- जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग के सचिव रविशंकर सिंह ने खुद शिकायत की है।
- बीआईटी ट्रस्ट आयुक्त स्वयं कलेक्टर दुर्ग हैं तथा मुख्य ट्रस्टी में भिलाई इस्पात संयंत्र के डायरेक्टर इंचार्ज हैं।
- भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) दुर्ग में पिछले कुछ वर्षों से ट्रस्ट संचालन में गंभीर अनियमितता का आरोप।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) दुर्ग के ट्रस्ट में व्याप्त अनियमितताओं की जांच और जबरन सेवानिवृत्ति की परंपरा पर रोक लगाने की मांग कलेक्टर दुर्ग से की गई है। जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग के सचिव रविशंकर सिंह ने खुद शिकायत की है। धांधली का आरोप लगाया गया है।
अधिवक्ता रविशंकर सिंह ने बताया कि भिलाई इस्पात संयंत्र की जमीन पर स्थापित एवं ट्रस्ट के माध्यम से संचालित भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) दुर्ग में पिछले कुछ वर्षों से ट्रस्ट संचालन में गंभीर अनियमितताएँ परिलक्षित हो रही हैं।
बीआईटी ट्रस्ट आयुक्त स्वयं कलेक्टर दुर्ग हैं तथा मुख्य ट्रस्टी में भिलाई इस्पात संयंत्र के डायरेक्टर इंचार्ज हैं। इसके अतिरिक्त अन्य ट्रस्टीगण भी नामित हैं। विगत वर्षों से ट्रस्ट की नियमित बैठकें आयोजित नहीं हो रही है। महज दो व्यक्तियों द्वारा फोन अथवा निजी चर्चा के माध्यम से ट्रस्ट संचालन किया जा रहा है, जो कि पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दृष्टि से अत्यंत चिंताजनक है।
ट्रस्ट द्वारा संचालित बीआईटी कालेज में वर्तमान में प्रचलित सेवानिवृत्ति की आयु नीति भी राज्य शासन एवं एआईसीटीई (AICTE) के मापदंडों के प्रतिकूल है। विदित हो कि राज्य शासन के समस्त विभागों में सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष निर्धारित है। उच्च शिक्षा विभाग एवं सहकारिता विभाग में भी शासन के निर्देशों के अनुसार सेवानिवृत्ति 62 वर्ष में की जाती है। यूजीसी (UGC) के अधीन आने वाले शिक्षकों हेतु यह आयु 65 वर्ष है।
एआईसीटीई की अधिसूचना अनुसार सभी संबद्ध निजी तकनीकी संस्थानों हेतु भी यही मानक लागू हैं। परंतु बीआईटी दुर्ग में 60 वर्ष की आयु पूरी होते ही वरिष्ठ प्राध्यापकों पर अनैतिक दबाव बनाकर उनसे सेवानिवृत्ति का आवेदन लिखवाया जाता है।
इससे योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों को समयपूर्व संस्थान से बाहर किया जा रहा है। यह परंपरा न केवल नियम विरुद्ध है, बल्कि गुणवत्ता पूर्ण तकनीकी शिक्षा को भी प्रभावित करती है। कालेज के ही कुछ पूर्व छात्र और वर्तमान छात्रों ने योग्य प्राध्यापकों को जबरन सेवानिवृत्त किए जाने पर रोष व्यक्त किया है।
कलेक्टर महोदय से विनम्र आग्रह ये है कि:
1. बीआईटी ट्रस्ट की संरचना, बैठक प्रक्रिया एवं संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु जांच कराई जाए।
2. संस्थान में प्रचलित जबरन सेवानिवृत्ति की परंपरा पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए तथा संबंधित नियामकीय प्रावधानों के अनुरूप नीति निर्धारित कर लागू की जाए।
मैनेजमेंट कोटा में भी बीएसपी कर्मियों के साथ कोई रियायत नहीं
गौरतलब है कि भिलाई इस्पात संयंत्र की ज़मीन पर ट्रस्ट के माध्यम से संचालित बीआईटी ने बीएसपी से जमीन लीज पर भी नहीं लिया है। जैसे की भिलाई में और भी शिक्षण संस्थाओं ने ली है। बड़ी ही चतुराई से भिलाई इस्पात संयंत्र के मैनेजिंग डायरेक्टर को ट्रस्टी बना कर झुनझुना थमा दिया और इतनी बड़ी जमीन हथिया ली है, जिसका की कोई भी लाभ भिलाई इस्पात संयंत्र मे कार्यरत कर्मियों को नहीं दिया जाता है। मैनेजमेंट कोटा में भी बीएसपी कर्मियों के साथ कोई रियायत नहीं की जाती है।