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- कुछ यूनियनें बहुमत के चक्रव्यूह में नहीं फंसती और सभी यूनियन कर्मियों के मांगों को लेकर एकजुट रहते तो कब का वेतन समझौता पूर्ण हो चुका होता।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। दुर्गापुर इंटक यूनियन ने वेतन समझौता के लिए ईडी एचआर का घेराव करते हुए कहा था कि सीटू वेतन समझौता में कुछ ऐसी शर्तों को रखा है, जिसे प्रबंधन मान नहीं रहा है। इसीलिए सीटू को छोड़कर वेतन समझौता फाइनल करें। इंटक के द्वारा कही गई यह बात सीटू के द्वारा प्रबंधन के सामने कर्मियों के पक्ष में रखने वाली शर्तों पर मोहर लगाता है। इंटक के द्वारा सीटू की तारीफ करने के लिए सीटू नेताओं ने इंटक को धन्यवाद कहा।
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कार्मिक विरोधी किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा सीटू
सीटू भिलाई के महासचिव जेपी त्रिवेदी ने कहा- सीटू किसी भी मजदूर विरोधी शर्तों और प्रावधानों पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेगा। कभी-कभी ऐसे प्रावधान प्रबंधन के द्वारा चोरी चुपके तरीके से समझौते में डाल भी दिया जाता है तो सीटू उन प्रावधानों पर डिस्प्यूट करके हटवा देता है।
सीटू का स्पष्ट कहना है कि जब 2012 से 2017 के बीच 5 साल के वेतन समझौता में 17% मिनिमम गारंटीड बेनिफिट लिए थे, तब 10 साल के समझौता के लिए 13% मिनिमम गारंटीड बेनिफिट लेना किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है।
इसीलिए सीटू ने 1 जनवरी 2022 से एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने की मांग प्रबंधन के सामने रखा है, जिसे बाद में सभी ट्रेड यूनियनों ने भी समर्थन किया है। साथ ही साथ 39 महीने का एरियर्स से लेकर, बोनस फार्मूला पर जिस तरह की शर्तों को प्रबंधन ने थोपा है। वे शर्तें हस्ताक्षर करने योग्य नहीं है।
अभी तक पूरा लागू नहीं करवा पाए 22 अक्टूबर 2021 का एमओयू
सीटू नेता ने आगे कहा कि 22 अक्टूबर 2021 को बहुमत के आधार पर जो एमओयू किया गया, उसमें भी पहले दिन अर्थात 21 अक्टूबर को कई ऐसी शर्तों को रखा गया था, जो सेल के कर्मचारी वर्ग के भविष्य के लिए ठीक नहीं था। इस पर सीटू द्वारा कड़ी आपत्ति करने के कारण दूसरे दिन उन शर्तों को हटाते हुए तीन यूनियनों का बहुमत बनाकर प्रबंधन ने जो एमओयू किया था, उसे भी आज तक पूरी तरह से लागू नहीं करवा पाए हैं।
ज्ञात हो कि एमओयू एवं बोनस फार्मूला पर जिन यूनियनों ने हस्ताक्षर किया था,अब वे यूनियन भी उस एमओयू एवं बोनस फार्मूला से असंतुष्ट है।
बहुमत के चक्रव्यूह में नहीं फसते तो कब का हो चुका होता वेतन समझौता
सीटू के सहायक महासचिव टी.जोगा राव ने कहा-जिस वेतन समझौता के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वह दसवां वेतन समझौता है। सेल के इतिहास में अब तक हुए सभी नौ वेतन समझौता सर्वसम्मति से किया गया। किंतु दसवें वेतन समझौता में बहुमत का खेल शुरू किया गया।
यदि कुछ यूनियनें बहुमत के चक्रव्यूह में नहीं फसते और सभी यूनियन कर्मियों के मांगों को लेकर एकजुट रहते तो कब का वेतन समझौता पूर्ण हो चुका होता। 30 जून 2021 के सफल हड़ताल के बाद प्रबंधन कर्मियों के वेतन समझौता को लेकर दबाव में था। वहीं, अधिकारियों के वेतन सिफारिशों को लागू करने की बात को लेकर अधिकारियों के तरफ से भी दबाव बढ़ गया था। ऐसे में मजबूती से खड़े रहते तो उसी समय कर्मियों के पक्ष में बेहतरीन वेतन समझौता पूर्ण हो चुका होता।
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पिछले वेतन समझौतो में भी सीटू ने निभाई थी अपनी भूमिका
पिछले वेतन समझौता के पहले जब 50% महंगाई भत्ता मूल वेतन में जोड़ दिया गया था, उस समय भी वेतन समझौता में बाकी यूनियनें 68.8% महंगाई भत्ता को मूल वेतन में जोड़कर नया वेतन निर्धारण करने पर सहमत हो गए थे। तब सीटू ना केवल अकेले इस बात को प्रबंधन के सामने रखा, बल्कि तर्को के साथ यह साबित भी कर दिया कि महंगाई भत्ता 68.8% नहीं बल्कि 78.2% जोड़कर नया वेतन निर्धारण करना होगा।
जिसे प्रबंधन ने मान लिया, उसके बाद न्यूनतम गारंटीड बेनिफिट जहां 21% पर बाकी यूनियन राजी हो गए थे तब सीटू 1.5% अर्थात आधा इंक्रीमेंट बढ़ने पर अड़ा रहा, जिसे आखिरकार प्रबंधन ने बढ़ाया। इसके बाद सीटू ने उस वेतन समझौता पर हस्ताक्षर किया।
खुली किताब है सीटू की कार्यशैली
उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा-सीटू कभी भी ट्रेड यूनियन के आपसी प्रतिस्पर्धा में विश्वास नहीं रखता। यही कारण है कि सीटू की कार्यशैली हमेशा से ही कर्मियों के लिए खुली किताब रही है। सीटू जो कुछ भी करता है वह कर्मियों के बीच रखता है। समझौता पर अंतिम हस्ताक्षर के पहले मसौदे पर राय लेती है एवं उसके बाद ही समझौते पर हस्ताक्षर करती है।
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