White Tiger: मैत्रीबाग की सफेद बाघिन रक्षा के 3 बच्चों का नामकरण होगा 15 अगस्त को, आप भी बताएं नाम

  • पशु चिकित्सा मानदंडों के अनुसार, स्तनपान और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए शावकों को मां के साथ एक अंधेरे कमरे में रखा गया है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्रीबाग जू में अप्रैल में जन्में सफेद बाघिन ‘रक्षा’ के तीन शावकों का नामकरण 15 अगस्त को किया जाएगा। नामकरण के बाद अगस्त अंत में ही इन्हें आम जनता के समक्ष लाया जाएगा। बीएसपी प्रबंधन को आप भी नाम का सुझाव दे सकते हैं। संयंत्र के मैत्रीबाग प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार इन शावकों को 4 माह तक आम जनता और बाहरी परिवेश से दूर मां ‘रक्षा’ की देखरेख में रखा जाएगा।

मैत्रीबाग में लगभग 1 साल बाद वास्तव में कुछ असाधारण हुआ है। बहुमूल्य सफेद बाघों में से एक ने, एक नहीं बल्कि 3 शावकों को जन्म दिया है। छह वर्षीय सफेद बाघिन ‘रक्षा’ ने 28 अप्रैल 2023 को 03 शावकों को जन्म दिया। साफ बाघ ‘सुल्तान’ और रक्षा से तीन शावकों का जन्म हुआ है। वन्यजीव विशेषज्ञ, भिलाई मैत्री बाग प्रभारी एवं उप महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ एनके जैन ने बताया कि इन शानदार प्राणियों को करीब से देखना और जन्म से वयस्क होने तक की उनकी यात्रा को देखना सौभाग्य और रोमांच की बात है।

मौजूदा समय में मैत्री बाग में सफेद बाघों की कुल संख्या 09 हो गई है। जन्म के 4 महीने बाद ही शावकों को पर्यटकों के देखने के लिए रखा जाएगा। इन शावकों का नामकरण 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर संभावित है।

पशु चिकित्सा मानदंडों के अनुसार, स्तनपान और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए शावकों को मां के साथ एक अंधेरे कमरे में रखा गया है। एक दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति राजसी सफेद बाघ और उनके नन्हें शावकों अपने आकर्षक धारियों, सफेद रंग और चमकदार नीली आंखों के साथ बहुत ही प्यारे लग रहे थे।

मनमोहक शावकों को आरामदायक मांद में अठखेलियां करते देख अत्यंत हर्ष होता है। अपने मुलायम पंजों के साथ वे चंचलतापूर्वक अपने आस-पास के हर कोने की खोज करते हैं। ऐसे आकर्षक जीव के समक्ष आना, ना केवल हमारे दिलों को जोश और उत्साह से भर देता है, बल्कि इन असाधारण प्रजातियों की सुरक्षा और संरक्षण के महत्व की भी याद दिलाता है।

युवा शावकों की देखभाल करते समय बाघिन मां अत्यधिक सतर्क और गुप्त रहना पसंद करती है, इसलिए गुफा जैसा माहौल बनाने, घूमने और पर्याप्त जगह बनाने के लिए बाघिन और नन्हे शावकों को नियंत्रित प्रकाश व्यवस्था के साथ एक अलग बाड़े में रखा गया है।

बाघिनें जन्म के बाद, पहले कुछ दिनों तक अपने शावकों की देखभाल में लगभग अपना 70 प्रतिशत समय व्यतीत करती है। बाघिन मां नियमित रूप से शावकों को केवल थोड़े समय के लिए खाने-पीने के लिए छोड़ती है और प्रशिक्षण भी देना शुरू कर दिया है, जिससे शावक लगभग 4 माह बाद पूर्ण रूप से मांस खाना सीख जाएंगे।

शावक अपना समय भाई-बहनों के साथ खेलने, उछल-कूद करने में बिताते हैं, जिससे शावकों को उनके अनुकूल, उपयोगी जीवनशैली हेतु कौशल विकसित करने में मदद मिलती है। मैत्री बाग की एक प्रशिक्षित टीम चौबीसों घंटे मां और शावकों पर नजर रखे हुए है और उनकी देखभाल में लगे हुए हैं। इस बीच यह सुनिश्चित किया गया है कि उनके आसपास कोई अशांति या अव्यवस्था ना हो।

शावकों के पर्याप्त पोषण और स्वस्थ विकास और बेहतर दूध देने को सुनिश्चित करने के लिए मां को भरपूर पानी, विशेष विटामिन और कैल्शियम युक्त पौष्टिक भोजन दिए जा रहे हैं। लगभग साढ़े तीन महीने की गर्भावस्था के दौरान, बाघिन रक्षा को उसके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी के लिए पशु चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा नियमित रूप से प्रशासित किया जा रहा था।

बाघ के बच्चे तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। गर्मी के मौसम को देखते हुए मां और शावकों को बढ़ती गर्मी से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। मां और शावकों को ठंडा करने के लिए बाड़े के अंदर कृत्रिम फव्वारा और कूलिंग स्ट्रॉ मैट लगाए गए थे। मानसून की शुरुआत के साथ शावकों को नमी-जनित त्वचा संबंधी संक्रमणों से बचाने के लिए पूरी तरह से सफाई प्रक्रियाएं भी लागू की गई है।

जानिए मैत्रीबाग में व्हाइट टाइगर का सफर
1997 में सफेद बाघ के एक जोड़े-तरुण और तापसी को पहली बार पड़ोसी राज्य ओडिशा के नंदन-कानन चिड़ियाघर भुनेश्वर से मैत्री बाग स्थानांतरित किया गया था, जिसने 1999 में 4 सफेद बाघ शावकों को जन्म दिया था। मैत्री बाग, जानवरों के बेहतर देखभाल के साथ बाघों के संरक्षण और प्रजनन में सक्रिय रूप से शामिल है।

अनुकूल वातावरण के कारण यहां सफेद बाघ का वंश लागातार बढ़ रहा है। पूर्व में मैत्री बाग में 12 से भी अधिक सफेद बाघों का प्रजनन कराया गया है और उक्त प्रजनन क्षमता एवं वंश वृद्धि के दृष्टिगत ही पूरे देश के चिडियाघरों में मैत्रीबाग के सफेद टाइगर चर्चे में हैं।

मैत्रीबाग प्रबंधन ने सेंट्रल जू ऑथोरिटी के नियमानुसार, देश के 5 से भी अधिक चिड़ियाघरों के साथ आदान-प्रदान किया है। जिसमे मुकुंदपुर, लखनऊ, नागपुर, राजकोट और बोकारो चिड़ियाघर शामिल है। भिलाई मैत्री बाग सफेद बाघों की सबसे अधिक संख्या के साथ भारत के शीर्ष चिडियाघरों में से एक है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश का रीवा जिला भी सफेद बाघों के लिए प्रसिद्ध है। गर्व की बात है कि सफेद बाघों की मांग मौजूदा समय में मैत्री बाग के द्वारा ही पूरी की जा रही है।