सेवाओं को देश के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा मान्यता नहीं दी जाती है और ये राजनीतिक नेता सोचते हैं कि वे देश के एकमात्र रक्षक हैं।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत 7500 रुपए न्यूनतम पेंशन को लेकर अब सीएम नीतिश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर ही सबकी नजर टिकी हुई है।
कोर्ट से ही कोई सहारा मिल सकता है। एक पेंशनर्स से आशंका जताई कि यदि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार हमारी पेंशन में वृद्धि नहीं की जाती है तथा मोदी सरकार द्वारा दिवाली से पहले न्यूनतम पेंशन की मांग स्वीकार नहीं की जाती है, तो हम ईपीएस पेंशन वृद्धि को हमेशा के लिए भूल सकते हैं।
हालांकि एनएसी के नेता ईमानदारी से इसके लिए लड़ रहे हैं। मोदी ऐसा कभी नहीं करेंगे। एकमात्र विकल्प यदि संभव हो तो नायडू और नीतीश से मिलना है। यदि हमें उनका समर्थन मिलता है तो मोदी तुरंत ऐसा करेंगे, क्योंकि वे प्रधानमंत्री के रूप में अपना वर्तमान पद खोना नहीं चाहेंगे। अब यही एकमात्र रास्ता बचा है।
एक कर्मचारी से अधिक पेंशन, वेतन ले रहे सांसद-विधायक
गिरिजा विजयकुमार लिखते हैं कि सांसदों और विधायकों को देश की सेवा करने के लिए चुना जाता है। लेकिन यहां, वे एक कर्मचारी से अधिक पेंशन, वेतन आदि का आनंद ले रहे हैं। हमें क्या उम्मीद है कि हमें उच्च पेंशन के लिए विचार किया जाएगा। आप इस राजनीतिक व्यवस्था से कुछ भी उम्मीद नहीं कर सकते हैं।
सुब्रमण्य एवी का कहना है कि ईपीएफओ को ईपीएस-95 को अपने ग्राहकों के लिए एक सुरक्षित न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करनी चाहिए। एनएसी जिंदाबाद।
देश के एकमात्र रक्षक हैं…
सत्यनारायण हेगड़े ने भी मन की बात लिखी-जो कुछ भी कहा और किया जाता है, हमारी सेवाओं को देश के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा मान्यता नहीं दी जाती है और ये राजनीतिक नेता सोचते हैं कि वे देश के एकमात्र रक्षक हैं, जो देश की प्रगति के लिए जिम्मेदार हैं।
अगर अच्छी चीजें होती हैं, तो वे जिम्मेदार होते हैं, लेकिन अगर संयोग से बुरी चीजें होती हैं, तो कोई और जिम्मेदार होता है। राजनीतिक नेतृत्व को पता होना चाहिए कि हमने उन्हें लोगों के हित में काम करने के लिए नेता बनाया है।