Exclusive News: SAIL बोर्ड से मिली Bhilai Steel Plant में यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल की मंजूरी, हेड हार्डेन रेल पटरी से 160 की स्पीड में दौड़ेगी ट्रेन

  • मालगाड़ी 100 किलोमीटर प्रति घंटा एवं यात्री गाड़ी 160 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ्तार से चलेगी।

  • नए यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल में निर्माण होने वाले रेल की कीमत सामान्य रेल से लगभग 30% से 40% ज्यादा होगा।

अज़मत अली, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के भिलाई स्टील प्लांट से बड़ी खबर है। रेल-सेल के रिश्ते को मजबूती और धार देने के लिए सेल बोर्ड ने बड़ा फैसला ले लिया है। बीएसपी को यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल बनाने की मंजूरी मिल गई है। इससे रेलवे की मांग को पूरा किया जा सकेगा।

रेल प्रोडक्ट का उत्पादन बढ़ने से बीएसपी की कमाई में भी इजाफा होगा। निश्चित रूप से सेल का अर्थतंत्र काफी हद तक सुधर जाएगा। साथ ही रेलवे के साथ बने 6 दशक पुराने रिश्ते की डोर और मजबूत हो जाएगी।

नए यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल को मिला स्टेज 1 अनुमोदन

29 अप्रैल 2025 को सेल बोर्ड की 552वीं बैठक में यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल को भिलाई में बनाने के प्रस्ताव को स्टेज 1 अनुमोदन मिल गया। इस मिल की क्षमता 12 लाख टन प्रतिवर्ष होगी, जिसमें 9 लाख टन रेल एवं 3 लाख टन स्ट्रक्चरल है।

सीएमओ वेयरहाउस के स्थान पर बनेगा 5900 करोड़ में मिल
यह मिल लगभग 4 साल में बनकर तैयार होगा, जिसकी अनुमानित लागत 5900 करोड़ है। यह मिल यूनिवर्सल रेल मिल के बगल में स्थित सीएमओ वेयरहाउस के स्थान पर आएगा।

यह हमारे देश का पहला ऐसा मिल होगा जिसमें हीट ट्रीटमेंट के साथ रेल का निर्माण किया जाएगा इसमें निर्मित रेल की क्षमता सामान्य रेल से कई गुना ज्यादा है।

क्यों जरूरत है इस मिल की

भारतीय रेलवे ने भिलाई इस्पात संयंत्र सेल के सामने R350 HT (हिट ट्रीटेड) रेल की मांग रखा था, जिसका निर्माण करना वर्तमान रेल मिल में संभव नहीं है। वर्तमान में रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल में R260 60E1 रेल बनाया जा रहा है।

भिलाई इस्पात संयंत्र को हर वर्ष भारतीय रेलवे द्वारा 13.5 लाख टन रेल का आर्डर मिलता है। भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा इसकी आपूर्ति की जाती है, भारतीय रेलवे ने 2032 तक R350 HT रेल के ऑर्डर को क्रमशः बढ़ाते हुए 13.5 टन करने तथा मौजूदा समय में आपूर्ति किए जा रहे R260 60E1 रेल के आर्डर को क्रमशः घटते हुए 50 हजार टन करने का निर्णय लिया है। इसीलिए R350 HT रेल बनाने के लिए नए यूनिवर्सल रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल की आवश्यकता है।

क्या फायदा होगा R350 HT रेल से

R350 HT रेल की क्षमता हर मायने में वर्तमान समय में आपूर्ति किए जा रहे R260 60E1 रेल से बहुत ज्यादा है। R350 HT रेल पर ज्यादा वजन वाले मालगाड़ी चलाया जा सकेगा। वही गाड़ी की रफ्तार भी बढ़ेगी।

पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी की बढ़ेगी रफ्तार

वर्तमान में मालगाड़ी 50 किलोमीटर प्रति घंटा एवं यात्री गाड़ी 120 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ्तार से चलती है। वहीं, R350 HT रेल पर मालगाड़ी 100 किलोमीटर प्रति घंटा एवं यात्री गाड़ी 160 किलोमीटर प्रति घंटा के रफ्तार से चलेगी, जिसमें भारतीय रेलवे, यात्रियों, मालगाड़ी द्वारा समान, पहुंचने वाले लोगों एवं कंपनियां तथा सेल भिलाई स्टील प्लांट को फायदा होगा

यूनिवर्सल रेल मिल में क्यों नहीं बना सकते हैं R350 HT रेल
यूनिवर्सल रेल मिल में R260 60E1 रेल बनाने की क्षमता 12 लाख टन है। इस मिल में R350 HT रेल बनाने की सुविधा भी उपलब्ध है। यदि साल भर R350 HT रेल  बनाया जाए तो केवल चार लाख टन रेल ही उत्पादन किया जा सकेगा, क्योंकि इस रेल को बनाने के लिए हीट ट्रीटमेंट करना पड़ता है। इसमें ज्यादा समय लगता है। इस यूनिवर्सल रेल मिल में तेजी से हीट ट्रीटमेंट करने की सुविधा नहीं है, जो नए यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल में होगा।

पुराने रेल मिल के पास नहीं है इस रेल को बनाने की सुविधा
सोवियत रूस की सहायता से निर्मित पुराने रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल ने रेल निर्माण के जगत में नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। किंतु इस मिल में हीट ट्रीटमेंट रेल बनाने की सुविधा नहीं है। इसीलिए भारतीय रेलवे द्वारा मांगे गए R350 HT रेल पुरानी रेल मिल में बनाना संभव नहीं है।

थिक वेब एसिमिट्रिक रेल, क्रेन रेल, बीम भी बनेगा

नए यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मेल में हीट ट्रीटेड रेल के अलावा 400 से 1000 mm का H बीम बनेगा। इसके साथ साथ थिक वेब एसिमिट्रिक रेल एवं क्रेन रेल भी बनेगा।

रेल वेल्डिंग प्लांट भी आएगा इस मिल के साथ

इस नए मिल के साथ एक रेल वेल्डिंग प्लांट भी आएगा, जहां पर 130 मीटर के दो रेल को वेल्डिंग कर 260 मीटर का रेल बनाया जाएगा। इसका भारतीय रेलवे में बड़ी मांग है।

मुनाफा एवं भविष्य दोनों है इस मिल से

इस नए यूनिवर्सल रेल एंड स्ट्रक्चरल मिल में निर्माण होने वाले रेल की कीमत सामान्य रेल से लगभग 30% से 40% ज्यादा होगा। इस मिल के भिलाई इस्पात संयंत्र में आने से संयंत्र की क्षमता बढ़ जाएगा एवं संयंत्र का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा।