BSP की पटरी पर सियासत भी दौड़ी, प्रेम प्रकाश, विजय बघेल, बीडी कुरैशी, रवि आर्या और ये भी हुए सवार

  • प्रेम प्रकाश पांडेय, विजय बघेल, स्व. रवि आर्या, बीडी कुरैशी, अशोक डोंगरे, गजेंद्र सिंह, सुनील रामटेके, नरेंद्र कुमार बंछोर, उषा बारले का संबंध बीएसपी से।

अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (SAIL) राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहा है।  इसके स्टील भारत (Steel Indian) की नींव को और मजबूती प्रदान कर रहे हैं। साथ ही सेल (SAIL) इकाइयों से निकले नेताओं की पकड़ भी सियासी बिसात पर कम नहीं है। सियासत में भी नई पहचान दिलाई।

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भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) ने सांसद-विधायक दिए हैं। रवि आर्या से शुरू हुआ दौर आज भी जारी है। Suchnaji.com की इस स्पेशल रिपोर्ट में आप उन नेताओं के बारे में पढ़ेंगे, जो भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी थे और राजनीति में पहचान बनाई।

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बीएसपी (BSP) और राजनीति का सफर 1985 से शुरू हुआ। इंटक के जनरल सेक्रेटरी रवि आर्या (Secretary Ravi Aarya) ने 1985 में पहली बार कांग्रेस से चुनाव लड़ा और विधायक बने। ट्रेड यूनियन और राजनीति में रवि आर्या की अच्छी पकड़ रही।

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दोबारा 1990 में भिलाईनगर (Bhilai Nagar) सीट से चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा प्रत्याशी प्रेम प्रकाश पांडेय से हार गए। एक युवा प्रत्याशी प्रेम प्रकाश पांडेय ने रवि आर्या के किले को ध्वस्त कर दिया था।

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इसके बाद प्रेम प्रकाश पांडेय (Prem Prakash Pandey) की इंट्री हो गई। 1993 में मध्यावती चुनाव हुआ। कांग्रेस से बदरूदीन कुरैशी प्रत्याशी बनाए गए। ये वही बदरूद्दीन कुरैशी हैं, जो कोक ओवन के कर्मचारी थे। 1978 में वीआर लेकर पूरी तरह से राजनीति में आ चुक थे।

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1993 के चुनाव में इंटक को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला। इंटक ने अपना प्रत्याशी गजेंद्र सिंह को मैदान में उतार दिया। गजेंद्र सिंह 25 हजार वोट पाए थे। इसका खामियाजा बीडी कुरैशी को उठाना पड़ा। वह 222 वोट से चुनाव हार गए थे।

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1998 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में इंटक ने फिर अपना प्रत्याशी श्याम लाल साहू (Shyam Lal Sahu) के रूप में उतारा। कांग्रेस से बगावत करके भजन सिंह निरंकारी (Bhajan Singh Nirankari) भी मैदान में उतर गए थे। दोनों निर्दलीय प्रत्याशी के होने के बावजूद बीडी कुरैशी जीत गए।

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वहीं, भाजपा (BJP) से सियासत करने वाले प्रेम प्रकाश पांडेय (Prem Prakash Pandey) भी बीएसपी(BSP) के वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट (Water Supply Department) की नौकरी छोड़ चुके थे। 90 के दशक में नौकरी छोड़कर पूरी तरह से सियासत में आ गए। 2003 में प्रेम प्रकाश पांडेय (Prem Prakash Pandey) चुनाव जीते और विधानसभा अध्यक्षा बने।

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2008 में प्रेम प्रकाश पांडेय (Prem Prakash Pandey) कुरैशी से चुनाव हार गए थे। 2013 में फिर चुनाव जीत गए। 2018 में महापौर होने के कारण देवेंद्र की इंट्री हुई और प्रेम प्रकाश पांडेय एक युवा से हार गए। जिस तरह से एक युवा की हैसियत से उन्होंने रवि आर्या को हराया था।

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अब बात दुर्ग जिले के सांसद विजय बघेल (Vijay Baghel) की। वह भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के रेल मिल शिपिंग सेक्शन के कर्मचारी हुआ करते थे। सियासत में आने से पहले वह तीनों शिफ्ट ड्यूटी करने पहुंचते थे। कांग्रेस नेता के रूप में सियासत शुरू की। लेकिन टिकट को लेकर विवाद हुआ और नगर पालिका का चुनाव निर्दलीय लड़े। इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए।

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सफर संसद भवन तक पहुंच चुका है। सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) से परिवार से आते हैं। फिलहाल, भाजपा (BJP) ने इन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के खिलाफ पाटन सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है।

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जिला कांग्रेस प्रवक्ता जावेद खान बताते हैं कि कांग्रेस के कद्दावर नेता बदरुद्दीन कुरैशी कोक ओवन में कर्मचारी थे। 1978 में वीआर ले लिया था। जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री थे। तत्कालीन जिला अध्यक्ष वासुदेव चंद्राकर के साथ महासचिव रहे।

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1993, 1998, 2003, 2008, 2013 में भिलाई नगर सीट से लड़े। दो बार जीते। 2018 का चुनाव वैशालीनगर से लड़े, लेकिन जीत नहीं सके। वहीं, बीएसपी कर्मचारी अशोक डोंगरी एक बार फिर अहिवारा सीट से दावेदारी कर चुके हैं। पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन हार गए थे।

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भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) की नौकरी के साथ सियासत करने वालों की संख्या कम नहीं है। एससी-एसटी फेडरेशन के चेयरमैन सुनील कुमार रामटेके (Suneel Kumar Ramteke) भी डोंगरगढ़ से विधानसभा चुनाव (Assembly Election) लड़ चुके हैं।

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भाजपा (BJP) आदि ने समर्थन दिया था, लेकिन चंद वोटों के अंतर से ही वह हार गए थे। वहीं, बीएसपी कर्मचारी (BSP Employee) की पत्नी और पद्म श्री उषा बारले भाजपा (BJP) में प्रवेश कर चुकी हैं। उन्हें अहिवारा सीट से उम्मीदवार बनाने की चर्चा है। वहीं, बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन (BSP Officers Association) के अध्यक्ष व सेफी चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर भी सियासी रेल पर सफर करने को तैयार हैं। बस, टिकट का इंतजार किया जा रहा है। फिलहाल, देवेंद्र यादव (Devendra Yadav) ने टिकट पर मजबूत पकड़ बरकरार रखी है।

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भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों की सियासत में दखल का दायरा कम नहीं है। विनोद खांडेकर डोंगरगढ़ से, जालम सिंह पटेल व लोकेंद्र यादव बालोद और जनकलाल ठाकुर डौंडी लोहारा से विधायक रहे। भिलाई स्टील प्लांट की खदान नगरी दल्ली राजहरा बालोद जिला में आती है। यहां भी सियासत में बीएसपी कर्मचारियों की सीधी पकड़ है।