जूनियर इंजीनियर पदनाम पर बवाल: BSP की यूनियनों संग आपात बैठक, NEPP से नुकसान, चार्जमैन पर संकट

– पहले नई पदोन्नति नीति (NEPP) की पुनः समीक्षा हो।
– 15000 कर्मियों पर अतिरिक्त कार्य बोझ थोप दिया गया है एवं कई वरिष्ठ कर्मियों से उनके पदोन्नति का अधिकार छिन गया है।
– सेल कॉर्पोरेट प्रबंधन के आदेश की जानकारी देने भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा शनिवार को सभी यूनियन नेताओं के साथ बैठक की।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। जूनियर इंजीनियर पदनाम से संबंधित सेल कॉर्पोरेट प्रबंधन के आदेश की जानकारी देने भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा शनिवार को सभी यूनियन नेताओं के साथ बैठक की। सीजीएम पर्सनल संदीप माथुर ने यूनियन नेताओं को सेल का पक्ष बताया।
सीटू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पहले अपारदर्शी तरीके से जारी एवं गोपनीय तरीके से लागू की गई नई पदोन्नति नीति की समीक्षा होनी चाहिए, क्योंकि इसी के दायरे में सम्मानजनक पदनाम से संबंधित आदेश को लागू किए जाने का निर्देश कार्पोरेट कार्यालय से आया है, ताकि कर्मियों एवं उनके यूनियन प्रतिनिधियों को इससे होने वाली लाभ हानि की जानकारी मिले।

पुराने एलओपी के कई वरिष्ठ कर्मी हुए थे पदोन्नति से वंचित
संशोधित नई पदोन्नति नीति (Revised NEPP) के अनुसार पुराने सभी एलओपी को मिलाकर सिर्फ चार सिंगल लाइन एलओपी बनाया गया है एवं सभी पदनाम को समाप्त कर मात्र चार पदनामों में समाहित कर दिया गया है।

क्लस्टर: ग्रेड-पदनाम
A: S1-S2-अटेंडेंट कम टेक्नीशिन
B: S3-S5-ऑपरेटर कम टेक्नीशियन
C: S6-S8-मास्टर ऑपरेटर/ मास्टर टेक्नीशियन
D: S9-S11-चीफ मास्टर ऑपरेटर/ चीफ मास्टर टेक्नीशियन

पहले प्रत्येक विभाग में कार्य की विशेष प्रकृति के अनुरूप अलग-अलग एलोपी थी
सीटू नेता एसपी डे का कहना है कि सभी एलोपी को मिलाकर सिंगल लाइन एलोपी बनाए जाने, से जो कर्मी पुराने एलोपी के सी सी या डी कलस्टर में वरिष्ठ होने के नाते चार्ज में पद के योग्य थे, वे चार्जमेन के अयोग्य हो गए, क्योंकि चारजमैन पद को भविष्य के लिए समाप्त कर दिया गया।

चार्ज मेन पद विलोपित करना अनुचित
भिलाई इस्पात संयंत्र में चारजमैन का पद एक महत्वपूर्ण पद है। निरंतर उत्पादन प्रक्रिया वाले विभागों में यह पद ड्यूटी पोस्ट है अर्थात इस पद पर हर समय किसी न किसी व्यक्ति की ड्यूटी रहती है। यह एक ऐसा पद है जिस पर विभिन्न कार्यों के बीच समन्वय बनाए रखने के साथ-साथ उच्च प्रबंधन के साथ समन्वय भी बनाए रखने की जिम्मेदारी रहती है। समन्वय में थोड़ी सी भी त्रुटि होने से अर्थात मिसकम्युनिकेशन होने से परिणाम विध्वंसक हो सकता है। ऐसे महत्वपूर्ण पद को समाप्त कर देना समझ से परे है।

शिफ्ट के वरिष्ठ कर्मी पर होगी समन्वय की अतिरिक्त जिम्मेदारी
संशोधित पदोन्नति नीति के अनुसार शिफ्ट में जिस दिन जो कर्मी वरिष्ठ होगा उन्हें रिकॉर्ड रखने, उच्च प्रबंधन के साथ संपर्क करने लॉग बुक लिखने आदि कार्य करना होगा। यह कार्य जिम्मेदारी एवं दक्षता का कार्य है, जो वर्तमान में चार्जमैन द्वारा किया जाता है, जिसमें निरंतरता की अत्यंत आवश्यकता है । यदि सूचना के आदान-प्रदान या समन्वय में थोड़ी सी भी चूक हुई तो परिणाम घातक हो सकता है। अतः यह कार्य आकस्मिक तौर पर किसी भी वरिष्ठ कर्मी पर थोपना ना केवल अनुचित है बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी घातक है। इससे कर्मियों पर अतिरिक्त बोझ भी बढ़ेगा और वे तनाव में रहेंगे।

पात्रता की शर्तों को बढ़ाई गई पदोन्नति के लिए पात्रता की शर्तों को भी बढ़ा दी गई
पहले सिर्फ विगत 1 वर्ष में सी ग्रेड पाने वाले कर्मचारी ही पदोन्नति पाने के लिए अपात्र होते थे, किंतु नई नीति के अनुसार विगत 3 वर्षों में किसी भी 1 वर्ष में सी ग्रेट पाने वाले कर्मचारियों के अलावा तीनों वर्ष यदि किसी भी कर्मचारी को बी ग्रेड प्राप्त हुआ है वह भी पदोन्नति के लिए अपात्र होगा। इन शर्तों से अधिकारियों को अपनी व्यक्तिगत इच्छा के अनुसार किसी भी कर्मचारी को पदोन्नति से वंचित रखने या पदोन्नति देने का अधिकार मिल जाएगा, जो किसी भी तरह संयंत्र के हित में नहीं होगा।

लगभग 250 कर्मी ही हुए थे लाभांवित
नई संशोधित पदोन्नति नीति से मात्र लगभग ढाई सौ कर्मियों को ही लाभ होगा। इस नीति के अनुसार वैकेंसी रहे या ना रहे क्लस्टर ए से क्लस्टर बी तथा क्लस्टर बी से क्लस्टर सी में पदोन्नति 3 वर्ष में पदोन्नति होगा। इसी कंडिका को कर्मियों को होने वाले लाभ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है किंतु वास्तविकता यह है कि क्लस्टर ए एवं क्लस्टर बी के अधिकांश कर्मियों के पास आईटीआई या डिप्लोमा जैसे तकनीकी योग्यता होने के कारण वे पहले से ही 3 वर्ष में क्लस्टर ए से बी तथा क्लस्टर बी से सी में पदोन्नति पाने की पात्रता रखते हैं।

अतः संशोधित पदोन्नति नीति से उन्हीं कर्मियों को लाभ मिलेगा जिनके पास कोई तकनीकी योग्यता नहीं है एवं वर्तमान में एस-2 या एस-5 ग्रेड में पहुंच गए हैं। ऐसे कर्मियों की संख्या लगभग ढाई सौ है। इस लाभ के बदले में 15000 कर्मियों पर अतिरिक्त कार्य बोझ थोप दिया गया है एवं कई वरिष्ठ कर्मियों से उनके पदोन्नति का अधिकार छिन गया है।