बीएसपी वर्कर्स यूनियन ने कहा सभी सर्कुलर जारी हो हिंदी में। सीजीएम एचआर ने दिया भरोसा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारियों के मुद्दे को लेकर बीएसपी वर्कर्स यूनियन का प्रतिनिधिमंडल सीजीएम एचआर संदीप माथुर से मिला। संयंत्र में जारी होने वाले सभी सर्कुलर हिंदी में भी जारी करने की मांग की गई है।
बीएसपी वर्कर्स यूनियन ने कहा कि संयंत्र हिंदी भाषी क्षेत्र में स्थित है। ज्यादातर कर्मचारी हिंदी बोलते हैं। और हिंदी आसानी से समझते हैं। साथ ही अग्रजी भाषा के साथ उतने अपने आप को जोड़ नहीं पाते है।
इसके बावजूद सर्कुलर का हिंदी में जारी नहीं किया जाना दुर्भाग्य जनक है, जबकि हमारे पास लाखों रुपए सालाना खर्च कर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने हेतु हिंदी सेल काम कर रहा है। बावजूद इसके हिंदी में सर्कुलर जारी करने के बजाय केवल औपचारिकता निभाई जाती है। अभी भी यह प्रथा बदस्तूर जारी है। केवल सर्कुलर के अंत में इसे सक्षम अधिकारी के अनुमोदन से जारी किया जाता है, एक लाइन लिखकर प्रबन्धन अपनी पीठ थपथपाने का कार्य करता रहा है।
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सर्कुलर के हिंदी में जारी नहीं होने का खामियाजा संयंत्र कर्मियों को भुगतना पड़ रहा
बीएसपी वर्कर्स यूनियन ने कहा कि ऐसा ही एक सर्कुलर नम्बर 39 वर्ष 2023 में केवल अंग्रेजी भाषा में जारी किया गया था, जिसमें कर्मियों को अपने ऊपर आश्रितों का डिक्लेरेशन देना था और जिन कर्मियों ने जानकारी के अभाव में डिक्लेरेशन नहीं भर पाए। ऐसे कर्मियों के आश्रितों के नाम एचआरआईएस मॉड्यूल से हटा दिया गया।
ऐसा ही एक वाक्या रिकलेमेशन शॉप के कर्मचारी के साथ हुआ, जब उन्हें यह पता चला कि उनके आश्रित बेटी का नाम आश्रितों की सूची में शामिल है ही नहीं। इसलिए उनके बेटी को भर्ती नहीं कर सकते।
कर्मचारी ने जब इस बाबत अपने पर्सनल ऑफिस में संपर्क किया तो उन्हें यह बताया गया कि 2023 में जारी सर्कुलर नम्बर 39 में नाम काटने का आदेश दिया गया है और इस कारण से ही आपके बेटी का नाम काटा गया है। अपनी बात की प्रामाणिकता साबित करने के लिए उन्होंने ईमेल की कॉपी दिखाकर कहा कि इसमें उन सभी आश्रितों का नाम है जिसे काटा जाना है।
ये कैसी गलत-फहमी, भुगत रहे कर्मचारी
अध्यक्ष उज्ज्वल दत्ता ने कहा-कर्मचारी ने इस बाबत बीएसपी वर्कर्स यूनियन से संपर्क कर आप बीती बताई। यूनियन की ओर से इसे गंभीरता पूर्वक लेते हुए इस मामले में पर्सनल ऑफिसर प्रियंका मीणा से मिलकर बात की तो पता चला कि इस सर्कुलर में ऐसी कोई बात है ही नहीं, बल्कि इसमें कर्मियों को हर दो साल में अपने आश्रितों के नाम का डिक्लेरेशन देना है।
किसी गलतफहमी के कारण यह हुआ है। उन्होंने कर्मचारी के आश्रित का नाम तुरंत ही एचआरआईएस मॉड्यूल में जोड़ने के लिए अपने स्टाफ को निर्देशित किया। और उस कर्मचारी का कार्य हो गया।
परन्तु सर्कुलर के हिंदी भाषा में नहीं होने के कारण पर्सनल ऑफिस में काम कर रहे कर्मियों से समझने में गलती हुई और उन्होंने यह मान लिया कि यह नाम काटने का आदेश है। जबकि ना तो उक्त सर्कुलर में ऐसा कोई आदेश दिया गया था और ना ही उस ईमेल में।
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सीजीएम एचआर ने कहा-हिंदी में जारी कराएंगे सर्कुलर
यह मामला तो बीएसपी वर्कर्स यूनियन के हस्तक्षेप से हल हो गया। परन्तु ऐसे कुछ मामले से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जानकारी के अभाव में कर्मियों के आश्रितों के नाम काट दिए गए हो और वह कर्मचारी भी इसी गलत फहमी का शिकार हो गया हो।
इसलिए इस प्रकार की गलती की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ही सभी सर्कुलर हिंदी में भी अनिवार्य रूप से जारी किया जाना चाहिए। बीएसपी वर्कर्स यूनियन की मांग पर मुख्य महाप्रबंधक एचआर संदीप माथुर ने यूनियन को आशस्वत किया कि आगे से जारी होने वाला सभी सर्कुलर हिंदी में भी जारी किया जाएगा।
सीजीएम के साथ बैठक में ये पदाधिकारी रहे मौजूद
बैठक में प्रमुख रूप से बीएसपी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष उज्ज्वल दत्ता, विमल कुमार पाण्डेय, शिव बहादुर सिंह, दिलेश्वर राव, मनोज डडसेना, सुरेश सिंह, अमित बर्मन, लूमेश कुमार, प्रदीप सिंह, संदीप सिंह, कृष्णमूर्ति, नितिन कश्यप, राजकुमार आदि उपस्थित थे।