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ईपीएफ का अंशदान पहले 12% था, अब घटाकर 10% कर दिया जा रहा, इससे मजदूरों को मासिक 4% का नुकसान होगा।
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व्यापक अभियान, कन्वेशन के जरिए हड़ताल का संदेश हर मजदूर तक पहुंचाएं।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने श्रम संहिता वापसी सहित 23 सूत्रीय मांगों पर मजदूर किसानों की देशव्यापी हड़ताल का दम भरा। इस हड़ताल में 20 करोड़ से अधिक मजदूर, किसानों के शामिल होने का दावा किया गया।
मंच के संयुक्त मंच के छत्तीसगढ़ संयोजक धर्मराज महापात्र ने बताया कि इंटक, एचएमएस, एटक, सीटू, एक्टू, एआईबीईए, सीजेडआईई, बीएसएनएलईयू, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ, केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के पदाधिकारी शामिल हुए। भिलाई स्टील प्लांट इंटक ठेका यूनियन के अध्यक्ष संजय साहू, एक्टू महासचिव बृजेंद्र तिवारी आदि शामिल हुए।
नेताओं ने कहा-भाजपा की केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान जब देश की जनता जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी, मजदूरों के 44 श्रम कानूनों में से 29 प्रभावशाली कानूनों को खत्म कर चार नए लेबर कोड (श्रम संहिता) बनाए। इन चार नए श्रम संहिताओं के लागू होने पर मजदूरों ने अपने संघर्षों और बलिदानों से जो श्रम कानून हासिल किये थे।
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भाजपा सरकार ने उसे खत्म कर दिया। सरकार ने यूनियन बनाना, पंजीकरण करवाना लगभग असंभव कर दिया और अगर यूनियन बन भी गई तो सरकार उसे कभी भी खत्म कर सकती है। धरना, प्रदर्शन और हड़ताल करने पर भारतीय न्याय संहिता (IPC) की धारा 111 के तहत जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
स्थाई रोजगार की जगह, बीजेपी सरकार निश्चित अवधि, प्रशिक्षु, आउटसोर्स, और हर काम का ठेकाकरण नया फरमान ले आई है। स्थाई नौकरी ना होने पर मजदूर अपने अधिकार के लिए लामबंद नहीं हो सकेंगे और ग्रेच्युटी व अन्य लाभों से वंचित हो जाएँगे। बिना नोटिस के मजदूरों को नौकरी से निकाला जा सकता है।
कारखाने में 40 से कम मजदूर होने पर न्यूनतम वेतन, ई.पी.एफ, व अन्य श्रम कानून लागू नही होंगे। महिलाओं को कारखानों में रात की पाली में भी काम में लगने की अनुमति होगी, जो पहले नहीं था। कारखानों में मजदूरों के लिए काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए।
भाजपा के मित्र उद्योगपति तो दिन में 15 घंटे काम की न केव वकालत कर रहे हैं, बल्कि उसे औचित्यपूर्ण बताकर ऐसा प्रावधान की मांग उठा रहे हैं, याने मजदूर अपनी पूरी देह गलाकर केवल उनके लिए मुनाफे पैदा करे यह उनकी सोच है। ईपीएफ का अंशदान पहले 12% था, अब घटाकर 10% कर दिया जा रहा, इससे मजदूरों को मासिक 4% का नुकसान होगा।
केन्द्र की भाजपा सरकार बिजली बोर्ड, बीमा, बैंक, बंदरगाहों, राष्ट्रीय राज्य मार्गों आयुध निर्माणियों, एफआरआई, रेलवे आदि का निजीकरण कर रही है और अपने चहेते उद्योगपतियों अडानी, अंबानी, टाटा, बिडला और कुछ अन्य उद्योगपतियों को देश की संपदा कौड़ियों के भाव बेच रही है। स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य सरकार ने प्राइवेट कंपनी को दे रखा है। स्मार्ट मीटर के रुप में 10000 रुपए के करीब बिजली उपभोक्ता से वसूले जाएँगे।
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छत्तीसगढ़ के श्रमिक वर्ग और मेहनती आवाम, कर्मचारी साथी, आम नागरिक बंधुओं से इसलिए हम इस हड़ताल को प्रदेश में अभूतपूर्व रूप से सफल बनाने की अपील करते हैं। अपील की गई है कि व्यापक अभियान, कन्वेशन के जरिए हड़ताल का संदेश हर मजदूर तक पहुंचाएं, 8 जुलाई को प्रदेश भर में मशाल जुलूस/ केंडल मार्च/ मोटर साइकल रैली आयोजित करें और 9 जुलाई की आम हड़ताल ने शामिल हों।
ट्रेड यूनियनों की मांग-
1. श्रमिक विरोधी श्रम संहिता वापस लो .
2. सभी श्रमिकों को 26000/- न्यूनतम मजदूरी दो और हर पांच साल में न्यूनतम मूल्य सूचकांक के साथ संशोधन सुनिश्चित करो.
3. सार्वजानिक क्षेत्र का निजीकरण, विनिवेशीकरण रद्द करो . ठेकाकरण, संविदाकरण, आउट्सोर्सिंग बंद करो.
4. रिक्त पदों पर भर्ती प्रारम्भ करो, बेरोजगारों को बेरोजगारी का भत्ता दो
5. भारतीय श्रम सम्मलेन जल्द आयोजित करो
6. सभी के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करो, ई पी एस के तहत 9000 रूपये न्यूनतम तथा जो किसी योजना में नहीं है उन्हें 6000 रूपये मासिक पेंशन दो
7. रेल, सड़क परिवहन, कोयला, इस्पात, बंदरगाह, रक्षा, बैंक, बीमा, बिजली, पेट्रोलियम, डाक दूरसंचार के निजीकरण पर रोक लगाओ, एन एम् पी योजना वापस लो, बीमा क्षेत्र में 100% एफ डी आई बढ़ाने और समग्र बीमा कानून में संशोधन का प्रस्ताव वापस लो
8. ठेका मजदूरों सहित सभी मजदूरों, कर्मचारियों को सामान काम के लिए समान वेतन दो
9. 8 घंटे के कार्यदिवस पर सख्ती से अमल करो
10. आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, सहायिका, मितानिन, मध्यान्ह भोजन कर्मी, स्कूल सफाई कर्मी, गिग और अन्य प्लेटफार्म श्रमिक को भी श्रमिक का दर्जा दो और उन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ दो
11. मनरेगा में 200 दिनों का काम और मजदूरी में वृद्धि सुनिश्चित करो
12. शिक्षा का व्यापारीकरण / निजीकरण रोको
13. शहरी गरीबों को भी मनरेगा का लाभ दो
14. किसानों को सी 2 फार्मूला के तहत लागत के 50% प्रतिशत जोड्कर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दो.
15. कृषि उपज की खरीद की गारंटी दो, प्राकृतिक आपदा में उन्हें सहायता के लिए कोष का निर्माण करो
16. प्रवासी मजदूरों के लिए 1979 के कानून को पुनर्जीवित करो
17. योजना कर्मियों के लिए श्रम सम्मलेन की सिफारिश लागू कर न्यायालय के निर्देश अनुरूप उन्हें ग्रेच्यूटी भुगतान करो
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