- सोशल मीडिया पर पेंशनर्स ने लिखा-कमांडर साहब को विश्वास है कि भारत की सरकार ने विश्वास दिलाया है कि 90 दिनों के भीतर हमारे पेंशनर्स की न्यूनतम बढ़ी हुई पेंशन लागू कर दी जाएगी।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन की आस अब भी बरकरार है। पेंशनर्स उम्मीद नहीं छोड़े हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि 1000 रुपए पेंशन को सरकार साढ़े 7 हजार रुपए कर देगी। अब देखना यह है कि सरकार यह फैसला लेती है या नहीं…।
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Faridabad के पेंशनर्स Indranath Thakur ने सोशल मीडिया पर लिखा-चन्द दिनों बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएंगी। शीतकालीन संसद की 17 वीं लोकसभा का अवसान भी हो चुका है। किन्तु भारत के 78 लाख सेवानिवृत्त ईपीएस 95 के बुजुर्गों की न्यूनतम पेंशन के निर्धारण के समस्या का अबतक समाधान नहीं हो पाया है।
यह सच है कि कमांडर अशोक राउत ने आन्दोलन को राष्ट्र व्यापी बनाया है। प्रधानमंत्री पर भी विश्वास किया जा सकता है। इस हालात में भी दिल्ली में हमारे आन्दोलन कर रहे साथी नारा बुलन्द करते हुए दिखाई देते हैं, “ये अन्दर की बात है कि मोदी हमारे साथ है।”
कमांडर साहब को विश्वास है कि भारत की सरकार ने विश्वास दिलाया है कि 90 दिनों के भीतर हमारे पेंशनर्स की न्यूनतम बढ़ी हुई पेंशन लागू कर दी जाएगी। NAC के प्रतिनिधियों को शीर्ष नौकरशाहों ने समस्या के समाधान के लिए टॉप लेवल कमेटी में सहभागिता का न्योता दिया है।
पेंशनर्स ने लिखा-CBT में क्या निर्णय हुआ है? अनेक साथियों ने जिज्ञासा की है। अरे भाई, CBT के प्रधान तो हमारे श्रम मंत्री जी स्वयं हैं। अगर मंत्रिमंडल और विशेषतः मोदीजी प्रधानमंत्री हमारे हित में फैसला लेना चाहते हैं तो आखिर नौकरशाही कितनी देर अड़ंगा लगा सकता है?
लेकिन पानी का तो पनबट्टी से ही बहना होता है। एक बात और सुनने में आ रही है। कमेटी NAC नेतृत्व से 7500+ DA लागू करने के लिए दो चार सुझाव के लिए तरीका खोजने में लगी है। जिसे अमली जामा कैसे पहनाया जाए।
जैसे, यदि 7500 न्यूनतम पेंशन होगी तो 1000 पर 6500 की बढ़ोत्तरी हुई। इसलिए जिनको जितनी रकम अभी पेंशन दिया जाता है, सबके पेंशन में 6500 अधिक जोड़ देने से उनके पेंशन की रकम तय हो सकती है। उसके ऊपर DA जो बनता है, दिया जाए।
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Indranath Thakur ने कहा-जो भी हो, कमांडर अशोक साहब तो नेवी के रिटायर्ड अधिकारी हैं, जिन्हें स्वयं पर्याप्त पेंशन मिलता है। उन्हें तो हमारे पेंशन फार्मूला से कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं मिलना है।
हमारे नायक को मोदीजी पर पूरा भरोसा है। उन्हें राजनीति से कोई मतलब नहीं है। जैसा कि ट्रेड यूनियन के नेताओं में पाया जाता है। इसलिए तो यह आन्दोलन सामाजिक आन्दोलन है, जो किसी राजनैतिक दलों के स्वार्थ से ग्रसित नहीं है। फिर भी यदि सरकार हमारे हितों की रक्षा नहीं करती है तो हमारे संघर्ष के लिए द्वार खुले रहेंगे। CWC कमेटी राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेगी तथा तदनुसार मतदान में भाग लेगी।
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