सूचनाजी न्यूज, भिलाई। नेशनल कॉफ्रेडेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन (National Confederation of Officers Association) (NCOA) की नेशनल एक्सीक्यूटिव काउंसिल (National Executive Council) की बैठक पालघाट (केरल) में हुई। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उपक्रमों के अफसरों से जुड़े मुद्दों पर लंबी चर्चा की गई। NCOA की बैठक की अध्यक्षता, NCOA के कार्यकारी अध्यक्ष नरेंद्र कुमार बंछोर ने की। इस बैठक में महासचिव जी.अनिल कुमार, चेयरमैन गर्वनिंग काउंसिल वी.के. तोमर, संरक्षक एच.एम मल्लेश, संगठन सचिव कुसुमा राजशेखर, सचिव महिला कल्याण गीता सुनातकरी, सलाहकार बी.थामस, कोषाध्यक्ष सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।
NCOA नेशनल एक्सीक्यूटिव काउंसिल की इस बैठक में काउंसिल ने केन्द्र शासन के द्वारा BSNL और MTNL के पुर्नउद्धार किए जाने के प्रयासों की प्रशंसा की तथा अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के प्रस्तावित निजीकरण के प्रयासों पर अपनी असहमति तथा इससे राष्ट्र को होने वाली संभावित क्षति पर चर्चा की। इस बैठक में केंद्र सरकार के कार्मिकों की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्र के कार्मिकों पर टैक्स के अधिक भार के कारण उत्पन्न भेदभाव को समाप्त करने की मांग पर भी चर्चा हुई।
गौरतलब है कि केंद्रीय कार्मिकों को आवास के लिए नोशनल परक्यूसीट टैक्स, कार लोन, PF ब्याज पर टैक्स की सीमा, एजुकेशन लोन, होम लोन आदि पर टैक्स में भारी छूट प्राप्त हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के कार्मिकों को इन सभी मदों पर टैक्स में समान छूट प्राप्त नहीं हैं।
NCOA अध्यक्ष ने बताया कि इस्पात क्षेत्र को रणनीतिक क्षेत्र में रखने के लिए और इस्पात क्षेत्र के सभी सार्वजनिक उपक्रमों का रणनीतिक विलय करके एक मेगा इस्पात कंपनी के गठन करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया जा चुका हैं। इसके लिए सभी केंद्रीय मंत्रियों से पत्राचार किया गया हैं। नई सरकार के गठन के बाद कुछ केंद्रीय मंत्रियों को ज्ञापन भी सौंपा गया हैं। मौजूदा समय में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड का प्रचालन बड़ी कठिनाई से हो रहा हैं और अधिकारियों के वेतन में भी कमी की गई हैं। NCOA ने इस मुद्दें पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से RINL को शीघ्र वित्तीय मदद करने का अनुरोध किया गया हैं।
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NCOA का मानना हैं कि इस्पात क्षेत्र के राष्ट्र के तीन महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रमों क्रमशः नगरनार स्टील प्लांट, RINL और FSNL को विनिवेश करने के बजाए उनका आपस में SAIL के साथ रणनीतिक विलय/साझेदारी किया जाए। यह रणनीतिक विलय राष्ट्र हित में होने के साथ ही राष्ट्र के समग्र विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।
इस संदर्भ में ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा इस तरह के रणनीतिक विलय बैंकों में किया गया, जहां इसका श्रेष्ठ रिजल्ट हासिल हुआ। इस्पात क्षेत्र में SAIL के अलावा राष्ट्रीय इस्पात निगम, मेकॉन, नगरनार स्टील प्लांट, मॉइल, FSNL, आदि कंपनियां इस्पात मंत्रालय के अधीन कार्यरत हैं, जिनके संविलियन से एक विशाल इस्पात उत्पादक कंपनी का निर्माण किया जा सकता हैं। इससे इन अलग-अलग कंपनियों के पास उपलब्ध संसाधनों का अधिक से अधिक दक्षता से दोहन किया जा सकता हैं। इससे प्रस्तावित मेगा PSU अत्यंत ही उत्पादक और लाभप्रद होगा।
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-वर्ष 2030 का है टॉर्गेट
गौरतलब है कि भारत सरकार की नवीन इस्पात नीति 2030 के तहत इस्पात मंत्रालय के द्वारा SAIL को क्षमता विस्तार के लिए निर्देश दिया गया हैं। इसके तहत SAIL को वर्ष 2030 तक 21 MT से 35 MT की क्षमता अर्जित करने का टॉर्गेट दिया गया हैं। इस विस्तार के लिए SAIL के द्वारा एक लाख करोड़ रुपए की राशि का निवेश किया जाएगा।
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इस्पात क्षेत्र के दो सार्वजनिक उपक्रमों नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (Rashtriya Ispat Nigam Limited) को, जिनकी क्षमता क्रमशः तीन MT और 7.3 MT हैं एवं दोनों ही संयंत्रों का वर्तमान में विनिवेश प्रस्तावित हैं। NCOA ने सेफी के संकल्प को दोहराया हैं और केंद्र सरकार से सार्वजनिक उपक्रम सेल के द्वारा एक लाख करोड़ के निवेश के साथ क्षमता विस्तार किए जाने तथा नगरनार इस्पात संयंत्र और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के विनिवेश जैसे विरोधाभाषी फैसलों के स्थान पर सेल के विस्तारीकरण की योजना के अंतर्गत नगरनार इस्पात संयंत्र एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के रणनीतिक विलय/साझेदारी की मांग की हैं।
NCOA ने सार्वजनिक क्षेत्र के कार्मिकों के द्वारा EPS-95 पेंशन योजना के अंतर्गत हासिल पेंशन को अधिकारियों के अंतिम बेसिक-पे और DA से संबद्ध करने की भी मांग पिछले वर्षों में केंद्र सरकार से कई बार की गई हैं।
-केंद्रीय मंत्री से किया अनुरोध
गौरतलब है कि NCOA, एन.सी.आर. के साथ इस विषय में सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी भी था तथा रिटायर्ड अफसरों के हितों के लिए हमेशा संघर्षरत रहा हैं। NCOA के पदाधिकारियों ने केंद्रीय श्रममंत्री मनसुख मांडविया व मुख्य भविष्य निधि आयुक्त से सर्वोच्च न्यायालय के चार नवंबर 2022 को हायर पेंशन आदेश के क्रियान्वयन में हो रहे भारी विलंब के संदर्भ में ध्यान आकृष्ट कराते हुए इसके शीघ्र क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया हैं।
इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हायर पेंशन के लिए EPFO को चार नवंबर 2022 को दिए निर्णय में हायर पेंशन के लिए आदेशित किया गया हैं। परंतु विडंबना यह हैं कि इस आदेश को आज तक EPFO ने अपने सभी क्षेत्रीय दफ्तरों में क्रियान्वित नहीं करा पाया है। जिसके फलस्वरूप अधिकांश संगठनों के 2014 के बाद सेवानिवृत्त एवं सेवारत कर्मचारियों को कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) -95 के तहत हायर पेंशन का लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा है।
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