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- बजट 2025 और उससे बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान करने के लिए अनुदान की प्रतीक्षा करना बेकार है।
- गरीब,मजदूर वर्ग की मदद करने की महानता बनी रहे तो तुरंत राहत आनी चाहिए।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation (EPFO)) और कर्मचारी पेंशन योजना 1995 पर लगातार पेंशनर्स जुबानी तीर चला रहे हैं। Gautam Chakraborty ने कहा-केजरीवाल वोट की लालच और दिल्ली विधानसभा हारने के डर से परेशान है, जब वह पुजारी और ग्रंथी को 18 हजार मासिक पेंशन देने की घोषणा की। उन्होंने इसके लिए एक संगठित लड़ाई नहीं की है।
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लेकिन ईपीएस 95 द्वारा कवर किए गए कामगार, जो आठ वर्षों से संगठित आंदोलन का मंचन कर रहे हैं। और ईपीएस फंड में योगदान दिया है। अभी तक टीम मोदी से न्यूनतम पेंशन 7500+डीए+मेडिकल केयर में वृद्धि के बारे में एक औपचारिक घोषणा नहीं सुनी है, जो कि इससे बहुत कम है पुजारियों के लिए प्रस्तावित है। दिलचस्प बात यह है कि पुजारियों ने कोई योगदान नहीं दिया है।
बजट 2025 और उससे बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान करने के लिए अनुदान की प्रतीक्षा करना बेकार है। गरीब,मजदूर वर्ग की मदद करने की महानता बनी रहे तो तुरंत राहत आनी चाहिए।
वहीं, एक पेंशनभोगी ने कहा-राजनेताओं के कथन केवल उनके हित में होते हैं। आम जनता के हित में नहीं। जो लोग आवश्यक आवश्यकताओं के हकदार हैं, उनके लिए शायद ही कोई विचार किया जाता है। यह दुख की बात है कि ईपीएस सेवानिवृत्त लोगों के लिए कुछ नहीं किया गया है।
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पेंशनभोगी कौशल उप्पल ने कहा-जिन्होंने राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया है। हम वर्तमान सरकार से बड़ी-बड़ी बातें सुनते हैं, लेकिन वह भी लगातार बढ़ती कीमतों के मद्देनजर हमारी पेंशन में वृद्धि न करके हमारी परेशानियों को और बढ़ा रही है।
पेंशनर रामर रामर ने कहा-हम वरिष्ठ नागरिकों ने राष्ट्र के लिए अपना योगदान दिया है, लेकिन इन बेकार स्वार्थी राजनेताओं के सामने रोना व्यर्थ है। वे हमारे बराबर नहीं हैं।
अगर हम (वरिष्ठ नागरिक) लगातार इस सरकार को वोट देते रहेंगे तो हमारी स्थिति नहीं बदलेगी। प्रधानमंत्री अपनी मर्जी से उड़ान भरकर मौज-मस्ती करेंगे।
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