- मंकी पॉक्स (एम-पॉक्स) नामक बीमारी के बचाव व रोकथाम हेतु एडवायजरी जारी।
- मंकी पॉक्स को डब्ल्यूएचओ ने 14 अगस्त 2024 को पब्लिक हेल्थ एमरजेन्सी ऑफ इंटरनेशनल कान्स घोषित किया।
- एडवायसरी में दिए गए दिशा-निर्देशों का गंभीरपूर्वक किया जाए पालन- कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी।
सूचनाजी न्यूज, दुर्ग। मंकी पॉक्स (Monkey Pox) को लेकर दुनिया भर में हड़कंप मचा हुआ है। मंकी पॉक्स (Monkey Pox) को डब्ल्यूएचओ (WHO) ने 14 अगस्त 2024 को पब्लिक हेल्थ एमरजेन्सी ऑफ इंटरनेशनल कान्स (Public Health Emergency of International Cannes) घोषित किया। इसको लेकर भारत में भी सक्रियता बरती जा रही है। दुर्ग जिला प्रशासन ने शिविर लगाकर लोगों को जागरूक करने का फैसला लिया है।
कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी (Collector Richa Prakash Choudhary) की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मनोज दानी के मार्गदर्शन स्वास्थ्य अधिकारी सीबीएस बंजारे ने मंकी पॉक्स (एमपॉक्स) नामक बीमारी के बारे में अवगत कराते हुए बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 20 अगस्त 2024 को मंकी पॉक्स (एमपॉक्स) नामक बीमारी के बचाव व रोकथाम हेतु एडवायजरी जारी की गई है।
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मंकी पॉक्स (Monkey Pox) (एम पॉक्स) को विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा 14 अगस्त 2024 को पब्लिक हेल्थ एमरजेन्सी ऑफ इंटरनेशनल कान्स (पीएचईआईसी) को घोषित किया गया है।
विभिन्न देशों में संक्रमण के प्रसार को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सर्वेलेंस, जांच एवमं उपचार हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं, जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में भी मंकी-पॉक्स प्रकरणों की सर्वेलेंस, त्वरित पहचान, जांच एवं उपचार हेतु दिशा-निर्देश जारी किये जा रहे है।
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मंकी पॉक्स (Monkey Pox) क्या है
मंकी-पॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है जो मुख्य रुप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में होता है, परन्तु वर्तमान परिदृश्य में कुछ अन्य देशों में प्रकरण प्राप्त हो रहे है तथा भारत के केरल राज्य में मार्च 2024 में प्रकरण प्राप्त हुए है।
मंकी पॉक्स (Monkey Pox) से संक्रमित व्यक्ति को सामान्यतः बुखार, चकत्ते एवं लिम्फ नोड्स में सूजन पायी जाती है। मंकी-पॉक्स एक स्व-सीमित (सेल्फ-लिमिटेड) संक्रमण है, जिसके लक्षण सामान्यतः 2-4 सप्ताह में समाप्त हो जाते हैं। मंकी-पॉक्स संक्रमण के गंभीर प्रकरण सामान्यतः बच्चों में पाए जाते हैं। जटिलताओं एवं गंभीर प्रकरणों में मृत्यु दर 1-10 प्रतिशत है।
मंकी-पॉक्स संक्रमण होने एवं लक्षण उत्पन्न होने का इनक्यूबेशन पीरियड सामान्यतः 6-13 का होता है, परन्तु यह 5 से 25 दिवस तक हो सकता है। मंकी-पॉक्स का संक्रमण त्वचा में चकत्ते आने के 1-2 दिवस पूर्व से लेकर सभी चकत्तों से पपड़ी के गिरने/समाप्त होने तक मरीज के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में फैल सकता है। मंकी-पॉक्स वायरस का संक्रमण पशु से मनुष्य में एवं मनुष्य से मनुष्य में फैल सकता है।
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मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण मुख्य रूप से लार्ज रेस्पिरेटरी सिस्टम के माध्यम से लम्बे समय तक संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में रहने से होता है। वायरस का संक्रमण शरीर के तरल पदार्थ घाव के सीधे संपर्क में आने से अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित कपड़ों, लिनेन इत्यादि के उपयोग से फैल सकता है।
पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण का प्रसार गांव के सीधी संपर्क में आने से हो सकता है। मंकी पॉक्स संभावित प्रकरणों के सर्वेलेंस हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए है। जिसके अनुसार मंकी पॉक्स के संभावित प्रकरणों का सर्विलांस कर त्वरित पहचान जांच एवं उपचार किए जाने हेतु प्रकरण को आइसोलेट कर संक्रमण का प्रसार रोका जाना, मरीज को उपचार दिया जाना, मरीज के संपर्क व्यक्तियों की पहचान किया जाना, स्वास्थ्य कार्यकर्ता को संक्रमण से बचाव हेतु आगाह किया जाना एवं संक्रमण के नियंत्रण एवं प्रसार को रोकने हेतु प्रभावी गतिविधियां किया जाना आवश्यक है।
मंकी-पॉक्स सर्वेलेंस के लिए दिशा-निर्देश
मानक-परिभाषाओं का उपयोग किया जाना, प्रत्येक संभावित प्रकरण की सूचना जिला सर्वेलेंस इकाई/राज्य सर्वेलेंस इकाई में अनिवार्य रूप से दिया जाना आवश्यक होगा। इसके एक भी पुष्टिकृत प्रकरण को माना जावे एवं जिला स्तरीय रैपिड रिसपॉस टीम द्वारा तत्काल विस्तृत आउटब्रेक इनवेसटिकेशन कर प्रतिवेदन राज्य कार्यालय को प्रेषित किया जाएगा।
मंकी पॉक्स (Monkey Pox) के संभावित प्रकरणों की जांच हेतु निर्धारित प्रक्रिया अनुसार सैंपल संग्रहण कर जांच हेतु चिन्हांकित लेबोरेटरी में भेजा जाएगा। मंकी-पॉक्स के प्रत्येक पॉजिटिव मरीज के सभी संपर्क व्यक्ति की पहचान करने हेतु जिला सर्वेलेंस अधिकारी के अधीन कांटेक्ट ट्रेसिंग दल का गठन किया जाएगा। संपर्क व्यक्ति को मंकी-पॉक्स मरीज के संपर्क में आने के 21 दिवस तक बुखार या त्वचा में चकत्ते हेतु दैनिक मॉनिटरिंग किया जाएगा।
21 दिवस तक ब्लड, ऑर्गन, टिसू, सीमन डोनेशन नहीं
संपर्क व्यक्तियों को 21 दिवस तक ब्लड, ऑर्गन, टिसू, सीमन इत्यादि डोनेशन करने से रोका जाए एवं ऐसे चिकित्सा कर्मी जो बिना प्रतिरक्षा उपकरण के मंकी-पॉक्स मरीज या उसके द्वारा उपयोग किये हुए वस्तुओं के संपर्क में आया हो उसे 21 दिन तक मॉनिटर किया जाए व लक्षण-रहित चिकित्सा कर्मी को चिकित्सा कार्य से ना रोका जाये, ऐसे निर्देश दिए गए है।
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एम-पॉक्स बीमारी से बचने का तरीका समझाएं
कलेक्टर ने बीमारी का सज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग एवं संबंधित विभाग के अधिकारियों को जिले के सभी विकासखण्डों एवं विशेष रूप से ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर नागरिकों के एम-पॉक्स बीमारी, इसके संक्रमण व बचाव हेतु उपायों के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए।
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साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (Health and Family Welfare Department) द्वारा जारी एडवायसरी में दिए गए सभी आवश्यक दिशा-निर्देशों का गंभीरतापूर्वक पालन किया जाना सुनिश्चित करने कहा।
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प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा ये रहे बैठक में
इस दौरान बैठक में नगर निगम भिलाई (Nagar Nigam Bhilai) के आयुक्त देवेश ध्रुव, जिला पंचायत के सीईओ अश्वनी देवांगन, एसडीएम दुर्ग मुकेश रावटे, सहायक कलेक्टर एम. भार्गव, नगर निगम दुर्ग के आयुक्त लोकेश चन्द्राकर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण सहित समस्त संबंधित विभागों के जिला प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।
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बैठक में नगर निगम भिलाई के आयुक्त देवेश ध्रुव, सहायक कलेक्टर एम. भार्गव, जिला पंचायत के सीईओ अश्वनी देवांगन, एसडीएम दुर्ग हरवंश सिंह मिरी, नगर निगम दुर्ग के आयुक्त लोकेश चन्द्राकर, संयुक्त कलेक्टर मुकेश रावटे, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण सहित समस्त संबंधित विभागों के जिला प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे।