BHILAI STEEL PLANT: समय पर इंज्यूरी लीव ऑर्डर नहीं निकालने में रेल मिल अव्वल, CITU मिला CGM सेफ्टी से

BHILAI STEEL PLANT Injury Leave orders are not being issued on time CITU Meets CGM Safety
  • संयंत्र प्रमुख ने एथिकल स्टील का नारा दिया है। चार प्रमुख अंग सेफ्टी, हाउसकीपिंग, टेक्नोलॉजिकल डिसिप्लिन एवं हैप्पीनेस है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। पिछले 2 सालों में रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल में जो भी कार्यस्थल दुर्घटनाएं हुई है, उन सभी दुर्घटनाओं के पश्चात विभागीय सुरक्षा अधिकारी द्वारा जिस तेजी के साथ जांच की जानी चाहिए थी, नहीं की। इसके परिणाम स्वरूप जहाँ ठेका श्रमिक को दुर्घटना पश्चात मिलने वाले लाभ में बहुत देरी हुई वहीं स्थाई कर्मियों के कार्यस्थल दुर्घटना के बाद इंज्यूरी लीव देने हेतु दुर्घटना रिपोर्ट बनाने एवं उसके पश्चात निकाले जाने वाले ऑर्डर को समय पर नहीं निकाला जा सका।

इस कारण कर्मियों को कार्यस्थल दुर्घटना के पश्चात हुए अनफिट अवधि में विभागीय सुरक्षा अधिकारी के कहने पर अपनी स्वयं की छुट्टियां भरनी पड़ी, जो एक साल बीत जाने के बाद भी वापस नहीं किया जा सका है। इस पूरे मामले को लेकर सीटू की टीम मुख्य महाप्रबंधक सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग से मुलाकात की। चर्चा के पश्चात मुख्य महाप्रबंधक ने पूरे मामलों को संज्ञान में लेते हुए कहा कि अविलंब उचित कदम उठाएंगे।

इंज्यूरी लीव ऑर्डर नहीं निकालने में अव्वल है रेल मिल

महासचिव जेपी त्रिवेदी के अनुसार सीटू के पास लगातार इस बात की शिकायत आ रही थी कि कार्य के दौरान दुर्घटना अर्थात इंज्यूरी ऑन वर्क के मामले में भी कर्मी को अपनी छुट्टियां भरनी होती है। बाद में जांच के पश्चात छुट्टियां वापस होने की बात कही जा रही है।
सीटू द्वारा इन पूरे मामलों की जांच करने पर पता चला कि रेल मिल में कार्य के दौरान होने वाले दुर्घटनाओं में इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जा रही है कार्यस्थल में हुई दुर्घटनाओं का इंज्यूरी लीव ऑर्डर नहीं निकाला जा रहा है और ऐसा करने में रेल मिल का सुरक्षा विभाग पूरे संयंत्र में अव्वल नंबर पर है।

ईडी वर्क्स, सीजीएम सेफ्टी दे रहे हैं सुरक्षा का संदेश, लेकिन कुछ डीएसओ कर रहे हैं मनमानी

सीटू ने कहा कि मौजूदा ईडी वर्क्स एवं सीजीएम सेफ्टी, सुरक्षा को लेकर लगातार संदेश दे रहे हैं। बावजूद इसके कुछ डीएसओ मनमानी कर रहे हैं। उच्च अधिकारियों का संदेश स्पष्ट है कि कार्यस्थल को इस तरह से बनाया जाए कि कोई दुर्घटना ही ना हो। अर्थात दुर्घटनाओं की सारी संभावनाओं को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया जाए।

इसके बाद भी यदि कोई दुर्घटना होती है तो उसे संजीदगी से लेते हुए जांच करना, दुर्घटनाओं के कारणों को पता लगाने के साथ-साथ हताहत हुए कर्मी को हर संभव मदद करना जरूरी है। किंतु घटना अथवा दुर्घटना हो जाने के बाद लंबे समय तक जांच नहीं करना इंज्यूरी लीव आर्डर नहीं निकलना एवं मनमानी तरीके से अपनी छुट्टी भर देने का संदेश देना कार्य के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुए कर्मी को ही शारीरिक पीड़ा के साथ-साथ मानसिक पीड़ा देना है, जिससे डीएसओ को बचाना चाहिए।

सभी मामलों में सकारात्मक कदम उठाने का मिला आश्वासन

चर्चा के दौरान सीटू ने 2024 एवं 2025 में हुए छह मामलों को उदाहरण के तौर पर पेश किया जिसमें रेल मिल के अंदर हुए राम स्नेही गुप्ता, कृष्ण राव, मनोरंजन श्रीवास्तव, रमेश दास खड़गा, जीके वर्मा एवं आर एम पी 2 में हुए द्वारिका प्रसाद के मामले प्रमुख थे। इन सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग के मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि सभी मामलों पर तुरंत जांच कर उचित कदम उठाएंगे साथ ही इस बात पर भी चर्चा हुई कि प्रबंधन लगातार सुरक्षित कार्य प्रणाली अपनाने की बात कह रहा है जिस पर सभी को ध्यान देना होगा तभी दुर्घटनाओं से निजात पाने की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे

एथिकल स्टील के नारे पर काम करना होगा सभी को

सीटू ने कहा कि मौजूदा संयंत्र प्रमुख ने एथिकल स्टील का नारा दिया है, जिसके चार प्रमुख अंग सेफ्टी, हाउसकीपिंग, टेक्नोलॉजिकल डिसिप्लिन एवं हैप्पीनेस है। यह चारों बातें एक दूसरे से जुड़ी हुई है यदि इन पर काम किया जाए तो निश्चित रूप से सुरक्षा के साथ-साथ उत्पादन में उत्तरोत्तर विकास किया जा सकता है।