दिल्ली रैली: भिलाई स्टील प्लांट सहित छत्तीसगढ़ से हजारों मजदूर दिल्ली में भरेंगे हुंकार, जत्था रवाना

  • सोमवार को दुर्ग रेलवे से करीब 100 मजदूर दुर्ग-निजामुद्दीन एक्सप्रेस में सवार हुए।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के खिलाफ पांच अप्रैल को दिल्ली में किसान-मजदूरों की रैली होने जा रही है। इससे हिस्सा लेने के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी, ठेका श्रमिक भी रवाना हो गए हैं। इसके अलावा एलआइसी, डाक, रेलवे सहित अन्य सेक्टरों से भी करीब एक हजार से ज्यादा मजदूर छत्तीसगढ़ से दिल्ली के लिए रवाना हो चुक हैं।

सोमवार को दुर्ग रेलवे से करीब 100 मजदूर दुर्ग-निजामुद्दीन एक्सप्रेस में सवार हुए। बोगी में बैठने से पहले हाथों में तख्ती और गले में बैनर लगाए मजदूरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। अंबानी-अडानी और पीएम के खिलाफ नारेबाजी की गई। राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के जिला अध्यक्ष कमल के नेतृत्व में कांकेर के दर्जनों मजदूरों का जत्था रवाना हो गया है।

हिंदुस्तान स्टील इम्प्लाइज यूनियन सीटू, ठेका यूनियन के बैनर तले मजदूरों का दल रवाना हुआ। सीटू का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों एवं किसानों पर लगातार किए जा रहे हमलों के खिलाफ दिल्ली में यह रैली आयोजित है, जिसमें भिलाई इस्पात संयंत्र एवं राजहरा माइंस माइंस में कार्यरत सैकड़ों मजदूर भाग ले रहे हैं।
चारों श्रम संहिताओं को वापस करवाने के लिए जारी है संघर्ष
सीटू नेताओं का कहना है कि मौजूदा सरकार केंद्र में सत्तासीन होते ही सबसे पहले श्रमिकों के लिए बने हुए 29 श्रम कानूनों को खत्म कर चार श्रम संहिताओं को बनाने का काम किया है ज्ञात हो कि यह अलग-अलग श्रम कानून देश में विभिन्न सेक्टरों अथवा व्यवसाय में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए अलग अलग थे।

अर्थात सार्वजनिक उद्योगों में काम करने वाले मजदूर निजी उद्योगों में काम करने वाले मजदूर बीड़ी बनाने वाले मजदूर मछली पालन से जुड़े हुए मजदूर निर्माण क्षेत्र से जुड़े हुए मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर सहित विभिन्न किस्म के मजदूरों के लिए उनके काम एवं परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग श्रम कानून थे जो उनके अधिकारों की रक्षा करते थे किंतु केंद्र सरकार ने उन कानूनों को बदल कर कॉर्पोरेट परस्त 4 श्रम संहिताओं को तैयार किया यह श्रम सहितएं मजदूरों के शोषण बढ़ाने एवं मालिकों को संरक्षण देने का कार्य कर रहा है जिसको वापस करवाने के लिए संघर्ष जारी है।
26000 न्यूनतम मजदूरी के लिए लड़ रही है सीटू
न्यूनतम मजदूरी तय करने का एक वैज्ञानिक फार्मूला है जिसके तहत दो वयस्कों एवं दो बच्चों वाले एक मजदूर परिवार के लिए प्रतिदिन प्रति व्यक्ति कम से कम 27 कैलोरीज प्रदान करने वाला भोजन, प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति कम से कम 18 गज कपड़ा, निम्न आय वर्ग के लिए सरकारी औद्योगिक आवास योजना के लिए वाले किराए के आधार पर आवास का प्रावधान, ईंधन, बिजली, विविध खर्चों के मध्य में कुल न्यूनतम वेतन का 20% तथा सुप्रीम कोर्ट के 1996 के फैसले के तहत शिक्षा चिकित्सकीय खर्च मनोरंजन व वृद्धावस्था तथा शादी के खर्च के मद में अतिरिक्त 25 प्रतिशत का प्रावधान भी न्यूनतम वेतन में निर्धारित किया जाना है इस तरह न्यूनतम वेतन 26000 प्रति माह होना चाहिए।
एमएसपी की कानूनी गारंटी कर किसानों का कर्जा माफ करो
5 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित होने जा रही मजदूर किसान रैली इस मांग को पूरे ताकत के साथ सरकार के सामने रख रही है कि स्वामीनाथन समिति के सी 2 फार्मूला के अनुसार फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने की कानूनी गारंटी किया जाना चाहिए जिसके तहत खेती में किसानों द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई, किराए पर श्रम, किराया पर मशीनरी हेतु किया गया खर्च के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम की लागत, जमीन की मूल्य का हिस्सा और निश्चित पूंजी पर ब्याज को शामिल कर उस पूरे लागत पर 50% लाभ जोड़ते हुए जो मूल्य आता है उसे उस फसल का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जाना है साथ ही साथ किसानों का कर्जा माफ करने की मांग रखी गई है।
मनरेगा में 600 रोजी के साथ 200 दिन का काम दो
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा काम देने का दावा करने वाली सरकार लगातार मनरेगा की बजट को कम कर रही है जिसका नतीजा यह हुआ है कि इस साल मनरेगा के लिए आवटित बजट से ग्रामीण मजदूरों को 40 दिन कभी काम नहीं दिया जा सकेगा जबकि सीटू मांग करता रहा है कि ग्रामीण मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए साल में कम से कम 200 दिन का रोजगार देने की व्यवस्था की जानी चाहिए साथ ही साथ उनकी प्रतिदिन की रोजी 600 होना चाहिए।
महंगाई पर रोक लगाओ
नेताओं ने कहा कि 5 अप्रैल को होने वाली यह रैली महंगाई पर रोक लगाने की मांग करता है। मौजूदा सरकार जब केंद्र में सत्तासीन हुई थी तब उसने 100 दिनों में महंगाई कम करने की बात कही थी उस समय जहां गैस सिलेंडर 400 पेट्रोल 60 लीटर था। वही खाद्यान्न सामग्री के कीमत भी आज के कीमतों की तुलना में 40% नीचे थी मोदी सरकार के नीतियों के चलते लगातार महंगाई बढ़ती गई और स्थितियां बद से बदतर हो गई अब जनता इनके दिखाए हुए अच्छे दिनों के ख्वाब की तुलना करते हुए पुराने दिनों को ही लौटाने की मांग कर रहा है।