-एशिया की सबसे शक्तिशाली बिजनेस लीडरों में से एक सोमा मंडल की तरह राउरकेला की महिला प्रभारियों का जज्बा भी कम नहीं।
सूचनाजी न्यूज, राउरकेला। जब पूरा विश्व 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए एकजुट हो रहा है, तो सेल, राउरकेला स्टील प्लांट (आर.एस.पी.) अपनी महिला प्रतिभाओं को लेकर गर्व करेगा। जो विविध भूमिकाओं में अमूल्य योगदान के माध्यम से कंपनी के विकास को गति दे रहे हैं। उनके लिए इससे बड़ी प्रेरणा की बात और क्या हो सकती है कि वे जिस महारत्न कंपनी की अंश हैं।
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इसका नेतृत्व सोमा मंडल कर रही हैं, जो एशिया की सबसे शक्तिशाली बिजनेस लीडरों में से एक हैं। इस्पात संयंत्र के कुशल संचालन में उनकी सशक्त भूमिका, जिसे कभी पुरुषों की ताकत के रूप में जाना जाता था। उन्हें इस्पाती महिला (‘स्टील वूमेन’) में बदल दिया है, जो सभी रूढ़ियों को तोड़ रही हैं। शॉप फ्लोर के पारंपरिक पुरुष वर्चस्व से लेकर सुरक्षा इंजीनियरिंग तक, इलेक्ट्रॉनिक्स से संचार तक और मानव संसाधनों को संभालने से लेकर पार्श्वंचल विकास के प्रबंधन तक, इन महिलाओं ने विभिन्न इकाइयों का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करते हुए एक अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
2 महिला मुख्य महाप्रबंधकों, 5 महिला विभागों की प्रमुखों और कई महिला अनुभागों की प्रमुखों के साथ, आरएसपी में नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
केवल नारीवाद या शब्दजाल तक महिला नहीं-राजश्री
मुख्य महाप्रबंधक (एच.आर.डी.) राजश्री बानर्जी सेल के स्टील ग्रुप में अपनी शानदार यात्रा को याद करते हुए कहती हैं, “महिला सशक्तिकरण केवल नारीवाद या शब्दजाल के उपयोग के बारे में नहीं है, यह एक साथ काम करने और सहयोगात्मक प्रयास के बारे में है। मुझे सेल जैसे संगठन में कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जो पुरुष और महिला दोनों कर्मचारियों को समान अवसर प्रदान करने में विश्वास करता है।”
हालातों बदलते हुए देखा-सुनीता सिंह
मुख्य महाप्रबंधक (उत्पादन योजना एवं नियंत्रण) सुनीता सिंह कहती हैं, “एक महिला के लिए एक गैर-पारंपरिक क्षेत्र में करियर बनाने की आशा करना शारीरिक और मानसिक स्थिति दोनों ही संदर्भ में एक चुनौती है, जिसमें सतत सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिबंध हैं। शॉप फ्लोर पर एक इंजीनियर के रूप में काम करने की इस स्व-चयनित यात्रा में मैंने खुद को घटना चक्रों के मध्य में रखा, टीम के साथियों के साथ मिलकर काम किया और हालातों बदलते हुए देखा।”
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किसी भी तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया-चैताली दास
चैताली दास, जो महा प्रबंधक प्रभारी के रूप में आर.एस.पी. के बिजनेस एक्सीलेंस एवं इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग की प्रमुख हैं और इस्पात संयंत्र के गुणवत्ता प्रमाणन के प्रमुख वास्तुकारों में से एक हैं। उन्होंने कहा, “मैंने आर.एस.पी. में अपने पूरे करियर में कभी भी किसी भी तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया, इसके बावजूद कि मेरी सेवा के शुरुआती वर्षों में केवल कुछ महिला कर्मचारी थीं। 80 के दशक में महिला कर्मचारियों की संख्या कारख़ाना का कुल कार्यबल का लगभग 1% था, जो अभी बढ़कर लगभग 6% हो गया है!”
आरएसपी महिला कर्मचारियों के काम करने की बेहतरीन जगह-आशा
आशा एस. करथा, एक अन्य दक्ष महिला अधिकारी महाप्रबंधक प्रभारी के रूप में आर.एस.पी. के महत्वपूर्ण सुरक्षा इंजीनियरिंग विभाग की कमान संभाली हुई हैं। कोविड महामारी के दौरान देश के सभी कोनों में तरल ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करके उन्होंने ऑक्सीजन प्लांट के प्रमुख के रूप में अपने पहले के कार्यकाल में प्रशंसा अर्जित की थी। वे कहती हैं, “आर.एस.पी. महिला कर्मचारियों के काम करने के लिए एक बेहतरीन जगह है।
मुझे आर.एस.पी. में करियर बनाने की इच्छुक युवा महिला प्रतिभाओं को बताना है कि यह स्थान विकसित होने के समान अवसर प्रदान करता है और आप निस्संदेह अपनी दक्षताओं और नेतृत्व क्षमताओं के साथ अपना रास्ता बना सकते हैं ।”
प्रमोशन में लिंग भेद कभी भी मुद्दा नहीं बना-सुमिता भट्टाचार्य
महाप्रबंधक प्रभारी (संचार इंजीनियरिंग विभाग) सुमिता भट्टाचार्य, कहती हैं, “जब मैं 1995 में एक अभियंता के रूप में आरएसपी में शामिल हुई, तो शुरू में मुझे यह आशंका थी कि एक महिला होने के नाते मैं इस तरह के कठिन इस्पात उद्योग के प्रतिस्पर्धा की दुनिया में टिक सकूंगी भी या नहीं। मैं शिक्षण पेशा चुनने के बारे में भी सोच रही थी। लेकिन समय के साथ साथ मुझे एहसास हुआ कि पदोनति की सीढ़ी पर आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से कड़ी मेहनत और योग्यता की आवश्यकता होती है जिसमें लिंग भेद कभी भी मुद्दा नहीं बना।”
बालिकाओं को एक वरदान के रूप में देखें-डाक्टर प्रतिभा
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. प्रतिभा षडंगी, आर.एस.पी. की सबसे वरिष्ठ महिला चिकित्सक और इस्पात जनरल अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख हैं। वे न केवल महत्वपूर्ण विशेषज्ञ चिकित्सा सेवा प्रदान करती हैं, बल्कि प्रत्येक रोगी को समय पर और कुशल स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए विभाग के प्रशासन का प्रभावी प्रबंधन भी करती हैं।
उनके शब्दों में, “हमें अपने आस-पास के सभी लोगों की सोच बदलनी चाहिए कि वे बालिकाओं को एक वरदान के रूप में देखें, तभी हम बेहतर से बेहतर विकास की आशा कर सकते हैं। इस्पात उद्योग में महिलाओं की सफलता लोगों के दृष्टिकोण को बदलने में मदद करती है।”
स्किलिंग, अनलर्निंग और री-लर्निंग का मौका-मुनमुन मित्र
महाप्रबंधक (सी.एस.आर.) मुनमुन मित्र, एक अन्य वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने आर.एस.पी. की विभिन्न सी.एस.आर. गतिविधियों को सफलतापूर्वक शुरू करने और कार्यान्वित कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उनके शब्दों में, “आर.एस.पी. लिंग की परवाह किए बिना अपने प्रत्येक कर्मचारी को एक विशेष नीचे से ऊपर उठने के साथ-साथ सभी विषयों में अपने ज्ञान और कौशल को सीखने और सुधारने का यह अनूठा अवसर देता है।
एक ऐसे युग में जब कौशल, पुराने को छोड़ना, नए सिरे से सीखना (स्किलिंग, अनलर्निंग और री-लर्निंग) प्रमुख शब्द हैं, आर.एस.पी. ने मुझे मेरे अब तक के 25 साल के लंबे करियर में यह मौका दिया है।”
सुरक्षा और सम्मान का यहां ज्यादा ध्यान-अर्चन शतपथी
उप महाप्रबंधक (जनसंपर्क) एवं संचार प्रमुख्य अर्चना शतपथी कहती हैं, “आर.एस.पी. में नेतृत्व की भूमिका निभाने वाली महिलाओं की प्रक्रिया काफी जैविक रही है। महिलाएं अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ-साथ लैंगिक-समानता के लिए संयंत्र में प्रचलित अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के दम पर भूमिकाओं में आगे बढ़ी हैं।
मेरे 23 साल की नौकरी में मुझे कभी किसिने ये महसूस नहीं होने दिया की महिला होने के कारण मुझे कुछ मिलना नहीं चाहिए। बल्कि मुझे हमेशा से यह लगता आया है की मेरी सुरक्षा और सम्मान का यहां ज्यादा ध्यान दिया जाता है।”
मेरे व्यावसायिक जीवन को नया आयाम-डाक्टर दीपा
संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन में काम करने के पूर्व अनुभव के साथ, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की प्रभारी, डॉ. दीपा लावंगरे कहती हैं, “आरएसपी ने काम करने के अनुभव के रूप में मेरे व्यावसायिक जीवन को नए आयाम दिए हैं, क्योंकि सेल जैसी महारत्न कंपनी के साथ काम करना अपने आप में एक बड़ी बात है।
मैं समाज की ध्वजवाहक हूं-डाक्टर दास
इस्पात इंग्लिश मीडियम स्कूल, सेक्टर-18 की प्रधानाध्यापिका डॉ. दास कहती हैं, ”ऋग्वेद में स्त्री उपदेश देती है-अहम केतु अहम मुर्धा अहम उग्रा बिबचनी (10,159,2)-मैं समाज की ध्वजवाहक हूं, मैं अपने परिवार का मस्तिष्क हूं, मैं अपने राष्ट्र की बुद्धि हूं। हम, आरएसपी की महिला कार्यबल, अपनी प्रतिबद्धता, कड़ी मेहनत, निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपने भाईयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं ताकि हम अपने सामान्य लक्ष्य को साकार करने के लिए मां आर.एस.पी. की सेवा कर सकें।