नीतीश और नायडू की राह पर चलने को तड़प रहे ईपीएस 95 पेंशनभोगी

EPS 95 pensioners yearning to follow the path of Nitish and Naidu
पेंशनभोगी का वाजिब हक नहीं दिया जा रहा है। 75 लाख पेंशनरो एवं उनके परिवार को विवश किया जा रहा है।
  • बिहार को विशेष दर्जा देने के बार-बार अनुरोध को मोदी सरकार ने पहले भी बार नजरअंदाज कर दिया था।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 हायर पेंशन (EPS 95 Higher Pension) हो या न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) 7500 रुपए की मांग। नेताओं की पोल खोल अभियान का प्लेटफॉर्म बनता जा रहा है। ईपीएफओ, केंद्र सरकार के मंत्री के बाद अब नेताओं की बखिया उधेड़ी जा रही है।

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पेंशनभोगी राम शंकर शुक्ला का कहना है कि राजनीति में जहां से हमारे विचारों की सीमा समाप्त होती है, राजनीतिज्ञ का विचार वहीं से शुरू होता है। ईपीएफओ को 51000 करोड़ का ब्याज आय आदि पर सब जानते हैं। पेंशनभोगी का वाजिब हक नहीं दिया जा रहा है। 75 लाख पेंशनरो एवं उनके परिवार को विवश किया जा रहा है। 35-40 वर्ष शासन की सेवा की है।

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पेंशनर का कहना है कि मोदीजी ने कहा कि आरएसएस के स्वयं सेवक संघ से पिछली बार भी 6-7% ने जिनमें हम भी शामिल हैं, ने बीजेपी को वोट दिया। बाकी घर से नहीं निकले। अब इतिश्री। बाकी बार हम ये ग़लत भी नहीं करेंगे।

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पेंशनभोगी Gautam Chakraborty ने नीतीश कुमार पर कटाक्ष किया। कहा-विशेष दर्जा देने के बार-बार अनुरोध को मोदी सरकार ने पहले भी बार नजरअंदाज कर दिया था। लेकिन जब उल्टा डसा और राजग सरकार का अस्तित्व खतरे में आ गया, तो मोदी जी नीचे झुक गए और तुरंत छब्बीस हजार करोड़ रुपये का रोड कनेक्टिविटी फंड बिहार को दे दिया।

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बदले में नीतीश के जदयू ने 2024 लोकसभा चुनाव के बाद NDA को अपना समर्थन दिया। इसी तरह चंद्रबाबू नायडू ने भी मोदी सरकार को टीडीपी के समर्थन के खिलाफ पंद्रह हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज मांग कर अपना रुख दिखाया।

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गौतम चंद्रवर्ती ने कहा-इस प्रवृत्ति के बाद, यह निष्कर्ष निकालने के लिए बाध्य हूं कि लाखों ईपीएस 95 पेंशनरों की मांगों को तब तक नजरअंदाज किया जाएगा, जब तक भविष्य में राजग सरकार को इसी तरह के संकट का सामना नहीं करना पड़ता। तभी हमारी मांगें तुरंत पूरी होंगी और अल्पमत सरकार के अस्तित्व के लिए हमारे वोट बैंक को टैप किया जाएगा।

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