भारत के इतिहास में पहली बार उप राष्ट्रपति का इस्तीफा, जगदीप धनखड़ ने बताया स्वास्थ्य कारण, विपक्ष ने उठाए सवाल

For the first time in the history of India the Vice President resigned Jagdeep Dhankhar gave medical reasons

संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारत के इतिहास में पहली बार किसी उप राष्ट्रपति ने कार्यकाल पूरा किए बगैर ही इस्तीफा दे दिया है। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया है। तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने को लेकर हड़कंप मच गया है। मेडिकल कारणों से इस्तीफा देने की बात सामने आई है। 2027 तक कार्यकाल था, इससे पहले ही इस्तीफा हो गया है। वहीं, राजनीतिक गलियारे में कुछ और ही दावा किया जा रहा है।

राजनीतिक विशेषज्ञों ने यहां तक बोल दिया कि मानसून सत्र शुरू होने के बाद अचानक से इस्तीफे की खबर में कुछ न कुछ दाल में काला है। दूसरी ओर कुछ लोग यहां तक बोल गए कि उप राष्ट्रपति नाराज चल रहे थे। इन तमाम दावों में कितनी सच्चाई है, यह तो उप राष्ट्रपति का आधिकारिक बयान आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। विपक्ष के सांसदों ने यहां तक कहा कि शाम 6 बजे तक वे उप राष्ट्रपति के साथ मीटिंग में थे। वह एक कमेटी में शामिल करने की बात कर रहे थे। ऐसे में अचानक से इस्तीफे की बात हजम नहीं हो रही है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने इस्तीफे में ये लिखा…

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने इस्तीफे में जगदीप धनखड़ ने लिखा-स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं।

उन्होंने कहा-मैं भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी के प्रति उनके अटूट समर्थन और मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच बने सुखद और अद्भुत कार्य संबंधों के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर ये लिखा

प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त किया। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है, और अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। सभी संसद सदस्यों से जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह सदैव मेरी स्मृति में बना रहेगा।

महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति

उप राष्ट्रपति ने लिखा-हमारे महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों और अंतर्दृष्टि के लिए मैं हृदय से आभारी हूँ। इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखना और उसमें भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य और संतुष्टि की बात रही है। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान रहा है।

इस प्रतिष्ठित पद से विदा लेते हुए, मैं भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहा हूँ और इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूँ।