- करीब 25 हजार किलोमीटर का सफर तय करने के दौरान वह सेव अर्थ-सेव लाइफ का पैगाम भी बांटता रहेगा।
अज़मत अली, भिलाई। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का पड़ोसी जिला महाराजगंज का नाम इस वक्त काफी चर्चा में है। यहां का रहने वाला 24 साल का मोहम्मद गुफरान अंसारी साइकिल से पूरे भारत का भ्रमण करते हुए काबा की तरफ बढ़ रहा है। अक्टूबर-नवंबर तक भारत में और समय गुजारने के बाद साइकिल से 8 देशों को पार करते हुए करीब 2025 में सऊदी अरब की जमीन पर कदम रखेगा।
साइकिल से दूरी को नापते हुए मोहम्मद गुफरान बिलासपुर, रायपुर होते हुए भिलाई में पहुंचे हुए हैं। Suchnaji.com से सफर से जुड़ी यादों और आगे की प्लानिंग (Planning) पर खुलकर बातचीत की। किसान का बेटा गुफरान दो साल तक दुबई में इलेक्ट्रिशियन का जॉब करने के बाद घर लौट आया। और कुछ नया करने का जज्बा पैदा किया। घूमने-फिरने का शौक है। आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं, लेकिन बगैर पैसा खर्च किए शौक पूरा करने का इरादा किया।
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हज करने का ख्याल आया कि क्यों न साइकिल से ही हज का सफर शुरू करें। इस सोच को परवान चढ़ाने में हरियाणा के साइकिल बाबा से संपर्क किया। साइकिल बाबा 90 देश घूम चुके हैं। उत्तराखंड के प्रदीप से भी संपर्क किया। प्रदीप भी साइकिल से 18 देश घूम चुके हैं। इन लोगों से सरहद पार करने और वहां के हालात से निपटने आदि पर विचार-विमर्श किया। फिर, क्या घर से साइकिल उठाई और 4 अक्टूबर 2022 को सफर शुरू कर दिया।
यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड होते कन्या कुमारी तक कवर कर लिया है। महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान दोबारा जा रहे हैं। चीन बॉर्डर बंद होने की वजह से वापस दिल्ली जा रहे हैं। वहां से फ्लाइट पकड़ेंगे और वियतनाम जाएंगे। फिर, यहां से साइकिल से चीन, कजाकिस्तान, इराक, ईरान, कुवैत आदि देश होते हुए सउदी अरब जाएंगे। 2025 तक पहुंचने का लक्ष्य है।
गुफरान ने बताया कि एक दिन में 80 से 100 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। सबसे खास चीज यह है कि रात होते ही वह धार्मिक स्थल, पेट्रोल पंप, पुलिस स्टेशन को अपना ठिकाना बना लेते हैं। पंजाब में सबसे ज्यादा रात गुरुद्वारा में गुजारी। बिहार और आसाम में मंदिर परिसर को अपना ठिकाना बनाया। कमाख्या देवी मंदिर में भी रुक चुके हैं।
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मस्जिद और मदरसा भी ठहराव का जरिया बना। साइकिल पर तिरंगा और कैरियर पर लगेज बंधा देख जगह-जगह लोग स्वागत करते हैं। कोई नाश्ता-पानी कराता तो कोई भोजन का इंतजाम करता। भाईचारा-धार्मिक एकता और पर्यावरण का संदेश देते हुए नेक मंजिल की तरफ बढ़ने वाले गुफरान की लोग आर्थिक मदद भी कर रहे हैं ताकि सफर आसानी से पूरा हो सके।
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12वीं तक की पढ़ाई करने वाले गुफरान ने बताया कि एक भाई और दो बहन हैं। अम्मी-अब्बू घर पर हैं। घर से निकलते समय घर वालों ने मना किया था। लेकिन मंजिल को साइकिल से तय करने के लिए निकल गया। करीब 25 हजार किलोमीटर का सफर तय करने के दौरान वह सेव अर्थ-सेव लाइफ (Save Earth – Save Life) का पैगाम भी बांटता चल रहा है।