- 2011 के पर्क्स को लेकर काफी देर तक मंथन हुआ। कोर्ट की लड़ाई और फैसलों का जिक्र हुआ।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। केंद्रीय सरकार (Central Govt) के उद्योग भवन में सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर (SEFI Chairman Narendra Kumar Banchhor) एवं उपाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह (Vice President Narendra Singh) की इस्पात सचिव नागेन्द्र नाथ सिन्हा के कार्यालय में बैठक हुई। इस बैठक में सेफी पदाधिकारियों ने सर्वप्रथम श्री सिन्हा को 29 अधिकारियों के निलंबन समाप्ति करने पर धन्यवाद ज्ञापित किया।
साथ ही इस्पात क्षेत्र (Steel Area) के सभी सार्वजनिक उपक्रमों का मर्जर, सेल के अधिकारियों के 2008-09 के 11 माह के पर्क्स का एरियर्स जैसे विषयों पर चर्चा की गई। इसके अलावा डीपीई के सेक्रेटरी को वित्तीय वर्ष 2018-19 के इंक्रीमेंटल पीआरपी (Incremental PRP) भुगतान के लिए ज्ञापन सौंपा गया। मर्जर-पार्टनशिप के लिए सेल,आरआएनएल, मेकॉन, नगरनार, एफएसएनएल आदि को लेकर भी चर्चा की गई है।
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11 माह के पर्क्स की राशि के भुगतान हेतु सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर (SEFI Chairman Narendra Kumar Banchhor) ने इस्पात सचिव नागेन्द्र नाथ सिन्हा से विस्तृत चर्चा की। सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सबसे पहले सेफी ने सेल में 11 माह के पर्क्स की राशि के भुगतान हेतु माननीय कैट के समक्ष केस दायर किया था। जिसमे कैट ने सेफी के पक्ष में आदेश दिया था।
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सेल प्रबंधन (SAIL Management) ने कैट के आदेश को उच्च न्यायालय कोलकाता (High Court Kolkata) में चुनौती दी थी। 13 सितंबर, 2023 को सेल की रिट याचिका को कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने खारिज कर दिया। जिसके फलस्वरूप अधिकारियों को अपने वाजिब हक की राशि मिलने का रास्ता साफ हो गया।
सेफी चेयरमेन ने इस्पात सचिव नागेन्द्र नाथ सिन्हा जी से इंक्रीमेंटल पीआरपी पर चर्चा करते हुए सेल में पी.आर.पी. की गणना में इंक्रिमेंटल लाभ को डीपीई के दिशानिर्देशों के अनुरूप समायोजित करने की अनुशंसा करने का आग्रह किया है। इस्पात सचिव ने सभी मुद्दों को विस्तारपूर्वक सुना और समूचित कार्यवाही का भरोसा दिया।
नरेन्द्र कुमार बंछोर (Narendra Kumar Banchhor) ने बताया कि सेफी इस्पात बिरादरी की मांगों को निर्णायक पटल के समक्ष सदैव पहुंचाती रही है। सेफी आशांवित है कि शीघ्र ही इस्पात क्षेत्र से निजीकरण की आशंका समाप्त होगी और अधिकारियों को उनके अपेक्षा अनुरूप 11 माह के पर्क्स का एरियर्स तथा इंक्रीमेंटल पीआरपी का भुगतान किया जाएगा।
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