– समय पर ड्यूटी पहुंचने के लिए बीएसपी प्रबंधन का दांव।
– बायोमेट्रिक से कर्मियों की नींद हराम तो नेताओं को स्पेशल पास की है आस। बीएसपी प्रबंधन ने हर विभागों में सक्रियता बढ़ा दी है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल (SAIL) के भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) प्रबंधन ने एक जुलाई से चेहरे की पहचान से बायोमेट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है। लेकिन, कई जगह पर कई कर्मचारियों की फोटो खिंचवाने के बाद भी मशीन फेस को रीड नहीं कर रहा है और कह रहा है आपकी फोटो अपलोड नहीं हुई है।
दूसरी तरफ कर्मचारी किसी भी तरह की छूट की आस लगाए बैठे हैं। चिंतन और सवाल जवाब में डूबे हैं। कोई पूछ रहा है अगर 15 मिनट की जगह 16 मिनट हो गया तो क्या होगा? तो कोई पूछ रहा है मेरे कार्य क्षेत्र की मशीन अगर बंद हो जाए तो क्या होगा? और कोई पूछ रहा है मैं पटरी पर से आता हूं और खुर्सीपार गेट कभी-कभी आधे घंटे के लिए बंद होता है, क्योंकि तीन-तीन गाड़ियां क्रॉस होती हैं। इस स्थिति में मेरी क्या गलती है?
इस तरह के कई सवाल आ रहे हैं। कोई यह सोच रहा है 5 मिनट पहले जाकर हाजिरी लगा लूंगा और अपने काम निपटाकर या साहब से सेटिंग कर फिर ड्यूटी टाइम खत्म होने के पहले आकर फेस रीड कर कर समय से निकल जाऊं। लेकिन इन सब सवालों का जवाब लगभग प्रबंधन ने खोज लिया है।
इसमें सबसे बड़ी बात यह है अभी ज्यादातर सीनियर कर्मचारी किसी का 4 महीने, किसी का 6 महीने, किसी का साल भर, किसी का 2 साल रिटायरमेंट का बचा है। वह सोच रहे हैं कैसे भी हमारा समय तो कट ही जाएगा। लेकिन सबसे ज्यादा मायूसी युवा कर्मचारियों में देखी गई, क्योंकि वह आते थे।
और काम चालू करते चाहे क्रेन ऑपरेटर या रोलिंग, बड़ी तेजी से कर अपने रिलीव टाइम में घर निकल जाते थे। लेकिन अब बायोमेट्रिक से घेराबंदी शुरू होने लगी तो उन्हें भी आशंका सताने लगी, क्योंकि लंबे समय से उस व्यवस्था के आदि जो हो गए थे।
जिनकी सर्विस कम बची है वह कह रहे हैं फेस रीडिंग बायोमेट्रिक लगाओ, लेकिन हमारा बकाया एरियर दे दो। कोई कह रहा है रेस्ट रूम ठीक करो, टॉयलेट ठीक करो, कैंटीन की व्यवस्था ठीक करो।
– नेताजी के बयान पर आग बबूला
कुछ लोग इस बात को लेकर नाराज दिखे कि एक नेता जी का बयान आया कि जो लोग बायोमेट्रिक का विरोध कर रहे हैं, वह काम नहीं करना चाहते। तो कई कर्मियों ने कहा हमने ऐसे ही इस संयंत्र में डेढ़ लाख टन उत्पादन से 7 लाख टन की ओर नहीं जा रहे हैं। या हमने यूं ही पृथ्वी को 14 बार रेल पातों से ऐसे ही नहीं लपेटा। नाराजगी साफ दिख रही है। कोई कह रहा है नेताओं ने दिल्ली में साइन करा कर भिलाई में विरोध कर रहे हैं, इस विरोध का क्या औचित्य है?
दूसरी तरफ कुछ नेता दबी जुबान में यह कह रहे हैं सर्कुलर निकले बिना ही 60% कर्मचारियों ने अधिकारियों के कहने पर फोटो खींचवा लिया, जो प्रबंधन का काम तो आसान कर दिया। और नेताओं को दबाव बनाने का मौका ही नहीं मिला।
– एक कल्चर बन चुका था…
एक बात तो सामने खुलकर आई गई सभी कंफर्ट जोन में थे। आने-जाने की छूट थी तो ज्यादातर कर्मचारी आवश्यकता के अनुरूप काम करके निकल जाते थे। ऑपरेशन के लोग समय पर आकर मशीन चालू करते थे और रिलीवर आने पर निकल जाते थे। कुल मिलाकर काम किसी का नहीं रूकता था, जो एक कल्चर बन चुका था। अब यह बायोमेट्रिक कहीं ना कहीं उस कल्चर में खलल डाल रहा है।
– कुल मिलाकर सब गोल-गोल है, बस एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे
बरसों से चेहरा दिखा कर या बिना आए नेतागिरी के नाम पर हाजिरी लगाकर पूरा जीवन निकाल चुके यूनियन नेताओं ने कल ज्वांइट मीटिंग में यह इशारा करते दिखे अपनी तरफ से तो बोलेंगे नहीं, पर अगर प्रबंधन बुलाता है तो नेताओं के लिए पास की मांग जरूर करेंगे और उसके लिए दबाव भी बनाएंगे।