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RINL का नहीं होगा SAIL में विलय, Non-Strategic Sectors की कंपनी का होगा निजीकरण या बंद

RINL का नहीं होगा SAIL में विलय, Non-Strategic Sectors की कंपनी का होगा निजीकरण या बंद
  • BJP के राज्यसभा सदस्य GVL Narasimha Rao के सवालों का इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने दिया जवाब। विलय की संभावनाओं को किया खारिज।आरआइएनएल को आयरन ओर माइंस आवंटित करने के लिए ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश से चल रही बात, लेकिन कामयाबी नहीं पाई।

अज़मत अली, भिलाई। आरआईएनएल (RINL) का सेल (SAIL) में विलय नहीं होगा। राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (Rashtriya Ispat Nigam) पर केंद्र सरकार ने खुद राज्य सभा में जवा दे दिया है। भाजपा (BJP) के राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिंहा राव (GVL Narasimha Rao) ने इस्पात मंत्री से सीधा सवाल किया कि क्या?
सरकार, आरआईएनएल का सेल (SAIL) में विलय पर विचार करने की इच्छुक है, जो 1.1 लाख करोड़ रुपए का निवेश करके अपनी क्षमता को बढ़ाकर 35 मिलियन टन करने की योजना बना रही है। यदि नहीं, तो आरआईएनएल का विनिवेश करने और सेल (SAIL) में निवेश करने के क्या कारण हैं, जबकि दोनों ही केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र (Central Public Sector) के उपक्रम हैं और इस्पात एक गैर-रणनीतिक क्षेत्र है।

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लौह अयस्क (Iron Ore) की लागत कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के अन्य इस्पात उपक्रमों की भांति आरआईएनएल को लौह अयस्क खानों का आवंटन न किए जाने के क्या कारण है?

इन सवालों का जवाब इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Faggan Singh Kulaste) ने दिया। सरकार की तरफ दिए गए जवाब में कहा गया है कि सेल और आरआइएनएल का विलय नहीं होगा। कोई विचार और प्रस्ताव नहीं है।

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मंत्री ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के लिए भारत सरकार द्वारा अधिसूचित नई सार्वजनिक क्षेत्र उदयम (पीएसई) नीति के अनुसार मौजूदा सार्वजनिक क्षेत्र के उदद्यमों को मुख्यतः रणनीतिक और गैर- रणनीतिक क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है। गैर-रणनीतिक क्षेत्रों (Non-Strategic Sectors) वाले पीएसई (PSE) पर व्यवहार्यता के आधार पर निजीकरण (Privatization) हेतु विचार किया जाएगा।

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अन्यथा ऐसे उद्यमों को बंद किए जाने पर विचार किया जाएगा। नई पीएसई नीति के अनुसार, सरकार ने रणनीतिक विनिवेश के माध्यम से आरआईएनएल की सहायक कंपनियों/संयुक्त उद्यमों में आरआईएनएल की हिस्सेदारी सहित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) में भारत सरकार की शेयरधारिता के 100% विनिवेश (Disinvestment) के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन दिया है।

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आरआईएनएल के कच्चे माल की लागत को कम करने के लिए, इस्पात मंत्रालय (Ministry of Steel) ने आरआईएनएल को घरेलू कोकिंग कोयले (Domestic Coking Coal) और तापीय कोयले की आपूर्ति के लिए कोयला मंत्रालय के साथ इस मामले को उठाया है। साथ ही, इस्पात मंत्रालय ने ओडिशा सरकार (Government of Odisha) से सरकारी कंपनियों को आरक्षण टेकर आरआईएनएल को लौह अयस्क के ब्लॉक के आवंटन हेतु अनुरोध किया है।

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आरआईएनएल ने एमएमडीआर अधिनियम, 2015 की धारा 17क(24) के अंतर्गत लौह अयस्क भंडारों के आरक्षण के लिए खान मंत्रालय, भारत सरकार से सिफारिश करने हेतु ओडिशा, छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) तथा आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) की राज्य सरकारों से अनुरोध किया है। आरआईएनएल राज्य सरकारों द्वारा आयोजित ई-नीलामी के माध्यम से लौह अयस्क के खानों के आवंटन में हिस्सा ले रहा है, लेकिन अभी तक खनन पट्टे को प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाया है।

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कर्ज चुकौती भार के संबंध में, कार्यशील पूंजी संबंधी आवश्यकताओं आदि को सुनिश्चित करने के लिए आरआईएनएल ने प्रतियोगी ब्याज दरों पर नए ऋणों के लिए ऋणदात्री बैंकों के साथ इस मामले को उठाया है।