Bokaro Steel Plant: यूनियन नेता को सजा देने पर फंसा BSL प्रबंधन, Chief Judicial Magistrate ने पूर्व DIC अतनु भौमिक को किया तलब

Bokaro Steel Plant BSL Management stuck on punishing union leader, Chief Judicial Magistrate summoned former DIC Atanu Bhowmik
एटक के सक्रिय पदाधिकारी राम किशोर प्रसाद 1976 में बोकारो स्टील प्लांट के इंगट मोल्ड फाउंड्री ऑपरेटर के रूप में सेवा शुरू की थी।
  • डायरेक्टर इंचार्ज, ईडी पीएंडए एस प्रसाद, जीएम पर्सनल इंचार्ज एसबी झा, जीएम पर्सनल सुरेंद्र सिंह, जीएम पर्सनल बीके ठाकुर बने हैं पार्टी।
  • 10 जनवरी 1994 से 200 रुपए प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना देने का आदेश।
  • बीएसएल प्रबंधन को 1 लाख और चारों जीएम से 10-10 हजार रुपए भुगतान के आदेश पर अमल नहीं।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro STeel plant) के एक पूर्व कर्मचारी ने प्रबंधन को कानूनी दांव में ऐसा फंसाया है कि सबके होश उड़ गए हैं। यूनियन गतिविधियों में सक्रिय रहने की सजा प्रबंधन ने दो इंक्रीमेंट विद कम्युलेटिव इफेक्ट डाउन करके दी थी।

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प्रमोशन से वंचित किया गया था। कानून का दामन थामे पूर्व एटक नेता हौसला नहीं हारे और 1981 से लगातार लड़ रहे हैं। अब Chief Judicial Magistrate बोकारो ने पूर्व कार्यवाहक डायरेक्टर इंचार्ज अतनु भौमिक को तलब कर लिया है।

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17 फरवरी को पेश होने का समन जारी हुआ है। 2022 में जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो उस वक्त राउरकेला स्टील प्लांट के डायरेक्टर इंचार्ज अतनु भौमिक के पास ही बोकारो का अतिरिक्त कार्यभार था। इसलिए वह फंस गए हैं।

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एटक के पूर्व पदाधिकारी राम किशोर प्रसाद 1976 में बोकारो स्टील प्लांट के इंगट मोल्ड फाउंड्री ऑपरेटर के रूप में सेवा शुरू की थी। ट्रेड यूनियन गतिविधियों में सक्रिय रहने पर 1981 में चार्जशीट दी गई। जांच होती रही। 1983 में दो इंक्रीमेंट रोकने का आदेश जारी हुआ।

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सेल बीएसएल प्रबंधन के फैसले के खिलाफ लेबर कोर्ट में अपील किया। 10 जनवरी 1994 को लेबर कोर्ट ने पक्ष में फैसला दिया। सारे भुगतान और इंक्रीमेंट को बहाल होने का आदेश हुआ।

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2005 में झारखंड हाईकोर्ट गए

लेकिन अमल नहीं होने पर 2005 में झारखंड हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने डिप्टी लेबर कमिशन को निर्देशित किया कि सारी सुविधाओं को बहाल कराया जाए। इसके आधार पर बीएसएल प्रबंधन को बुला डिप्टी लेबर कमिशनर ने समझौता वार्ता की। चेतावनी दिया कि अगर कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया गया तो अन्यथा मुकदमा दायर करेंगे।

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2007 में सीजेएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज

डिप्टी लेबर कमिशनर ने 2007 में सीजेएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया। 10 जुलाई 2008 को प्रबंधन हाईकोर्ट गया और केस बंद हो गया। इसके बाद 2008 में ही पीड़ित कर्मचारी नेता सुप्रीम कोर्ट गए। 2013 से सुप्रीम कोर्ट से सीजेएम कोर्ट को आदेश दिया और जांच शुरू हुई।

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2022 में तत्कालीन डायरेक्टर इंचार्ज, ईडी पीएंडए एस प्रसाद, जीएम पर्सनल इंचार्ज एसबी झा, जीएम पर्सनल सुरेंद्र सिंह, जीएम पर्सनल बीके ठाकुर को पार्टी बनाया गया। साथ ही यह आदेश हुआ कि 10 जनवरी 1994 से 200 रुपए प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना दिया जाए। बीएसएल प्रबंधन को 1 लाख और चारों जीएम से 10-10 हजार रुपए भुगतान का आदेश जारी हुआ।

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राम किशोर प्रसाद 1 सितंबर 2015 में रिटायर

बीएसएल प्रबंधन (BSL Management) ने इस आदेश के खिलाफ डिस्ट्रिक जज बोकारो के यहां अपील किया। वहां भी केस खारिज हो गया। इसके बाद वह हाईकोर्ट चला गया। जून 2024 में लेबर कोर्ट ने आदेश जारी किया कि बकाया पैसा है, इसका भुगतान कीजिए। इसी के साथ पुरानी फाइल फिर से खुल गई है।

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बता दें कि राम किशोर प्रसाद 1 सितंबर 2015 में रिटायर हो गए हैं। जिस कलस्टर में ज्वाइन किए, उसी पर रिटायर हो गए। आज तक कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

प्रबंधन के कुछ अधिकारियों के द्वारा किए गए इस प्रकार के कृत्यों से कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचने के साथ ही आर्थिक हानि हुई। साथ ही एक कर्मचारी को अपने पूरे सेवा काल में मानसिक,आर्थिक रूप से परेशान करना एक महारत्न प्रबंधन के लिए निंदनीय है।

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