प्रबंधन द्वारा कार्यस्थल दुर्घटना में कर्मी से स्वयं की छुट्टी भरवाने के खिलाफ सीटू ने उठाई आवाज।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। कार्यस्थल दुर्घटना के मामलों में इंज्यूरी फार्म भर दिए जाने के बाद डॉक्टर द्वारा दुर्घटनाग्रस्त कर्मियों को अनफिट किए गए अवधि का कर्मी द्वारा अपनी ही छुट्टी भरवाया जा रहा है। और प्रबंधन द्वारा कहा जा रहा है कि इंक्वायरी होने के बाद छुट्टी एवं अन्य लाभ वापस हो जाएंगे, जबकि ड्यूटी आते-जाते समय सड़क दुर्घटना के मामलों को छोड़कर कार्यस्थल दुर्घटना के लिए इस तरह का कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुआ है।
इस विषय पर बुधवार सीटू की टीम ने महाप्रबंधक औद्योगिक संबंध विभाग के माध्यम से कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) को पत्र देकर कहा कि कार्यस्थल दुर्घटना के शिकार हुए कर्मी चौतरफा मार झेलते हैं। इसीलिए कार्यस्थल दुर्घटना में अनफिट किए गए अवधि के लिए दुर्घटनाग्रस्त कर्मी द्वारा स्वयं की छुट्टी नहीं भरवाने सम्बंधित स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाए।
दुर्घटना घटने के साथ ही होना चाहिए प्रबंधन की जांच
नियमानुसार कार्यस्थल दुर्घटना होने के बाद उस दुर्घटना की जांच करने के लिए टीम गठित किया जाता है, जिसे निश्चित अवधि में जांच कर अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करना होता है। किंतु संयंत्र में देखने को मिलता है कि कार्यस्थल दुर्घटना अथवा सड़क दुर्घटना के मामले में कर्मियों के फिट होने के बाद भी जांच प्रक्रिया पूरी करने में एक साल से डेढ़ साल विलंब होने से कर्मी परेशान रहते हैं। कुछ मामलों में तो कर्मी सेवानिवृत्त तक पहुंच जाते हैं और शारीरिक पीड़ा के साथ-साथ मानसिक दबाव में रहते हैं कि कही छुट्टियों के अंतिम भुगतान से वंचित ना हो जाए। संयंत्र में सेवानिवृत्त होने के बाद भी दुर्घटना की जांच करने के मामले उदाहरण के तौर पर मौजूद हैं।
इंसेंटिव पर भी पड़ रहा है प्रतिकूल असर
कार्यस्थल दुर्घटना के बाद दुर्घटनाग्रस्त कर्मी द्वारा अपनी छुट्टी भरवाने से उक्त अवधि का इंसेंटिव नहीं मिलता है, जिससे उसका वेतन कम हो जाता है। हालांकि प्रबंधन जांच के पश्चात उक्त राशि मिलने की बात तो कहता है किंतु जांच के बाद इस राशि की गणना किस प्रकार से होगी और वह मिलता भी है या उसमें भी कुछ कटौती हो जाती है यह पता नहीं चल पाता है।
खुद की छुट्टियां भरने से अगले साल मिलने वाली छुट्टियां की गणना में होती है दिक्कत
दुर्घटना के बाद स्वयं की छुट्टियां भरने पर अगले वर्ष मिलने वाली छुट्टियों के लिए कार्य दिवस की गणना में भी इसका असर पड़ता है, जिससे उसकी अगले वर्ष मिलने वाली छुट्टियां कम हो जाती है, जो एक डेढ़ साल के बाद होने वाली जांच के बाद वापस की जाती है। वहीं, ऐसे कर्मी जिनके पास छुट्टियां ही नहीं बची है, उन्हें अवैतनिक अवकाश पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
ओलाम्स में था कार्यस्थल इंज्यूरी लीव भरने की सुविधा
सीटू नेताओं ने कहा-प्रबंधन का बिना सोचे समझे बायोमेट्रिक अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करना भी इस तरह की गड़बड़ियों के लिए बड़ा कारण रहा है, क्योंकि इस संदर्भ में पूर्व में ऑनलाइन अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (ओलाम्स) में आवश्यक प्रक्रिया पूरी करके कर्मियों की कार्यस्थल इंज्यूरी लीव भर दिए जाने से कर्मियों को अपनी छुट्टी नहीं भरना पड़ता था, ओलाम्स की व्यवस्था फिर से शुरू की जा सकती है।
पहले नहीं थी ऐसी अव्यवस्था
सीटू नेता ने कहा कि पहले दुर्घटना होने के बाद इंज्युरी फॉर्म भरा जाता था, उसके बाद आवश्यक इंक्वायरी की जाती थी। डॉक्टर द्वारा दुर्घटनाग्रस्त कर्मी को अनफिट करके दिए गए सर्टिफिकेट को कार्मिक विभाग में दिया जाता था।
कार्मिक विभाग उचित कार्यवाही करके विभाग प्रमुख के द्वारा आर्डर जारी करवाती थी और उस ऑर्डर को कार्मिक विभाग टाइम ऑफिस भिजवा देती थी। जहां टाइम ऑफिस W कोड में वर्क इंजूरी लीव भर देती थी और कर्मी को इंज्यूरी अवधि का पूरा वेतन नियमित रूप से खाते में आ जाता था।