- 10वीं मुहर्रम के दिन इमाम हुसैन और उनके कुनबे के 72 साथियों की शहादत हुई थी, जिसका गम आज भी मनाया जा रहा है।
अज़मत अली, भिलाई। हजरत मोहम्मद (सल्ल.) के नवासे इमाम हुसैन और उनके कुनबे के 72 साथियों की शहादत का गम मनाया जा रहा है। इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम की 10वीं तारीख को शहादत हुई थी। इसलिए मुसलमान इस दिन को गम के तौर पर मनाते हैं। गम को इजहार करने का अपना-अपना तरीका है। कहीं ताजिया बैठाई गई तो कहीं मातम किया जा रहा। घरों, मस्जिदों और मदरसों में कुरआनख्वानी हो रही है। यानी कुरआन का पाठ।
गम का मौका है, इसलिए लोगों ने रोजे भी रखे हुए हैं। मस्जिदों में दोपहर बाद आशूरा की दुआ पढ़ी जाएगी। शाम को इमाम चौक से ताजिया का जुलूस निकाला जाएगा, जो भिलाई के सुपेला कर्बला मैदान में पहुंचेगा।
9वीं मुहर्रम यानी शुक्रवार की रात शहर में कहां किस तरह से मुहर्रम मनाया जा रहा है, इसका जायजा लिया गया। सेक्टर-6 ईदगाह मैदान के समीप अलाव हर साल की तरह इस बार भी जलाया गया। यहां दहकते अंगारों पर लोग कूदते रहे। अपने तरीके से लोग गम-ए-हुसैन में खोए रहे। इसी तरह फरीदनगर निजामी चौक मैदान में भी कुछ ऐसा ही दृश्य दिखा। ढोल-तासे की आवाज के बीच लोग अंगारों को रौंद रहे थे। हजारों की भीड़ इसको निहारती रही। बच्चों संग महिलाएं भी डटी रहीं। पुलिस प्रशासन ने खास इंतजाम किया था। हर चौक-चौराहे और इस तरह के आयोजन स्थल पर फोर्स मुस्तैद रही।
इसी बीच सभी इमाम चौक से ताजिया और अखाड़े का जुलूस निकालना शुरू हुआ। युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए अखाड़े के खिलाड़ी आगे-आगे चल रहे थे, पीछे ताजिया का जुलूस। ईदगाह लाल मैदान, फरीदनगर, सुपेला से ताजिया का जुलूस गदा चौक पहुंचा। यहां सभी ने युद्धकौशल का प्रदर्शन किया। इसके बाद पॉवर हाउस की तरफ भीड़ बढ़ती गई। कैंप एरिया में भी कुछ ऐसे ही हालात थे। पॉवर हाउस से दोबारा ताजिया जुलूस इमाम चौक लौट गया,जो आज शाम कर्बला के लिए रवाना होगा।
इधर-सुपेला कर्बला मैदान में ताजिया को देखने और फातिहा पढ़ने वालों की भीड़ रही। कोई अगरबत्ती जलाता रहा तो कोई फूल पेश करता रहा। बता दें कि भिलाई शहर से दोपहर बाद ताजिया का जुलूस निकाला जाएगा। पॉवर हाउस चौक पर सभी ताजिया पहुंचेंगे। इसके बाद विभिन्न रास्तों से होते हुए जुलूस कर्बला मैदान पहुंचेगा। दुर्ग में भी कुछ इसी तरह के का इंतजाम है। वहीं, शिया समुदाय की तरफ से भिलाई के इमामबाड़ा में मजलिस की जा रही है। काले लिबास में महिलाएं और बच्चे गम-ए-हुसैन में खोए हुए हैं। कर्बन के वाक्यात बयान किए जा रहे हैं।