- स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी चेयरमैन व बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार बंछोर सक्रिय।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट द्वारा संचालित सेक्टर 9 हॉस्पिटल को निजी हाथों में देने की तैयारियों की खबर ने हड़कंप मचा दिया है। शुरुआती चरण में कंसल्टेंसी एजेंसी की रिपोर्ट सेल प्रबंधन को सौंप दी गई है। इसको लेकर स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी चेयरमैन व बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार बंछोर भी सक्रिय हो गए हैं।
इस प्रक्रिया को सिर्फ चर्चा तक नहीं मान रहे हैं। भविष्य को लेकर आशंकाएं जाहिर कर दी है। उनका कहना है कि निजीकरण कोई रास्ता नहीं हो सकता है। इससे सबकुछ खत्म हो जाएगा। भिलाई की परिस्थिति अलग है।
150 से ज्यादा डाक्टर, 400 से ज्यादा मेडिकल स्टाफ हैं। इसलिए किसी की जिंदगी को दांव पर नहीं लगने दिया जा सकता है। सेल प्रबंधन और मंत्रालय स्तर पर तमाम विषयों को लेकर गंभीरता से चर्चा की जाएगी।
सल प्रबंधन को अक्सर सुझाव आते रहे हैं कि जहां ज्यादा रेफर केस होते हैं, वहां ध्यान देने की जरूरत है। कॉर्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्योरोलॉजी के लिए बाहरी एजेंसी की मदद ले सकते हैं। इसका ये मतलब नहीं हो सकता है कि पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर को भी सौंप दिया जाए।
हास्पिटल आउट सोर्स करना ठीक नहीं
सेक्टर 9 हॉस्पिटल का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर है। रेफर को रोकना है। बेहतर डाक्टर नहीं है तो वहां मदद ले सकते हैं, लेकिन उनकी व्यवस्था अलग रखनी होगी। पूरा हास्पिटल आउट सोर्स करना ठीक नहीं हो सकता है।
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मेडिकल कॉलेज नहीं बनने दिया था, आज ऐसे हालात
सेक्टर 9 हॉस्पिटल को इस तरह के संकट से बचाने के लिए ही पूर्व सरकार ने मेडिकल कॉलेज बनाने का प्रस्ताव दिया था। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने दो बाद कलेक्टर के माध्यम से बीएसपी प्रबंधन से चर्चा की।
लेकिन, स्थानीय प्रबंधन तैयार नहीं हुआ। अगर, मेडिकल कॉलेज बन गया होता तो हालात कुछ और ही होते। अभी भी रास्ता बंद नहीं हुआ है। मेडिकल कॉलेज होने से डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु भी बढ़ जाती। यहां से मरीजों को रायपुर तक की दौड़ नहीं लगानी पड़ती।
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