सूचनाजी न्यूज, भिलाई। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ की शिक्षाधानी दुर्ग-भिलाई में कई आयोजन हुए। यहां के शैक्षणिक संस्थानों में कार्यशालाएं, संगोष्ठियां और अनेक संवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस कड़ी में भिलाई के सेक्टर-7 स्थित प्रतिष्ठित कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस मनाया गया। इसमें स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों से लेकर पीएचडी शोधार्थियों, सहायक प्राध्यापकों, उप प्राचार्य, प्राचार्य और कई विभाग के विभागाध्यक्षों, संकायाध्यक्षों, संकाय सदस्यों ने वक्तव्य दिया। आंचलिक स्तर से लेकर हिंदी के वैश्विक पटक पर दखल, डिजिलीकरण के युग में हिंदी की प्रासंगिकता सहित अन्य क्षेत्रीय, मातृभाषाओं और विदेशी भाषाओं से हिंदी के अंतर्संबंध पर सारगर्भित ढंग से प्रकाश डाला गया। सबसे अधिक हिंदी विभाग के विद्यार्थी, शोधार्थी और प्राध्यापकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इस कार्यक्रम में हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ.सुधीर शर्मा, विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ.फ़िरोज़ा जाफ़र अली और विभाग के ही सहायक प्राध्यापक डॉ.अंजन कुमार के निर्देशन में संपूर्ण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ.मणिमेखला शुक्ला ने सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना गायन कर सभागार में कार्यक्रम को विधिवत गति मिली। इस कार्यक्रम में पधारे अतिथियों को पौधे भेंट कर सम्मानित किया गया।
-अतिथियों ने हिंदी की बताई महत्ता
कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.आर.पी.अग्रवाल ने हिंदी की महत्ता एवं उसके गौरव को बढ़ाने के लिए बोलचाल में उसके प्रयोग पर बल देने का आह्वान किया। हम आपको बता दें कि प्राचार्य वाणिज्य के प्राध्यापक होने के बावजूद हिंदी साहित्य में गहरी रुचि रखते है। चूंकि वे इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे है। उनकी इच्छा हैं कि वे अगले साल हिंदी स्नातकोत्तर में प्रवेश लेंगे।
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महाविद्यालय के उप प्राचार्य डॉ.प्रमोद शर्मा ने वक्तव्य में हिंदी को विदेशी जमीन पर भी फलने-फूलने के लिए लोगों के दायित्व की ओर इशारा करते हुए हिंदी को संवेदना की सबसे सशक्त भाषा के रूप में चिन्हित किया।
कला संकायाध्यक्ष डॉ.विनय शर्मा ने हिंदी भाषा पर ओजस्वी वक्तव्य दिया। इसमें उन्होंने हिंदी के जन-जन तक पहुंच और प्रचलन पर प्रकाश डाला। अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ.लखन चौधरी ने वर्तमान समय में भूमंडलीकरण और बाजारवादी के दौर में अंतरराष्ट्रीय पटल पर हिंदी की महत्ता को स्वीकार किया। अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ.अनुराग पाण्डेय ने कहा कि भले ही अंग्रेजी मेरे कौशल की भाषा हैं, लेकिन हिंदी मेरी आत्मा की भाषा हैं। हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ.सुधीर शर्मा ने भारत के अलावा वैश्विक स्तर पर अन्य राष्ट्रों जैसे फीजी, गुयाना और मॉरीशस में हिंदी के इतिहास पर बातचीत की और छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों के अवदान को भी स्मरण करने का आह्वान किया।
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हिंदी के प्राध्यापक डॉ.अंजन कुमार ने कहा कि सरकारें भाषा के साथ बोलियों को सुरक्षित रखने के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठा रही। जिस प्रकार जैव विविधता को संजोने के लिए विलुप्त हो रहे जीव-जंतुओं को संरक्षित किया जा रहा हैं उसी प्रकार लुप्त होती जा रही बोलियों को भी संरक्षित करने के विकल्प खोजने होंगे।
-विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने दी प्रस्तुति
कार्यक्रम में हिंदी के विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने भी वक्तव्य दिया और कविता पाठ किया। इसमें शोध छात्र घनश्याम ने हिंदी की स्थिति पर वक्तव्य दिया। हिंदी में स्नातकोत्तर की छात्रा सविता ने कविता पठन किया। भूमिका ने एक गीत की प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में शोधार्थी निमाई प्रधान ने मानव के विकासक्रम में भाषा के योगदान को रेखांकित करते हुए हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता में देवनागरी की महत्ता पर प्रकाश डाला। शोधार्थी निमाई प्रधान ने स्वरचित कविता का पठन कर खूब वाहवाही बंटोरी। शोधार्थी अंजलि भटनागर ने हिंदी की प्रासंगिकता और वर्तमान स्थिति पर वक्तव्य दिया और वर्तमान में हिंदी की बिगड़ती स्थिति को सुधारने के लिए पढ़ी-लिखी बुद्धिजीवी जनता को अपने कर्तव्य को समझने की बात की।
महाविद्यालय में हिंदी विभाग की अध्यापिका पूजा विश्वकर्मा ने निमाई प्रधान ‘क्षितिज’ की ‘हिंदी हमारी जान है’ शीर्षक कविता को अपनी सुमधुर आवाज में प्रस्तुत किया। शोधार्थी दिलशाद ने और स्नातकोत्तर छात्रा संध्या ने भी अपनी-अपनी कविताएं प्रस्तुत की। इसी तरह अंत में शोधार्थी राकेश यादव ने पिता पर केंद्रित स्वरचित कविता प्रस्तुत की।
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