- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई है। आवश्यक वस्तुओं के बाजार मूल्य आसमान छू रहे हैं।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। देश की मौजूदा सियासत और पेंशनभोगियों की काफी चर्चा हो रही है। पेंशनभोगी देबाशीष चट्टोपाध्याय का कहना है कि बड़ी संख्या में सार्वजनिक उपक्रम बंद नहीं हो रहे हैं, बल्कि कुछ वफादार और सहज व्यापारियों को दिए जा रहे हैं।
सभी बंदरगाह, हवाई अड्डे अडानी समूह को दे दिए गए हैं। अडानी समूह को भारत सरकार ने कई कोयला खदानें दी हैं। बैंक घाटे में नहीं थे, लेकिन उनका विलय भी किया जा रहा है। सार्वजनिक उपक्रमों के सामाजिक उद्देश्य हैं।
जिसके लिए बैंक, कोयला, कपड़ा, बीमा, तांबा, इस्पात आदि का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिससे मानव समाज की सामाजिक सुरक्षा हुई। बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा हुए। अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुँचाया गया। लेकिन अब हम जो देखते हैं, वह यह है कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई है। आवश्यक वस्तुओं के बाजार मूल्य आसमान छू रहे हैं।
पेंशनभोगी देबाशीष चट्टोपाध्याय कहते हैं कि बेरोजगारी भारतीय इतिहास में अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। आर्थिक नरसंहार शीर्ष स्तर पर है। एक लकवाग्रस्त जीएसटी ने कई छोटे और मध्यम स्तर के उद्यमों को खत्म कर दिया है। अचानक नोटबंदी ने देश के ऑक्सीजन स्तर को गिरा दिया।
इसके अलावा चुनावी बांड और पीएम केयर्स फंड ने समाज के सामान्य जीवन को प्रभावित किया है। इसके विपरीत हम देखते हैं कि सरकारी विभाग सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों को हमेशा डीए और अन्य लाभों के साथ-साथ पेंशन से भरा हुआ रखता है।
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