SAIL NEWS: मजदूरों को AWA का कहीं 3300, 3700 और 4100 रुपए ही, बंदरबाट रोकना जरूरी

  • पिछले वेतन समझौता के समय पहली बार ठेका श्रमिकों को मिल रहे AWA  में बढ़ोतरी करने के संदर्भ में फैसला लिया गया।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के अलग-अलग स्टील प्लांट और खदान में Additional Welfare Amenity-AWA के रूप में मजदूरों को 3300, 3700, 4100 रुपए मिलेगा। सेल प्रबंधन और एनजेसीएस नेताओं के बीच गुरुवार को दिल्ली में फैसला हो गया।

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बैठक की खबर बाहर आते ही सोशल मीडिया पर भड़ास निकालने का सिलसिला भी तेज हो गया। सेल कर्मचारी लिख रहे हैं कि प्रबंधन और यूनियन लीडर सभी के साथ धोखा ही करते हैं। ठेका श्रमिकों का 10 सालों में मात्र 900 रुपया से लेकर 1600 रुपया ही बढ़ोतरी किया गया है। न तो एरियर, न ही नाइट एलाउंस और न ही अन्य कोई भत्ता…।

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प्रबंधन सुनिश्चित करे कि बढ़ा रुपया ठेका श्रमिक के घर तक पहुंचे

सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा, कि पिछले वेतन समझौता के समय पहली बार ठेका श्रमिकों को मिल रहे AWA  में बढ़ोतरी करने के संदर्भ में फैसला लिया गया। इसके बाद ठेका श्रमिकों में खुशी की लहर दौड़ गई किंतु बाद में पता चला कि यह बढ़े हुए रुपए में से एक हिस्सा बंदरबांट हो गया।

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अर्थात बढ़ा हुआ पूरा रकम ठेका श्रमिकों के घर तक पहुंचाने के बजाय कुछ पैसा ठेकेदार ने दबा दिया, तो कुछ पैसा किसी और ने हिस्सा के रूप में मांग लिया। यह हिस्सेदारी क्या है? यह सभी जानते हैं। इसीलिए सीटू का स्पष्ट मानना है कि ऑपरेटिंग अथॉरिटी की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करें कि संयंत्र के उत्पादन के लिए काम करने वाले ठेका मजदूरों को मिलने वाला एक-एक रुपया ठेका मजदूरों के घर तक पहुंच पाए।

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इसके लिए ठेका प्रणाली में ही हाजिरी कार्ड, वेतन पर्ची, बैंक पेमेंट के साथ-साथ ठेका श्रमिकों के वेतन के पैसे में होने वाले बंदरबांट में पैसा ना देने पर ठेका श्रमिकों का गेट पास नहीं छीना जाए।

बंद होना चाहिए रिवर्स ऑप्शन, तय हो किसी काम का सही मूल्य

महासचिव जेपी त्रिवेदी का कहना है कि रिवर्स ऑप्शन में ठेका देने कि पद्धति पर पूरी तरह से विराम लगाया जाना जरूरी है। ठेका में लिए गए काम को अंजाम देने में होने वाले खर्च ईएसआई, पीएफ एवं अन्य लाभों के साथ ठेका श्रमिक को दिया जाने वाला पूरा वेतन तथा ठेकेदार को उस काम के एवज में मिलने वाले लाभ की सही गणना होनी चाहिए।

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इसके बाद ठेका में लिए गए किसी काम को करने के लिए लगने वाले खर्च का सही अनुमान लगाकर उससे नीचे किसी भी ठेका को आवंटित नहीं किया जाना चाहिए। अर्थात उपरोक्त सभी गणना करने के बाद निकले मूल्य को उस ठेका को आवंटित करने का बेस्ट प्राइस निर्धारित होना चाहिए।
उस प्राइस के ऊपर जो भी एल-1 में कोटेशन आता है, उसे ठेका दिया जाना चाहिए, ताकि ठेका मजदूरों को मिलने वाले पूरे वेतन पर किसी किस्म की डकैती ना हो सके। इतना सब करने के बाद भी ठेका मजदूरों को मिलने वाले वेतन पर सतत निगरानी आवश्यक होगी।

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