Supreme Court Verdict: उपराज्यपाल नहीं अब अरविंद केजरीवाल के पास होगा ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। दित्ली का बॉस कौन होगा, यह सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया है। अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार का अधिकार रहेगा। लॉ एंड ऑर्डर, जमीन और पुलिस का अधिकार छोड़कर बाकी पर अरविंद केजरीवाल सरकार का अधिकार होगा। आइएएस आफिसर के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार होगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि एलजी दिल्ली सरकार की सलाह को मानने के लिए बाध्य होंगे।

सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ा। करीब 15 मिनट तक फैसला पढ़ा। दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग कौन करेगा इसको लेकर अहम फैसला दे दिया है। इधर-दिल्ली सरकार जश्न मना रही है। लंबे समय से चल रहा विवाद भी अब खत्म हो गया है।

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के मामले में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग करने के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र द्वारा सभी विधायी शक्तियों को अपने हाथ में लेने से संघीय प्रणाली समाप्त हो जाती है. संघवाद के सिद्धांत का सम्मान किया जाना चाहिए।

केंद्रीय सभी विधायी, नियुक्ति शक्तियों को अपने हाथ में नहीं ले सकता। अगर चुनी हुई सरकार अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर सकती तो वो लोगों के लिए सामूहिक दायित्व का निर्वाह कैसे करेगी? अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार है। चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यस्था होनी चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास ये अधिकार नही रहता तो फिर जवाबदेही की ट्रिपल चेन पूरी नही होती।

CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एम.आर. शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की संविधान पीठ ने कहा कि यह मामला सिर्फ सर्विसेज़ पर नियंत्रण का है. हम जस्टिस भूषण के 2019 के फ़ैसले से सहमत नहीं हैं. यह फ़ैसला बहुमत का, सभी जजों की सहमति से है। जस्टिस भूषण ने कहा था कि सेवाओं पर केवल केंद्र का अधिकार क्षेत्र है।

लेकिन दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना आवश्यक है. अनुच्छेद 239AA व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है। संसद के पास तीसरी अनुसूची में किसी भी विषय पर कानून बनाने की पूर्ण शक्ति है। यदि केंद्र और राज्य के कानूनों के बीच विरोध होता है, तो केंद्रीय कानून प्रबल होगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंधवी ने कहा कि सच की विजय हुई है। दिल्ली केस पर कहा कि केंद्र सरकार न गलत तरीके से हस्तक्षेप किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्ष को स्वीकार किया है। अब उपराज्यपाल से विवाद की स्थिति नहीं होगी। जनता को फायदा मिलेगा। आप नेता गोपाल राय और सर्विसे मंत्री सौरव भारद्वाज ने कहा कि 2014 से दिल्ली की जनता लड़ाई लड़ रही थी, जिसको जीत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। सदियों तक इस फैसले को याद रखा जाएगा। देश का एक-एक बच्चा चीफ जस्टिस चंद्रचूड बनना चाहेगा। देश को नायक के रूप में वह मिले है। दिल्ली जनता की तरफ से उनका धन्यवाद।