– 30 जून 2021 के ऐतिहासिक हड़ताल की सीटू ने दी क्रांतिकारी बधाई।
– भिलाई इस्पात संयंत्र के इतिहास में इतनी बड़ी हड़ताल कभी नहीं हुई, जिसका नतीजा यह था कि अपने ही प्रस्ताव पर प्रबंधन बैकफुट पर आया।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। हिंदुस्तान स्टील एम्पलाइज यूनियन सीटू ने 30 जून 2021 को हुए ऐतिहासिक हड़ताल में भाग लेने वाले साथियों को क्रांतिकारी अभिवादन करते हुए बधाइयां दी। भिलाई इस्पात संयंत्र के मजदूरों के संघर्ष के इतिहास में 30 जून वह सुनहरा दिन है, जिसने संघर्ष का नया इतिहास रचा।
वेतन वार्ता को लेकर भिलाई इस्पात संयंत्र के इतिहास में इतनी बड़ी हड़ताल कभी नहीं हुई, जिसका नतीजा यह था कि अपने ही प्रस्ताव को लेकर अढ़ने वाले वर्तमान प्रबंधन को कर्मियों के आगे झुकना पड़ा। इसीलिए 30 जून भिलाई के मजदूर आंदोलन के इतिहास में संघर्ष के दिन के रूप में याद किया जा रहा है।
– हमें जो भी मिला इस सफल हड़ताल की बदौलत मिला
सीटू के उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी का कहना है कि 30 जून की हड़ताल के पहले प्रबंधन ने बहुमत को आधार बनाकर 13% मिनिमम गारंटेड बेनिफिट पर चार यूनियनों को राजी कर लिया था एवं एक यूनियन द्वारा 25% पर्क्स की मांग करने के बाद प्रबंधन किसी भी तरह से 15% पर्क्स में मामले को निपटा देना चाहता था। किंतु जैसे ही 30 जून की हड़ताल सफल हुई अगले ही बैठक में प्रबंधन ने केवल अपना प्रस्ताव बदला बल्कि 26.5% पर्क्स पर एमओयू भी कर लिया। इसीलिए सीटू मानता है कि हमें वर्तमान में जो भी नया बेसिक, डी ए एवं पर्क्स मिल रहा है वह 30 जून के सफल हड़ताल के बदौलत मिल रहा है।
– यदि एक बैठक और रुक जाते तो नतीजा कुछ और होता
महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी का कहना है कि यदि कुछ यूनियनें जल्दी बाजी ना करके एक बैठक और रुक जाते तो प्रबंधन ना केवल 28% पर्क्स देने के लिए राजी होता बल्कि 39 महीने का एरियर्स एवं अन्य दूसरे भत्ते भी लागू करवा लेते क्योंकि उच्च प्रबंधन का निर्देश था कि किसी भी हाल में कर्मियों का बेसिक, डी ए एवं पर्क्स के निर्धारण के बिना अधिकारियों का बेसिक, डी ए एवं पर्क्स जारी नहीं किया जाएगा।
अर्थात वेतन समझौता को जल्द पूर्ण करने के लिए प्रबंधन पर कर्मियों के साथ-साथ अधिकारियों का भी दबाव था जिसका सही इस्तेमाल किया जाना जरूरी था जैसे ही 22 अक्टूबर 2021 को कर्मियों का बेसिक, डी ए एवं पर्क्स लागू हुआ उसके दूसरे ही दिन अधिकारियों के लिए 15% बेसिक एवं 35% पर्क्स की घोषणा कर दी गई।
– 30 जून की हड़ताल ने प्रबंधन को मजबूर किया मैराथन बैठक करने के लिए
सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा-यूनियन द्वारा बार-बार बैठक बुलाने की मांग करने के बाद भी प्रबंधन बैठक बुलाने में आनाकानी कर रहा था जैसे ही 30 जून 2021 की हड़ताल की घोषणा हुई 1 दिन के लिए भी बैठक करने के लिए तैयार नहीं होने वाला प्रबंधन में आनन फानन में 22 जून 2021 को 1 दिन के लिए वर्चुअल बैठक बुलाया एवं 27 जून तक अर्थात 6 दिनों तक मैराथन बैठक किया,जिसमें 13% एमजीबी तो तय करवा पाया किंतु 15% के अंदर ही पर्क्स को निपटा देने की चाल में कामयाब नहीं हो सका।
इसके चलते अंततः 30 जून का हड़ताल भिलाई इस्पात संयंत्र सहित पूरे सेल में ऐतिहासिक रूप से कामयाब रहा जो कि आंदोलन के इतिहास में अभूतपूर्व सफलता के साथ दर्ज हो चुका है।
– सीटू का मानना है कि संघर्ष ही एक मात्र विकल्प है
अध्यक्ष विजय जांगडे ने कहा-कर्मियों के कमजोर संघर्ष के कारण ही ना केवल कर्मचारी विरोधी बोनस फार्मूला बना, बल्कि 90 माह इंतजार करने के बाद रात्रि पाली भत्ता में बायोमेट्रिक शर्त के साथ मात्र 90 रुपए का इजाफा हुआ। इसलिए संघर्ष ही एकमात्र विकल्प है, जिसको करते हुए मजदूर अपने पक्ष में बेहतर से बेहतर नीतियां बनवा सकता है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण 30 जून 2021 की ऐतिहासिक हड़ताल है।इस वेतन वृद्धि में हर उस कर्मचारी का योगदान है जो इस ऐतिहासिक हड़ताल में भाग लिया था।
– एरियर्स के लिए करना पड़ सकता है ऐसा ही अभूतपूर्व आंदोलन
सीटू नेता ने कहा कि प्रबंधन बार-बार केंद्र सरकार का हवाला देकर एरियर्स ना देने की बात कह रहा है साथ ही साथ प्रबंधन में अधिकारियों को 1 अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2021 तक पर्क का भी एरियर्स दिया है जिसे कर्मचारियों को नहीं दिया गया।
हाउस रेंट अलाउंस बोनस फार्मूला तथा अन्य अलाउंस पर भी समझौता होना बाकी है जिसे प्रबंधन किसी न किसी बहाने से टाल देना चाहता है, जिसके खिलाफ 30 जून 2021 जैसी ही बड़ी कार्यवाही करनी पड़ सकती है। इसीलिए संयंत्र के कर्मी इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए तैयार रहे अन्यथा प्रबंधन बहाने बाजीगर के कर्मियों के हक को मारने की परंपरा शुरू कर देगा।