सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल कर्मचारियों (SAIL Employees) के लंबित मुद्दों को हल करने के लिए नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील इंडस्ट्री-एनजेसीएस (National Joint Committee for Steel Industry-NJCS) की बैठक शनिवार को दिल्ली में है। दो दर्जन से ज्यादा नेताओं का जमावड़ा दिल्ली में है। सीटू, इंटक, एटक, एचएमएस आदि यूनियन के नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं। कर्मचारियों का मुद्दा हल कराने की कवायद की जाएगी। अगर, वार्ता विफल हुई तो हड़ताल होनी तय है। यूनियनों की ओर से 29 व 30 जनवरी को हड़ताल का नोटिस दिया जा चुका है।
इधर-हड़ताल को अवैध कहने पर नाराजगी
हड़ताल के लिए संयुक्त यूनियन द्वारा नोटिस देने के बाद हड़ताल के ऊपर प्रबंधन द्वारा यूनियनों को जारी किए गए अपील पत्र पर सवाल उठाते हुए सीटू ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर हड़ताल किया जा रहा है, वे मुद्दे भले ही नीतिगत हो सकते हैं। किंतु सीधे कर्मियों से जुड़े हुए हैं जिसका असर संयंत्र के उत्पादन पर पड़ता है 84 माह इंतजार करने के बाद समाधान ना निकलता देख संयुक्त यूनियन ने विधान के अनुसार 14 दिन का हड़ताल का नोटिस दिया है जो पूरी तरह से वैध है।
क्या पैसा रोकने से कर्मियों पर पड़ेगा अनुकूल असर?
सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी ने कहा की प्रबंधन ने अपने अपील में लिखा है कि एक दिन के हड़ताल करने से इसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल उत्पादन पर पड़ता है बल्कि कर्मियों के आय पर भी पड़ता है तो क्या हमारा वेतन एवं अलाउंस को 84 महीने तक रोकने से इसका प्रतिकूल प्रभाव कर्मियों की आय एवं संयंत्र के उत्पादन पर नहीं पड़ेगा? यदि कर्मियों के हक का पैसा रोकने से इसका प्रतिकूल प्रभाव उत्पादन एवं कर्मियों के मनोबल पर पड़ता है तो प्रबंधन को अभिलंब यह पैसा जारी कर देना चाहिए।
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कहा तक वैध है कर्मियों का 39 माह का पैसा रोकना
सीटू के महासचिव जगन्नाथ त्रिवेदी ने कहा कि 1 जनवरी 2017 से कर्मियों का नया वेतन समझौता लंबित है 22 अक्टूबर 2021 को प्रबंधन ने बहुमत बनाकर एम ओ यू करने के बाद 1 जनवरी 17 से 31 मार्च 20 तक 39 माह का एरियर्स देने के लिए आनाकानी शुरू कर दिया। केंद्र सरकार की अफॉर्डेबिलिटी क्लास के चलते यह एरियर्स रोका जा रहा है। सीटू प्रबंधन से पूछता है कि कर्मियों का 39 माह का एरियर्स रोकना अर्थात बेसिक एवं महंगाई भत्ते के अंतर के रकम को कर्मियों को नहीं देना क्या वैधानिक है।
क्या अवैध नहीं है असीमित ग्रेच्युटी का पैसा रोकना
सीटू के सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र सहित सेल के सभी इकाइयों में कार्यरत कर्मियों को सेवानिवृत होने पर 1970 में हुए त्रिपक्षीय समझौता के तहत असीमित ग्रेच्युटी मिलता रहा है। इस असीमित ग्रेच्युटी को लेने का प्रावधान 1972 में बने पेमेंट आफ ग्रेच्युटी एक्ट में भी है किंतु प्रबंधन ने त्रिपक्षीय वार्ता में हुए निर्णय को एक तरफ खारिज करते हुए 26 नवंबर 2021 को सर्कुलर जारी किया कि अब कर्मियों को असीमित ग्रेच्युटी नहीं दी जाएगी। अर्थात कर्मियों का ग्रेच्युटी सीलिंग किया जा रहा है इस पर सीटू का सीधा सवाल है कि क्या त्रिपक्षी वार्ता समिति में असीमित ग्रेच्युटी पर लिए गए निर्णय को प्रबंधन द्वारा एक तरफ खारिज करना अवैध नहीं है।
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संयंत्र प्रबंधन कर्मियों को बताएं कि “वे किस स्तर पर ले सकते है निर्णय”
प्रबंधन ने यूनियन को दिए पत्र में कहा है कि “हड़ताल को लेकर दी गई सूचना में अधिकांश मुद्दे नीतिगत है, जिस पर निर्णय लेना संयंत्र प्रबंधन के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और अन्य मुद्दों पर तत्काल संयंत्र स्तर पर निर्णय लेना संभव नहीं है।” प्रबंधन के द्वारा दिए गए पत्र में लिखित वाक्य के अनुरूप सीटू का कहना है कि संयुक्त यूनियन ने सेल के उच्च अधिकारी को संबोधित करते हुए हड़ताल का नोटिस दिया है। संयंत्र के सर्वोच्च पद पर बैठे अधिकारी सेल प्रबंधन के निदेशक है एवं वे उस स्तर के बैठकों में भागीदारी करते हैं जहां नीतिगत फैसले लिए जाते हैं। बावजूद इसके कार्मिक प्रबंधन द्वारा कार्मिक यूनियनों को इस तरह का जवाब दिया जाता है,वही प्रबंधन द्वारा संयंत्र स्तर पर लेने वाले निर्णय को भी तत्काल न लेने की बात कहना कर्मियों को गुमराह करने की सिवा कुछ भी नहीं है।