आखिर क्यों भिलाई इस्पात संयंत्र के 10 मुख्य महाप्रबंधक भिलाई निवास मे रहने को है मजबूर?
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन को अपनी थर्ड पार्टी एलाटमेंट की नीति में संशोधन करने की जरूरत है।
आवास को एक निश्चित समय अवधि तक ही आवंटित करना चाहिए।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के भिलाई स्टील प्लांट से हैरान करने वाली खबर आ रही है। बीएसपी के मकानों में कब्जा होने की वजह से 13 सीजीएम को बेहतर आवास नहीं मिल पा रहा है। अच्छे आवास की तलाश जारी है। इनमें से 3 सीजीएम ने अपने ग्रेड से कम में आवास आवंटित करा लिया है। फिलहाल, 10 सीजीएम भिलाई निवास में बचे हैं।
फिलहाल, ये मुख्य महाप्रबंधक भिलाई निवास में रहने को मजबूर हैं। बीएसपी के नगर सेवाएं विभाग की आखिर क्या मजबूरी है कि कब्जेदारों से आवास खाली नहीं करा पा रहा है। राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों ने थर्ड पार्टी के नाम पर आवास आवंटन कराया। ट्रांसफर होने के बाद भी मकान को खाली नहीं कर रहे हैं, जिसका खामियाजा बीएसपी के अधिकारियों को ही भुगतना पड़ रहा है।
बीएसपी प्रबंधन ने इस बात को स्वीकारा है कि सीजीएम भिलाई निवास में रहने को मजबूर रहे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि पी सुब्बा राव, देव दत्ता सतपथी, तुलाराम बेहरा, मनोज कुमार, सुशांता कुमार घोषाल, प्रसनजीत दास, कार्तिकेय बेहरा, तीर्थंकर दस्तीदार, बीजोय कुमार बेहरा, टीके कृष्ण कुमार, तुषार कांत, मानस कुमार गुप्ता, संजय कुमार आदि भिलाई निवास में रह रहे हैं।
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सेक्टर-9 या सेक्टर-10 पर आफत
प्रमोशन के बाद ट्रांसफर पर भिलाई इस्पात संयंत्र आए 13 मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी पिछले कई महीनों से भिलाई निवास में ही डेरा डाले हुए हैं, क्योंकि उनको उचित आवास नहीं मिल पा रहा है। मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों के लिए उनके स्तर का आवास या तो सेक्टर-9 या सेक्टर-10 में है।
लेकिन दिक्कत यह है कि इन दोनों सेक्टरों मे अधिकांश आवास थर्ड पार्टी एलाटमेंट के तहत पूर्व मे आवंटित किए गए हैं। इनमे से कई ऐसे प्रशासनिक अधिकारी हैं, जो आज दुर्ग जिले मे पदस्थ भी नहीं हैं। लेकिन फिर भी आवास उनके कब्जे में है, जोकि इन 10 मुख्य महाप्रबंधकों को आवास नहीं मिलने का मुख्य कारण है।
ट्रांसफर के बाद मकान खाली नहीं हो रहा
प्रवर्तन विभाग आए दिन कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, लेकिन सेक्टर-9 और सेक्टर 10 बच जा रहा है।
अफसोस की बात यह है कि प्रबंधन अपने ही मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों को आवास नहीं उपलब्ध करवा पा रहा है, जबकि ग्रेड वाइस सभी कर्मियों के लिए आवास आवंटन के लिए मापदंड तय है। चाहे वह अधिकारी हो या कर्मचारी।
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कर्मचारियों पर तत्काल कसते हैं नकेल
कुछ सुविधाएं अगर प्रदान भी की जाती है तो उस पर भी ग्रहण लग जाता है, जैसे कि सब्जेक्ट टू वेकेशन की सुविधा में पिछले कुछ दिनों से मौखिक आदेश के तहत यह कंडीशन लगा दी गयी है कि आवास को पूरा खाली कर तीन एजेंसी आ कर चेक करके ही प्रमाण पत्र देगी, जब ही आवास सब्जेक्ट टू वैकेट के तहत आवंटित हो पाएगा।
इस शर्त ने कर्मचारियों को परेशान कर रखा है। इसके अलावा रिटेंशन मे दिए गए आवास धारकों को नोटिस दे कर बेदखल किया जा रहा है।
लेकिन सेक्टर 9 और दस में जहां मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों के आवास हैं, वहां कोई भी बेदखली की कार्यवाही देखने मे नहीं आती। इसके कारण भिलाई इस्पात संयंत्र के 10 मुख्य महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी आज भिलाई निवास में रहने को मजबूर हैं।
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इनके साथ दिक्कत यह है कि इनको आवास भाड़ा अर्थात एचआरए भी नहीं मिलता, जिससे कि ये निजी मकान लेकर रह सकें।
आफिसर्स एसोसिएशन आवाज उठाता रहा, पर एक्शन नहीं
भिलाई इस्पात संयंत्र के आफिसर्स एसोसिएशन ने पिछले दिनों कई बार थर्ड पार्टी आवंटन को निरस्त किया जाए। जिन प्रशासनिक अधिकारियों का ट्रांसफर हो चुका है, उनसे मकान खाली कराया जाए। लेकिन, इस पर अमल होता नहीं दिख रहा है।
बताया जा रहा है कि कुछ सीजीएम पिछले 6 माह या एक साल से ज्यादा समय से भिलाई निवास में रह रहे हैं। कुछ अफसरों ने मज़बूरी में छोटा आवास ले लिया है।
सवाल यह खड़ा होता है कि नियम कानून की बेड़ियों मे जकड़ने के लिए केवल बीएसपी कर्मी ही मिलता है क्या? केवल छोटे आवासों तक ही बेदखली की कार्यवाही क्यों सीमित रहती है?
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थर्ड पार्टी एलाटमेंट के तहत जिस शासकीय व्यक्ति को आवास एलाट हुआ था, अगर अब वह उसमे नहीं रहता कोई और रहता है या उस अधिकारी का हस्तांतरण दुर्ग जिले से बाहर हो गया है तो नगर सेवा विभाग उक्त आवास को अवैध कब्जा में क्यों नहीं मानता है।
थर्ड पार्टी एलाटमेंट नीति में बदलाव की जरूरत
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन को अपनी थर्ड पार्टी एलाटमेंट की नीति में संशोधन कर आवास को एक निश्चित समय अवधि तक ही आवंटित करना चाहिए, क्योंकि सभी प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला हो जाता है और बीएसपी का आवास हमेशा थर्ड पार्टी एलाटमेंट की भेंट चढ़ा रहता है, जिसका फायदा एक बार आवास एलाट करवा कर हमेशा के लिए अपने कब्जे मे रखते हुए जिला प्रशासन एवं राज्य शासन के अधिकारी उठाते हैं। खामियाजा भिलाई इस्पात संयंत्र के उच्च स्तर के अधिकारी भुगत रहे हैं।