Committee (NAC) न्यूनतम पेंशन को लेकर 8 साल से संघर्ष कर रहा है। ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति (एनएसी) (EPS-95 National Struggle Committee (NAC)) की मांग सरकार क्यों नहीं स्वीकार कर रही है। आंदोलन सफल होने के बजाय क्यों संकट के दौर से जूझ रहा है। इसको लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। समिति की असफलता पर पेंशनभोगी Kumar Brajesh समेत कइयों ने सवाल उठाए हैं।
NAC द्वारा अब तक की असफलता का मुख्य कारण क्या हो सकता है, इसको विस्तार से बताया गया है। जैसे-अधिकाधिक सांसदों एवं विधायकों के समर्थनों का अभाव। आरएसएस के संघीय विचारों से प्रभावित होने के कारण मौजूदा केंद्रीय नेतृत्व वाली सरकार के प्रति मजबूत विरोध में कमी।
संघर्ष समिति के नेतृत्व में परस्पर विचारों का विरोधाभास एवं एकात्मकता का विकेंद्रीकरण। विश्वसनीय प्रचार तंत्र यथा देशव्यापी मीडिया द्वारा विभिन्न आयोजित कार्यक्रम का विस्तृत कवरेज का न होना।
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इन कारणों पर पेंशनभोगी अपनी राय भी प्रस्तुत कर रहे हैं। पेंशनर्स मिलिंद कुलाबकर का कहना है कि दरअसल जो रनिंग एम्प्लॉइज हैं उनको जागृत करना पड़ेगा, क्योंकि बाद में उनका भी वही हाल होने वाला है।
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विजय कपोटे का मत है कि आंदोलन की असफलता का सबसे बड़ा कारण उंगलियों का न मुड़ना है। सरकार शांति की भाषा नहीं समझती। वहीं, चित्ति प्रसादराव ने कहा-यह सरकार सत्ता पाने के लिए कुछ नहीं कर सकती। सज्जन सिंह बोले-प्रचार तंत्र अर्थात मीडिया का समर्थन न मिलना और विरोध का भी समर्थन न मिलना मुख्य कारण है।
एचआर द्विवेदी का विचार है कि अगर पूरे देश में सभी जगह कंपनी या कार्यालय बंद कर दिए जाएं तो सरकार पेंशन बढ़ाने पर विवश हो जाएगी। श्रमिक संघ और संगठन सभी मिल कर आंदोलन करें। राम शंकर शुक्ला ने पेंशनभोगियों पर ही सवाल उठाया। कहा-75 लाख पेंशनभोगियों में मात्र 1% कर्मचारियों ने योगदान दिया।