कर्मचारी पेंशन योजना 1995 को लेकर विवाद बना हुआ है।
कर्मचारी पेंशन योजना और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन पर सवाल।
ईपीएफओ और केंद्र सरकार के रवैये से पेंशनभोगी नाराज।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization) और केंद्र सरकार पर पेंशनर्स भड़के हुए हैं। हायर पेंशन और न्यूनतम पेंशन को लेकर आवाज उठ रही है। पेंशनभोगी पी. बीराना ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा-भारत में आंदोलन के बाद कई समस्याओं का समाधान हो जाता है। लेकिन केवल ईपीएफ 95 योजना पेंशनभोगियों (Employees Pension Scheme 1995) की समस्या का समाधान सरकार द्वारा नहीं किया जाता है।
यहां तक कि सदस्यों द्वारा बहुत अधिक धनराशि का योगदान दिया जाता है और बहुत अधिक धनराशि बिना दावे के बची रहती है। समस्या बनी हुई है कि क्या चल रहा है और एनएसी क्या योजना बना रही है। कोई नहीं जानता कि मोदी हर दिन सबका विकास पर व्याख्यान दे रहे हैं और उच्च पेंशन के मामले में चुप हैं।
यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर अमल नहीं हो सका। सभी तर्कों को ध्यान में रखते हुए न्यायाधीशों को मानवीय आधार पर सोचना चाहिए कि केवल 1000 प्रति माह पेंशन उचित है?
राजनेता, सरकारी अधिकारी बढ़ती मूल्य सूचकांक के आधार पर पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के कर्मचारी जो राष्ट्रीय विकास कार्यों के लिए समान रूप से काम करते हैं, उनके साथ विश्वासघात क्यों किया जा रहा है।
अदालतों के संज्ञान में है 75 लाख पेंशनभोगियों का कष्ट
अदालतों के संज्ञान में है 75 लाख पेंशनभोगियों का कष्ट। जबकि सभी राज्य उच्च न्यायालय (High Court) ने फैसला दिया है कि 95 योजना के पेंशनभोगी (Pensioners) लाभ पाने के हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट पर पेंशनर्स की नजर है कि उच्च न्यायालय के फैसले पर कोर्ट भी आगे कदम बढ़ाए। सरकार को निर्देशित करे।