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EPS 95 पेंशनर्स को क्यों नहीं राशन, घर, शौचालय, बिजली-पानी और आयुष्मान भारत का लाभ, कहां है मोदी की गारंटी…

EPS 95 पेंशनर्स को क्यों नहीं राशन, घर, शौचालय, बिजली-पानी और आयुष्मान भारत का लाभ, कहां है मोदी की गारंटी…
  • प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी समस्या के समाधान के लिए आंदोलन कर रहे नायक अशोक राउत को दो-दो बार आश्वासन दे चुके हैं।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95, Minimum Pension) को लेकर तरह-तरह की बात की जा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले पेंशनर्स को लाभ मिलेगा या नहीं। पेंशनर्स की बात सरकार क्यों नहीं सुन रही है। 1000 रुपए की पेंशन को साढ़े 7 हजार रुपए कब होगी?

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इन तमाम सवालों को समेटे पेंशनर्स Indranath Thakur ने मन की बात की। उन्होंने पोस्ट में लिखा-अपने देश भर के तमाम असंगठित, पब्लिक अंडरटेकिंग के सेवानिवृत्त बुजुर्ग भाई और बहनों…!

यह सत्य है कि हमने कल के राष्ट्रनिर्माण में अपना खून-पसीना बहाने में तत्पर वंधु आज रुग्ण, वृद्ध और समाज से उपेक्षित हो चुके हैं, जिसे हमारे परिवारजनों, अपने संतानें तथा देश के राजनीतिक दलों ने भी असहाय छोड़ देना मुनासिब माना है।

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एक रिटायर्ड फौजी अशोक राउत ने लगातार विगत आठ सालों से बिना विश्राम किए हम सेवानिवृत्त बुजुर्गों का नेतृत्व प्रदान किया है, हमें आवाज प्रदान की है।

उन्हें क्या? उन्हें तो अपने परिवार का ध्यान रखने के लिए पर्याप्त पेंशन मिलता है। फिर भी उस सहृदय व्यक्ति ने देश समाज और सरकार को हमारी करुण सामाजिक स्थिति, विपन्नता, गिरते हुए स्वास्थ्य तथा हमारी आर्थिक-सामाजिक बदहाली को अपने अथक परिश्रम से देश-दुनिया को ध्यानाकर्षित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

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यह कैसी आज़ादी है भाई!  कि कल के राष्ट्रनिर्माण में सूखी रोटियों पर पलकर, अभाव में, इमानदारी से अपने परिवार का  पोषण करने वाले हम बुजुर्ग सेवादारों के लिए राष्ट्रीय सरकार- नौकरशाही बेपरवाह सो रहे हैं। अपने छल प्रपंच की दुनिया में मसगूल बैठे हैं।

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आचार संहिता लगते ही उम्मीद टूट जाएगी

पेंशनर्स ने दुख प्रकट करते हुए लिखा-हमारे लाखों साथी अभाव और रुग्णता के कारण मृत्यु को प्राप्त कर गए हैं। अब जब कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए उद्धोषणा एवं आचार संहिता लागू हो जाएगी, हमारी समस्याएं ज्यों की त्यों unresolved छूट जाने वाली है।

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पीएम मोदी का आश्वासन और हकीकत

यह भी सत्य है कि वर्तमान देश की राजनीति में एक मात्र व्यक्तित्व प्रधानमंत्री मोदी हैं, जिसने हमारी समस्या के समाधान के लिए हमारे नायक अशोक राउत को दो-दो बार आश्वासन दिया था। मगर कहां है “मोदी की गारंटी”?  हर पेंशनर्स को यही चिन्ता हो  रही है। जो स्वाभाविक भी है।

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अंतरिम सहायता बहाली करें

पेंशनर्स ने लिखा-हमें तो भारत के पुनरुत्थान की कथा के व्यासपीठ पर बैठे मोदी जी को दो तिहाई बहुमत लाने में सहयोग करना ही है।

किन्तु हम सत्य को सम्मुख रखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी से स्पष्ट दो टूक कहना चाहते हैं कि हम और हमारे करोड़ों परिजन आप के ‘गारंटी’ को तभी स्वीकार करेंगे जब आप हमारी मांगों को अगर लागू नहीं कर पा रहे हैं तो हमें आचार संहिता की घोषणा से पहले “अंतरिम सहायता”  बहाली करें,क्योंकि आपको हमारा विश्वास जीतना पड़ेगा।

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न्यूनतम पेंशन 10,000+DA की उठी आवाज

श्रम संगठन और राजनैतिक दलों से दूर रखकर हमारे सामाजिक आन्दोलन के स्वरूप की रक्षा करनी चाहिए, जो अराजनैतिक सामाजिक आन्दोलन है। न्यूनतम वेतन सरकार अगर 26000 /- स्वीकार करती है, तो हम EPS 95 के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का न्यूनतम पेंशन 10,000+DA देनी होगी। ताकि बार-बार हमें आन्दोलित नहीं होना पड़े।

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बुजुर्गों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिले

यह कैसी विडम्बना है कि एक हजार पेंशन देकर हमें उन तमाम सुविधाओं से वंचित किया जाता है जो भारत के प्रत्येक गरीबों को दिया जाता है। यह सरासर नाइंसाफी है।

क्या राशन, घर, शौचालय, बिजली-पानी और आयुष्मान भारत की हमारी सारी सुविधाएं एक हजार के पेंशन के बदले छीनी नहीं गई हैं? क्या हमें अपने घर समाज और राष्ट्र के काम के लिए जीवन खपाने के बदले दंडित किया जाना चाहिए? इसलिए हमारे रुग्ण मरते हुए बुजुर्गों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा तो अविलंब बहाल की जानी चाहिए।

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